ऐपशहर

Indian Hockey Team: यूं ही भारतीय हॉकी टीम की 'दीवार' नहीं कहे जाते पीआर श्रीजेश, सीने में दफन हैं कई गोल

तोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीत भारतीय टीम के इतिहास रचने में अगर किसी एक खिलाड़ी का सबसे बड़ा योगदान है तो वो हैं टीम के स्टार गोलकीपर पीआर श्रीजेश। कई अहम मौकों पर श्रीजेश विरोधियों के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए।

Authored byअनुराग कुमार | नवभारतटाइम्स.कॉम 5 Aug 2021, 12:29 pm

हाइलाइट्स

  • 41 साल बाद ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने जीता मेडल
  • टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश का जीत में बड़ा योगदान
  • तोक्यो ओलिंपिक में विरोधी टीम के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए श्रीजेश
सारी खबरें हाइलाइट्स में पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें
नई दिल्ली
मैच खत्म होने में आखिरी चंद सेकंड बचे थे। यहां अकसर चूक जाता है भारत। इस बार भी भारतीय डिफेंस से फिर हल्की सी चूक हुई। जर्मन स्ट्राइकर ने पेनल्टी कॉर्नर मिला। मैच खत्म होने में बस अब चंद सेकंड बचे थे। धड़कनें बढ़ गई थीं। भारत के पास 5-4 की बढ़त थी। जर्मनी गोल कर देता तो मुकाबला भारत बराबर हो जाता और फिर पेनल्टी शूटआउट में जाता और फिर कुछ भी हो सकता था। लेकिन यहां श्रीजेश किसी दीवार की तरह खड़े हो गए। गेंद उनके दस्तानों से टकराकर छिटक गई। इतने में हूटर बज गया... उसकी आवाज ऊंची थी... लेकिन भारतीय खिलाड़ियों का जोश उससे ऊंचा। और इसी सबमें खिलाड़ी दौड़ पड़े पारातु रविंद्रन श्रीजेश की ओर।
हमारे पास कई मेडल हैं, लेकिन ओलिंपिक का नहीं, इस सपने के लिए मैंने अपने जीवन में काफी त्याग किए हैं... तोक्यो ओलिंपिक के लिए रवाना होने से पहले ये शब्द थे भारतीय हॉकी के टीम के स्टार गोलकीपर पीआर श्रीजेश के। जब भारतीय हॉकी टीम तोक्यो के लिए रवाना हुई थी तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मेडल का 41 साल का सूखा इसबार खत्म होगा। आज ये लंबा इंतजार भी पूरा हुआ और श्रीजेश का अधूरा सपना भी। अब जब हॉकी टीम तोक्यो में इतिहास बना चुकी है तो इस सफर के हीरो श्रीजेश के योगदान को याद करना जरूरी भी है और उनके प्रदर्शन के साथ न्याय भी।


2006 से सीनियर टीम के साथ
पीआर श्रीजेश को उनके साथी खिलाड़ी टीम की एक मजबूत दीवार मानते हैं। भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने हाल ही में एक न्यूज पोर्टल से बातचीत में कहा था,'आप देख सकते हैं कि वो हर बार हमें जीवनदान देते हैं, इसलिए हम उन्हें दीवार कहकर बुलाते हैं।' श्रीजेश हॉकी टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों में से हैं और साल 2006 से भारत की सीनियर टीम का हिस्सा हैं।


यूं ही नहीं कहा जाता टीम की 'दीवार'
तोक्यो ओलिंपिक में चाहे शुरुआती मुकाबले रहे हों या फिर क्वॉर्टरफाइनल या समीफाइनल जैसे बड़े मैच, श्रीजेश ने हर बार दिखाया है कि उन्हें टीम की 'दीवार' क्यों कहा जाता है। श्रीजेश की बेहतरीन डिफेंस का ही कमाल था कि एकबार जैसे ही भारतीय हॉकी ने जर्मनी पर बढ़त बनाई, दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा। श्रीजेश की बेहतरीन डिफेंस की बदौलत भारतीय टीम गुरुवार को कांस्य पदक जीतने में कामयाब रही।

India vs Germany: भारत ने रचा इतिहास, 41 साल बाद ओलिंपिक में जीता मेडल
रह चुके हैं टीम इंडिया के कैप्टन
श्रीजेश कई बड़े टूर्नमेंट्स में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। साल 2016 में उन्हें भारतीय हॉकी टीम का कप्तान बनाया गया था। रियो ओलिंपिक में उनके नेतृत्व में टीम क्वॉटरफाइनल तक पहुंची थी। वहीं उनके नेतृत्व में 2016 में भारतीय टीम ने चैंपियंस ट्रोफी में सिल्वर मेडल जीता था। इसके अलावा 2011 की एशियन चैंपियंस ट्रोफी के फाइनल में श्रीजेश ने पाकिस्तान के खिलाफ 2 पेनल्टी स्ट्रोक रोककर टीम को खिताबी जीत दिलाई थी। 2014 और 2018 की चैंपियंस ट्रोफी में उन्हें 'गोलकीपर द टूर्नमेंट' भी चुना जा चुका है।

बदल गई द ग्रेट वॉल की परिभाषा, विरोधी टीम के सामने दीवार बनकर खड़े हो जाते हैं ये दो खिलाड़ी
2017 में मिल चुका है पद्मश्री
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हॉकी में अलग मुकाम बना चुके श्रीजेश का लंबे वक्त तक हॉकी से कोई खास जुड़ाव नहीं रहा। रिपोर्ट्स की मानें तो केरल के रहने वाले श्रीजेश बचपन में वॉलीबॉल और लॉन्ग जंप जैसे खेलों में करियर बनाना चाहते थे। हालांकि बाद में उन्होंने भारतीय जूनियर हॉकी टीम में जगह बनाई, उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हॉकी में उनके योगदान के लिए श्रीजेश को 2017 में पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है।
लेखक के बारे में
अनुराग कुमार

अगला लेख

Sportsकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग