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T20 वर्ल्ड कप में हार से परेशान टीमों को क्यों याद आ रहा है ये 'जादुई' स्प्रे, 2014 में ICC ने भारत से किया था इंपोर्ट

भारतीय टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ महत्वपूर्ण मुकाबले से पहले ओस से निपटने के लिए फुल प्लान के साथ तैयारी में जुटी हुई है। रविवार को मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में विराट कोहली ने जोर देकर ड्यू फैक्टर को बड़ा कारण माना था।

Curated byVineet Tripathi | नवभारतटाइम्स.कॉम 28 Oct 2021, 1:44 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम india pakistan

भारत और न्यूजीलैंड के बीच 31 अक्टूबर को टी20 वर्ल्ड कप का अहम मुकाबला खेला जाना है। इससे पहले एक चर्चा जोर पकड़ रही है वो है ड्यू फैक्टर। अभी तक विश्व कप के 9 मुकाबले खेले गए हैं। उसमें से अगर एक मैच को छोड़ दें तो हमेशा वही टीम मैच जीत रही है जोकि पहले गेंदबाजी कर रही है। टीम टॉस जीतते ही पहले गेंदबाजी चुन रही हैं। ऐसा पहली बार नहीं है जब ओस चर्चा में हैं। इससे पहले 2014 में भी ओस के कारण काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ा है। तब वर्ल्ड कप की मेजबानी बांग्लादेश कर रहा था।

2014 में आईसीसी ने गंभीरता से किया था विचार
ऐसा पहली बार नहीं है कि ओस कारक (India-Pakistan DEW Factor) के बारे में बात की गई है। 2014 टी-20 वर्ल्ड कप बांग्लादेश में खेला गया था। उस वक्त भी ओस के कारण खिलाड़ी बेहद परेशान थे। इससे निपटने के लिए टीमें अभ्यास सत्र के दौरान पानी से भरी बाल्टी में गेंदें डुबो रही थीं। आईसीसी ने बांग्लादेश में आउटफील्ड पर स्प्रे करने के लिए भारत से एक विशेष ओस रोधी (Special Anti Dew Gel) जेल आयात किया था। अब बात इस मैदान पर क्रिकेटर अपना कैसा प्रदर्शन करता है क्योंकि क्रिकेट साल भर का खेल है और कभी न कभी आपको ओस का सामना करना पड़ेगा और आप इससे बच नहीं सकते।

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ओस ने कैसे निपटेगी टीम इंडिया
भारतीय टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ महत्वपूर्ण मुकाबले से पहले ओस से निपटने के लिए फुल प्लान के साथ तैयारी में जुटी हुई है। रविवार को मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में विराट कोहली ने जोर देकर कहा था कि पाकिस्तान ने भारत को जरूर हराया, लेकिन अगर भारतीय गेंदबाज पाकिस्तान का एक भी विकेट नहीं ले पाए तो उसके पीछे ओंस भी एक प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा था कि ओंस (DEW Factor) जैसे छोटे कारकों से बड़ा फर्क पड़ता है।

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भारतीय टीम NSA में कर रही है गीली गेंद से प्रैक्टिसहमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने टीम इंडिया के खिलाड़ियों के साथ काम करने वाले लोगों से बात करके इसकी जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया। TOI ने पाया कि ड्यू फैक्टर का मुकाबला करना बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) में पाठ्यक्रम का एक हिस्सा बन गया है और भारतीय टीम इसकी रुटीन में प्रैक्टिस करती है। प्रैक्टिस के दौरान बॉल को गीली करने के पीछे मकसद ये है कि खिलाड़ी गीली गेंद पकड़ने के आदी हो जाएं। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि गेंदबाज को वही फील आए तो ओस वाली गेंद पकड़ने के दौरान आता है मगर उनके लिए ये बिल्कुल नया या आश्चर्य वाली बात नहीं होगी।
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Vineet Tripathi

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