नई दिल्ली
एक चोट ने इंटरनैशनल हॉकी खिलाड़ी रजनी के करियर पर ब्रेक लगा दिया। समय पर सही इलाज नहीं मिलने की वजह से रजनी फिर कभी खेल के मैदान पर वापसी नहीं कर पाईं। सोमवार को अपने दाएं पैर के लीगामेंट की सर्जरी के बाद रजनी दूसरे दिन ही पैरों पर खड़ी हो गईं। इसमें लगातार सुधार भी हो रहा है। रजनी का कहना है कि काश पहले भी ऐसा सेंटर देश में होता, तो आज उनका करियर और बेहतर होता।
ऐसे दर्जनों खिलाड़ियों के लिए अब सफदरजंग स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर वरदान साबित हो रहा है। यहां उभरते प्लेयर्स के साथ-साथ अब नैशनल-इंटरनैशनल खिलाड़ी भी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। हॉकी टीम के कैप्टन पी. आर. श्रीजेश मशल्स मजबूत करने के लिए लगातार यहां आते रहते हैं। सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर दीपक चौधरी ने कहा, 'हम अपने खिलाड़ियों में विश्वास पैदा करने में अब सफल हो रहे हैं। उन्हें न केवल इंटरनैशनल स्तर का इलाज दिया जा रह है, बल्कि आधुनिक तकनीक के साथ बेहतरीन सुविधाएं भी दी जा रही हैं। देश के इस इकलौते स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर में अब तक 12000 जटिल सर्जरी की जा चुकी है। हाल ही में दो और हॉकी खिलाड़ियों के लीगामेंट की सर्जरी की गई है।
सर्जरी के बारे में हरियाणा की रजनी ने बताया, 'साल 2010 में, मैं देश की ओर से अंडर-18 खेल चुकी हूं। उसी दौरान मुझे पहली बार बाएं पैर में लीगामेंट फ्रैक्चर हु्आ था। मैं इलाज के लिए मुंबई गई। खुद फीस दी और इलाज का खर्च भी खुद उठाना पड़ा। किसी ने कोई मदद नहीं की। मेरा करियर रुक गया।' उन्होंने बताया कि रिकवर होने में एक से दो साल लग गए। बीच-बीच में दर्द और सूजन हो जाती है। अब भी यह परेशानी है। इस इंजरी की वजह से वह फिर से इंटरनैशनल स्तर पर नहीं खेल पाईं।
रजनी ने बताया, 'अब मैं रेलवे में जॉब करती हूं और रेलवे के लिए ही खेलती हूं। यहां पर जब चोट लगी तो सभी ने मदद की और मेरा इलाज रेलवे ने किया, फिर वहां से इस सेंटर में रेफर करवाया। यहां के डॉक्टर काफी अच्छे हैं और मैं सर्जरी के दूसरे दिन ही अपने पैरों पर खड़ी हो गई।'
इसी तरह फिरोजपुर (पंजाब) के 22 साल के उभरते हॉकी खिलाड़ी परिवंदर सिंह की लीगामेंट की सर्जरी की गई है। परविंदर ने कहा, 'मुझे तो पता ही नहीं था कि देश में ऐसा कोई सेंटर है, जहां पर केवल स्पोर्ट्स इंजरी का इलाज होता है। यहां की टीम काफी अच्छी है और सुधार से मैं काफी खुश हूं।'
डॉक्टर दीपक चौधरी ने बताया कि ज्यादातर खिलाड़ियों का लीगामेंट टूट जाता। खेल के दौरान जरा भी इधर-उधर होने पर यह टूट जाता है। लीगामेंट घुटने के बीच में होता है और ऊपर और नीचे वाले पैर को कनेक्ट करता है। इसके टूटने से दोनों पैर आपस में घिसने लगते हैं, जिससे दर्द होता है। इसकी सर्जरी के लिए एक्सपर्ट की जरूरत होती है। हर साल 1000 से 1200 सर्जरी होती है। इसमें से 10 से 15 पर्सेंट लीगामेंट फेल होने पर दूसरी बार सर्जरी कराने के लिए आते हैं।
