रियो डी जनीरो
प्यार में इंसान कई दीवारें तोड़ देता है, सीमाएं लांघ जाता है। फिर अंटोनियो तो स्पेन से ब्राजील ही आए हैं। कह सकते हैं कि कहां यूरोप का एक अडवांस देश और कहां एक लातिन अमेरिकी देश जहां कई समस्याएं हैं। जमीन-आसमान का फर्क है। भला अंटोनियो को इससे क्या लेना-देना। उन्हें तो बस यही मालूम है कि वह जूलिया से प्यार करते हैं और वह ब्राजील की हैं। जूलिया ब्राजील छोड़ नहीं सकतीं और अंटोनियो जूलिया से दूर रह नहीं सकते।
ओलिंपिक के लिए रियो में बाहा डी तिजुका में बनाए गए विशाल प्रेस सेंटर के बाहर हर रोज देर शाम अंटोनियो को देखा जा सकता है। वह ऑरेंज कलर की फुलपैंट पहने ऑरेंज कलर की ही साइकल पर आते हैं। जूलिया को यह रंग पसंद है। उनकी साइकिल का एक नाम भी है-लाइफ एक्सप्रेस।
अंटोनियो ना तो जर्नलिस्ट हैं और ना ही ओलिंपिक ऑर्गनाइजिंग कमिटी के किसी काम में हाथ बंटा रहे हैं। उन्हें ओलिंपिक खेलों में भी खास दिलचस्पी नहीं है। तो फिर वह यहां क्यों आते हैं? क्योंकि जूलिया जर्नलिस्ट हैं और ओलिंपिक के चलते उन्हें देर तक काम करना पड़ता है। उनका इंतजार करते वक्त अंटोनियो साइकिल पर कलाबाजियां दिखाते हैं क्योंकि वह किसी जमाने में साइक्लिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे थे। अंटोनियो बताते हैं कि उन्हें ब्राजील के लोग और कल्चर काफी पसंद है। ऐसा इसलिए कि लाख परेशानियों के बावजूद ब्राजीली अपनी जिंदगी बिंदास अंदाज में जीते हैं।
प्यार में इंसान कई दीवारें तोड़ देता है, सीमाएं लांघ जाता है। फिर अंटोनियो तो स्पेन से ब्राजील ही आए हैं। कह सकते हैं कि कहां यूरोप का एक अडवांस देश और कहां एक लातिन अमेरिकी देश जहां कई समस्याएं हैं। जमीन-आसमान का फर्क है। भला अंटोनियो को इससे क्या लेना-देना। उन्हें तो बस यही मालूम है कि वह जूलिया से प्यार करते हैं और वह ब्राजील की हैं। जूलिया ब्राजील छोड़ नहीं सकतीं और अंटोनियो जूलिया से दूर रह नहीं सकते।
ओलिंपिक के लिए रियो में बाहा डी तिजुका में बनाए गए विशाल प्रेस सेंटर के बाहर हर रोज देर शाम अंटोनियो को देखा जा सकता है। वह ऑरेंज कलर की फुलपैंट पहने ऑरेंज कलर की ही साइकल पर आते हैं। जूलिया को यह रंग पसंद है। उनकी साइकिल का एक नाम भी है-लाइफ एक्सप्रेस।
अंटोनियो ना तो जर्नलिस्ट हैं और ना ही ओलिंपिक ऑर्गनाइजिंग कमिटी के किसी काम में हाथ बंटा रहे हैं। उन्हें ओलिंपिक खेलों में भी खास दिलचस्पी नहीं है। तो फिर वह यहां क्यों आते हैं? क्योंकि जूलिया जर्नलिस्ट हैं और ओलिंपिक के चलते उन्हें देर तक काम करना पड़ता है। उनका इंतजार करते वक्त अंटोनियो साइकिल पर कलाबाजियां दिखाते हैं क्योंकि वह किसी जमाने में साइक्लिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे थे। अंटोनियो बताते हैं कि उन्हें ब्राजील के लोग और कल्चर काफी पसंद है। ऐसा इसलिए कि लाख परेशानियों के बावजूद ब्राजीली अपनी जिंदगी बिंदास अंदाज में जीते हैं।