नई दिल्ली
यह ऑस्ट्रेलिया की टीम थी। दो बार की विश्व-विजेता। दुनिया की नंबर एक टीम, बिना शक। साल 2008 की बात है। रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी में टीम लगातार 16 मैच जीत चुकी थी। टीम भारत के खिलाफ सीरीज में 2-0 से आगे थी और अब मुकाबला था पर्थ में। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया का मैदान। ऐसी पिच जहां की उछाल और रफ्तार की मिसाल दी जाती है।
पर्थ टेस्ट जिस माहौल में खेला जा रहा था उसकी अपनी एक अलग कहानी थी। सिडनी टेस्ट भारत के लिए अच्छा अनुभव नहीं रहा। खराब अंपायरिंग फैसलों ने भारत की हार की पटकथा लिखी। इसके अलावा मंकीगेट कांड भी अपनी कहानी थी। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हरभजन सिंह पर नस्लवादी होने का आरोप लगाया था और इसके बाद दौरा ही संकट में पड़ गया था।
वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट असोसिएशन (WACA) पर ऑस्ट्रेलिया का रेकॉर्ड शानदार है। एक दशक से ज्यादा का वक्त बीच चुका था जब कंगारू टीम को उस मैदान पर हार नहीं मिली थी। लेकिन सिडनी के बाद टीम इंडिया एकजुट थी। पहले से ज्यादा। भारतीय टीम एक मिशन पर थी और उसने चौथी पारी में ऑस्ट्रेलिया के सामने 413 रन का लक्ष्य रखा था।
चौथे दिन सलामी बल्लेबाज जल्दी आउट हो गए और इसके बाद मिस्टर क्रिकेट माइकल हसी और कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को संभाला। भारतीय टीम के पास एक दिन से ज्यादा का वक्त था लेकिन क्रीज पर पॉन्टिंग और हसी का जमना कुंबले के कप्तानी वाली टीम अफॉर्ड नहीं कर सकती थी। रिकी पॉन्टिंग, जो तेज गेंदबाजी के सामने महारथी समझे जाते हैं, को 19 साल के एक पेसर ने परेशान कर रखा था। दिल्ली के इस गेंदबाज ने सिर्फ तीन टेस्ट मैच ही खेले थे। इशांत ने पहली पारी में भी पॉन्टिंग को आउट किया था।
ऑस्ट्रेलिया की पारी पटरी पर आ रही थी। पॉन्टिंग इशांत के सामने स्ट्रगल कर रहे थे। गेंद कभी विकेट तो कभी बल्ले को छकाकर जा रही थी।
इशांत लंबा स्पेल फेंक चुके थे। कप्तान उन्हें आक्रमण से हटाना चाह रहे थे। तभी वीरेंद्र सहवाग दौड़कर आए और उन्होंने इशांत से बोला, 'एक और डालेगा।' पॉन्टिंग और हसी के बीच 74 रन की साझेदारी हो चुकी थी। ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 2 विकेट पर 117 रन था। लंच होने में सिर्फ 20 मिनट बाकी थे। पॉन्टिंग के डिफेंस में आखिर सेंध लग गई। 137.8 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की यह गेंद ऑफ स्टंप के टॉप पर थी। गेंद टप्पा लगकर बाहर निकली, गेंद ने बल्ले का बाहरी किनारा लिया और राहुल द्रविड़ ने फर्स्ट स्लिप में आसान सा कैच किया। पॉन्टिंग ने 45 रन बनाकर आउट हुए। ऑस्ट्रेलिया के लोअर-ऑर्डर ने थोड़ी मजबूती दिखाई। लेकिन सहवाग, आरपी सिंह और इरफान पठान ने जीत सुनिश्चित की। ऑस्ट्रेलिया की टीम 340 रन पर ऑल-आउट हुई। भारत ने सिडनी का बदला ले लिया था।
यह ऑस्ट्रेलिया की टीम थी। दो बार की विश्व-विजेता। दुनिया की नंबर एक टीम, बिना शक। साल 2008 की बात है। रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी में टीम लगातार 16 मैच जीत चुकी थी। टीम भारत के खिलाफ सीरीज में 2-0 से आगे थी और अब मुकाबला था पर्थ में। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया का मैदान। ऐसी पिच जहां की उछाल और रफ्तार की मिसाल दी जाती है।
पर्थ टेस्ट जिस माहौल में खेला जा रहा था उसकी अपनी एक अलग कहानी थी। सिडनी टेस्ट भारत के लिए अच्छा अनुभव नहीं रहा। खराब अंपायरिंग फैसलों ने भारत की हार की पटकथा लिखी। इसके अलावा मंकीगेट कांड भी अपनी कहानी थी। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हरभजन सिंह पर नस्लवादी होने का आरोप लगाया था और इसके बाद दौरा ही संकट में पड़ गया था।
वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट असोसिएशन (WACA) पर ऑस्ट्रेलिया का रेकॉर्ड शानदार है। एक दशक से ज्यादा का वक्त बीच चुका था जब कंगारू टीम को उस मैदान पर हार नहीं मिली थी। लेकिन सिडनी के बाद टीम इंडिया एकजुट थी। पहले से ज्यादा। भारतीय टीम एक मिशन पर थी और उसने चौथी पारी में ऑस्ट्रेलिया के सामने 413 रन का लक्ष्य रखा था।
चौथे दिन सलामी बल्लेबाज जल्दी आउट हो गए और इसके बाद मिस्टर क्रिकेट माइकल हसी और कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को संभाला। भारतीय टीम के पास एक दिन से ज्यादा का वक्त था लेकिन क्रीज पर पॉन्टिंग और हसी का जमना कुंबले के कप्तानी वाली टीम अफॉर्ड नहीं कर सकती थी। रिकी पॉन्टिंग, जो तेज गेंदबाजी के सामने महारथी समझे जाते हैं, को 19 साल के एक पेसर ने परेशान कर रखा था। दिल्ली के इस गेंदबाज ने सिर्फ तीन टेस्ट मैच ही खेले थे। इशांत ने पहली पारी में भी पॉन्टिंग को आउट किया था।
ऑस्ट्रेलिया की पारी पटरी पर आ रही थी। पॉन्टिंग इशांत के सामने स्ट्रगल कर रहे थे। गेंद कभी विकेट तो कभी बल्ले को छकाकर जा रही थी।
इशांत लंबा स्पेल फेंक चुके थे। कप्तान उन्हें आक्रमण से हटाना चाह रहे थे। तभी वीरेंद्र सहवाग दौड़कर आए और उन्होंने इशांत से बोला, 'एक और डालेगा।' पॉन्टिंग और हसी के बीच 74 रन की साझेदारी हो चुकी थी। ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 2 विकेट पर 117 रन था। लंच होने में सिर्फ 20 मिनट बाकी थे। पॉन्टिंग के डिफेंस में आखिर सेंध लग गई। 137.8 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की यह गेंद ऑफ स्टंप के टॉप पर थी। गेंद टप्पा लगकर बाहर निकली, गेंद ने बल्ले का बाहरी किनारा लिया और राहुल द्रविड़ ने फर्स्ट स्लिप में आसान सा कैच किया। पॉन्टिंग ने 45 रन बनाकर आउट हुए। ऑस्ट्रेलिया के लोअर-ऑर्डर ने थोड़ी मजबूती दिखाई। लेकिन सहवाग, आरपी सिंह और इरफान पठान ने जीत सुनिश्चित की। ऑस्ट्रेलिया की टीम 340 रन पर ऑल-आउट हुई। भारत ने सिडनी का बदला ले लिया था।