एक चोट ने इंटरनैशनल हॉकी खिलाड़ी रजनी के करियर पर ब्रेक लगा दिया। समय पर सही इलाज नहीं मिलने की वजह से रजनी फिर कभी खेल के मैदान पर वापसी नहीं कर पाईं। सोमवार को अपने दाएं पैर के लीगामेंट की सर्जरी के बाद रजनी दूसरे दिन ही पैरों पर खड़ी हो गईं। इसमें लगातार सुधार भी हो रहा है। रजनी का कहना है कि काश पहले भी ऐसा सेंटर देश में होता, तो आज उनका करियर और बेहतर होता।
ऐसे दर्जनों खिलाड़ियों के लिए अब सफदरजंग स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर वरदान साबित हो रहा है। यहां उभरते प्लेयर्स के साथ-साथ अब नैशनल-इंटरनैशनल खिलाड़ी भी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। हॉकी टीम के कैप्टन पी. आर. श्रीजेश मशल्स मजबूत करने के लिए लगातार यहां आते रहते हैं। सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर दीपक चौधरी ने कहा, 'हम अपने खिलाड़ियों में विश्वास पैदा करने में अब सफल हो रहे हैं। उन्हें न केवल इंटरनैशनल स्तर का इलाज दिया जा रह है, बल्कि आधुनिक तकनीक के साथ बेहतरीन सुविधाएं भी दी जा रही हैं। देश के इस इकलौते स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर में अब तक 12000 जटिल सर्जरी की जा चुकी है। हाल ही में दो और हॉकी खिलाड़ियों के लीगामेंट की सर्जरी की गई है।
सर्जरी के बारे में हरियाणा की रजनी ने बताया, 'साल 2010 में, मैं देश की ओर से अंडर-18 खेल चुकी हूं। उसी दौरान मुझे पहली बार बाएं पैर में लीगामेंट फ्रैक्चर हु्आ था। मैं इलाज के लिए मुंबई गई। खुद फीस दी और इलाज का खर्च भी खुद उठाना पड़ा। किसी ने कोई मदद नहीं की। मेरा करियर रुक गया।' उन्होंने बताया कि रिकवर होने में एक से दो साल लग गए। बीच-बीच में दर्द और सूजन हो जाती है। अब भी यह परेशानी है। इस इंजरी की वजह से वह फिर से इंटरनैशनल स्तर पर नहीं खेल पाईं।
रजनी ने बताया, 'अब मैं रेलवे में जॉब करती हूं और रेलवे के लिए ही खेलती हूं। यहां पर जब चोट लगी तो सभी ने मदद की और मेरा इलाज रेलवे ने किया, फिर वहां से इस सेंटर में रेफर करवाया। यहां के डॉक्टर काफी अच्छे हैं और मैं सर्जरी के दूसरे दिन ही अपने पैरों पर खड़ी हो गई।'
इसी तरह फिरोजपुर (पंजाब) के 22 साल के उभरते हॉकी खिलाड़ी परिवंदर सिंह की लीगामेंट की सर्जरी की गई है। परविंदर ने कहा, 'मुझे तो पता ही नहीं था कि देश में ऐसा कोई सेंटर है, जहां पर केवल स्पोर्ट्स इंजरी का इलाज होता है। यहां की टीम काफी अच्छी है और सुधार से मैं काफी खुश हूं।'
डॉक्टर दीपक चौधरी ने बताया कि ज्यादातर खिलाड़ियों का लीगामेंट टूट जाता। खेल के दौरान जरा भी इधर-उधर होने पर यह टूट जाता है। लीगामेंट घुटने के बीच में होता है और ऊपर और नीचे वाले पैर को कनेक्ट करता है। इसके टूटने से दोनों पैर आपस में घिसने लगते हैं, जिससे दर्द होता है। इसकी सर्जरी के लिए एक्सपर्ट की जरूरत होती है। हर साल 1000 से 1200 सर्जरी होती है। इसमें से 10 से 15 पर्सेंट लीगामेंट फेल होने पर दूसरी बार सर्जरी कराने के लिए आते हैं।