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'वह तैयार ही नहीं हो रहे थे, एक वक्त पर हमने उम्मीद भी छोड़ दी थी', गांगुली ने बताया कि राहुल द्रविड़ को कोचिंग के लिए मनाना कितना मुश्किल था

सौरभ गांगुली ने कहा कि राहुल द्रविड़ को मनाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ी। गांगुली ने कहा कि द्रविड़ पहले मान नहीं रहे थे। उन्हें लगता था कि लंबे समय तक परिवार से दूर रहना पड़ेगा।

नवभारतटाइम्स.कॉम 6 Dec 2021, 5:41 pm

हाइलाइट्स

  • सौरभ गांगुली ने बताई द्रविड़ के कोच बनने की पूरी कहानी
  • गांगुली ने बताया कि उनके और जय शाह के जेहन में था द्रविड़ का नाम
  • द्रविड़ टीम इंडिया का कोच बनने के लिए राजी ही नहीं हो रहे थे
  • लगातार कोशिश करते हुए एक बार को छोड़ दी थी उम्मीद
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नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने खुलासा किया कि महान क्रिकेटर राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का मुख्य कोच बनने के लिए राजी करना कितना मुश्किल काम था। गांगुली ने बताया कि उन्हें द्रविड़ को मनाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
पत्रकार बोरिया मजूमदार के शो 'बैकस्टेज विद बोरिया' में पूर्व कप्तान ने बताया कि उनके और बोर्ड के सचिव जय शाह के दिमाग में राहुल द्रविड़ का नाम हमेशा से था लेकिन उन्हें राजी करना एक मुश्किल काम था।

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उन्होंने कहा, 'राहुल द्रविड़ का नाम हमेशा से हमारे दिमाम में थे। मैं और जय दोनों इस बारे में सोच रहे थे लेकिन द्रविड़ इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे। चूंकि राष्ट्रीय टीम के साथ रहने का मतलब है कि आपको 8-9 महीने घर से दूर रहना होगा और द्रविड़ यह नहीं चाहते थे। उनके दो युवा बच्चे हैं और वह उनके साथ वक्त बिताना चाहते थे।'

गांगुली ने बताया, 'एक वक्त ऐसा आया कि हमने उन्हें मनाना छोड़ा दिया। उन्हें नैशनल क्रिकेट अकादमी, बेंगुलरु का अध्यक्ष बना दिया गया ताकि वह वहां चीजों को आगे ले जा सकें। इसके लिए हमने सब इंटरव्यू और बाकी चीजें कीं। उनका भी इंटरव्यू लिया गया और एप्लीकेशन देखी गईं और फिर उन्हें एनसीए का अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन उनकी नियुक्ति के बाद भी हम लगातार कोशिश करते रहे।'


गांगुली ने कहा कि खिलाड़ियों के साथ कई बार बात में यह बात साफ हो गई कि हर कोई चाहता था कि वह टीम के साथ जुड़ जाएं।

उन्होंने कहा, 'और जब हमने खिलाड़ियों के साथ इस बात में बात की तो हमें साफ नजर आ रहा था कि उनका इशारा राहुल द्रविड़ की ओर था। तो हमने राहुल से फिर इस बारे में बात की। मैंने कई बार उनसे निजी रूप से इस बारे में बात की। मैंने उनसे कहा, 'मैं जानता हूं कि यह मुश्किल है पर दो साल के लिए कोशिश करो अगर तुम्हें ज्यादा चुनौतीपूर्ण लगे तो फिर हम कोई और रास्ता देखेंगे।''

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गांगुली ने आगे कहा, 'किस्मत से वह राजी हो गए और मुझे नहीं पता कि आखिर उनके दिमाग में ऐसा क्या विचार आया जिसने उन्हें राजी किया और मैं सोचता हूं कि रवि शास्त्री के जाने के बाद बीसीसीआई कोचिंग के लिए यह बेस्ट कर सकता था।'

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