नई दिल्ली
घातक कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान देते हुए भारतीय फर्राटा धाविका दुती चंद ने भुवनेश्वर से लगभग 70 किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव के लोगों को खाने का पैकेट बांटे। दुती इस काम के लिए अधिकारियों से विशेष पास लेकर ओडिशा के जाजपुर जिले में अपने गांव चाका गोपालपुर गईं।
दुती ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘इस लॉकडाउन से मेरे गांव के लोगों को बहुत तकलीफ में है। मैं बस उनकी मदद करना चाहती थी। इसलिए, मैंने विशेष पास लिया और शुक्रवार को अपने गांव में करीब 1000 लोगों को भोजन के पैकेट बांटे।’
24 साल की इस धाविका ने कहा, ‘मैंने और मेरे परिवार ने गांव वालों को मेरी यात्रा के बारे में पहले ही बता दिया था। लोग मेरे घर आए और मैंने उन्हें खाने के पैकेट दिए।’ दुती फिलहाल भुवनेश्वर की एक संस्था से ‘बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन’ की पढ़ाई कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं फिर से वहां जाने की योजना बना रही हूं और गांव के लोगों को खाने के और पैकेट दूंगी। गांव में लगभग 5000 लोग हैं और अगली बार मैं वहां 2000 खाने के पैकेट लेकर जाऊंगी।’ उन्होंने कहा कि इस काम में केआईआईटी के संस्थापक और सांसद अच्युता सामंत ने मदद की। दुती ने कहा कि उन्होंने खुद से 50 हजार रुपये खर्च किए और बाकी सामंत की मदद से संभव हुआ।
दुती ने अभी ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ नहीं किया है और वर्ल्ड ऐथलेटिक्स ने इस साल के अंत तक क्वॉलिफिकेशन प्रक्रिया को रोक दिया है। उन्होंने कहा, ‘यह आसान नहीं है लेकिन जब मैं उन मुस्कुराते हुए चेहरों को देखती हूं तो मुझे खुशी होती है। गांव के बड़े बुजुर्गों ने मुझे ओलिंपिक में पदक लाने के लिए आशीर्वाद दिया।’
घातक कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान देते हुए भारतीय फर्राटा धाविका दुती चंद ने भुवनेश्वर से लगभग 70 किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव के लोगों को खाने का पैकेट बांटे। दुती इस काम के लिए अधिकारियों से विशेष पास लेकर ओडिशा के जाजपुर जिले में अपने गांव चाका गोपालपुर गईं।
दुती ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘इस लॉकडाउन से मेरे गांव के लोगों को बहुत तकलीफ में है। मैं बस उनकी मदद करना चाहती थी। इसलिए, मैंने विशेष पास लिया और शुक्रवार को अपने गांव में करीब 1000 लोगों को भोजन के पैकेट बांटे।’
24 साल की इस धाविका ने कहा, ‘मैंने और मेरे परिवार ने गांव वालों को मेरी यात्रा के बारे में पहले ही बता दिया था। लोग मेरे घर आए और मैंने उन्हें खाने के पैकेट दिए।’ दुती फिलहाल भुवनेश्वर की एक संस्था से ‘बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन’ की पढ़ाई कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं फिर से वहां जाने की योजना बना रही हूं और गांव के लोगों को खाने के और पैकेट दूंगी। गांव में लगभग 5000 लोग हैं और अगली बार मैं वहां 2000 खाने के पैकेट लेकर जाऊंगी।’ उन्होंने कहा कि इस काम में केआईआईटी के संस्थापक और सांसद अच्युता सामंत ने मदद की। दुती ने कहा कि उन्होंने खुद से 50 हजार रुपये खर्च किए और बाकी सामंत की मदद से संभव हुआ।
दुती ने अभी ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ नहीं किया है और वर्ल्ड ऐथलेटिक्स ने इस साल के अंत तक क्वॉलिफिकेशन प्रक्रिया को रोक दिया है। उन्होंने कहा, ‘यह आसान नहीं है लेकिन जब मैं उन मुस्कुराते हुए चेहरों को देखती हूं तो मुझे खुशी होती है। गांव के बड़े बुजुर्गों ने मुझे ओलिंपिक में पदक लाने के लिए आशीर्वाद दिया।’