ऐपशहर

गोल्डन चैप्टर से गुजर रहे भारत र‍िश्‍ते, साझा नदियों पर आधारित होगा संबंधों का अगला फेज...नदी कॉन्क्लेव में बोले बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमेन

Assam Latest News: बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए. के. अब्दुल मोमेन (Bangladesh Foreign Minister AK. abdul momen) ने शनिवार को गुवाहाटी पहुंचे। यहां उन्‍होंने 'नदी कॉन्क्लेव 2022' को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश भारत और बांग्लादेश के बीच जलमार्ग मूवमेंट के विस्तार में विश्वास करता है। उन्होंने कहा क‍ि हमें एक विन-विन (दोनों के फायदे वाला सौदा) नदी और जल बंटवारे की व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है।

Edited byसुजीत उपाध्याय | आईएएनएस 28 May 2022, 9:37 pm
गुवाहाटी: बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए. के. अब्दुल मोमेन (Bangladesh Foreign Minister AK. abdul momen) ने शनिवार को कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों का अगला चरण साझा नदियों पर आधारित होगा। भारत और बांग्लादेश 54 नदियों को साझा करते हैं और दोनों देशों की 2,979 किमी भूमि सीमा के साथ ही 1,116 किमी की नदी की सीमा भी है। गुवाहाटी में 'नदी कॉन्क्लेव 2022' को संबोधित करते हुए मोमेन ने कहा कि बांग्लादेश भारत और बांग्लादेश के बीच जलमार्ग मूवमेंट के विस्तार में विश्वास करता है। उन्होंने कहा क‍ि हमें एक विन-विन (दोनों के फायदे वाला सौदा) नदी और जल बंटवारे की व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी नदियों में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक गाद है।
नवभारतटाइम्स.कॉम bangladesh foreign minister visit to india


भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी शिलांग स्थित थिंक-टैंक और रिसर्च ग्रुप एशियन कॉन्फ्लुएंस की ओर से आयोजित 'नदी कॉन्वलेव-2022' में अपने विचार रखे। इस दौरान मोमेन ने कहा क‍ि ऐतिहासिक रूप से, भारत और बांग्लादेश के संबंध मजबूत हैं, जबकि चीन बांग्लादेश का विकास भागीदार है। इसके अलावा, हम भारत के सभी राज्यों के साथ एक मजबूत संबंध विकसित करना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाला की तारीफ

बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंध स्वर्ण युग से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा क‍ि हम आने वाले दशकों में बेहतर संबंधों की आशा कर रहे हैं। यह देखते हुए कि भारत और बांग्लादेश जलवायु परिवर्तन की साझा चुनौतियों को साझा करते हैं, बांग्लादेशी मंत्री ने कहा कि पिछले हफ्ते ही असम, बिहार और बांग्लादेश को एक ही समय में बाढ़ का सामना करना पड़ा था। बांग्लादेशी मंत्री ने आगे कहा क‍ि यह भारत और बांग्लादेश के लिए बाढ़ प्रबंधन में एक साथ काम करने का समय है। यह प्रतिस्पर्धा को सहयोग से बदलने का समय है।

'नदियों की भूमि के रूप में जाना जाता है बांग्‍लादेश'
मोमेन ने कहा कि बांग्लादेश को नदियों की भूमि के रूप में जाना जाता है, क्योंकि सहायक नदियों सहित लगभग 700 नदियां हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 24,140 किमी है, जो दुनिया में सबसे बड़ी में से एक है। उन्होंने कहा क‍ि नदियां बांग्लादेश की बुनियादी जीवन रेखा हैं और देश के सुदूर इलाकों तक पहुंच योग्य हैं, जबकि सड़कों और रेलवे की ऐसी पहुंच नहीं है। बांग्लादेश में, नदियों का हमारी परंपरा, संस्कृति, संगीत, जीवन शैली और आजीविका पर बहुत प्रभाव पड़ता है। यह राजनीति को भी प्रभावित कर सकते हैं। तो, आप समझते हैं कि बांग्लादेश के लिए नदी कितनी महत्वपूर्ण है।

'बांग्लादेश-भारत संबंध अब अपने गोल्डन चैप्टर से गुजर रहे'

बांग्लादेशी विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में अपने द्विपक्षीय संबंधों के 50 साल पूरे करने के ऐतिहासिक मोड़ पर, बांग्लादेश-भारत संबंध अब अपने गोल्डन चैप्टर से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ बांग्लादेश के संबंधों के संबंध में, भौगोलिक निकटता, घनिष्ठ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध और आर्थिक पहलू जैसे कारक बांग्लादेश और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के बीच लगातार बढ़ते बंधन में बहुत योगदान दे रहे हैं।

रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भारत से समर्थन की आस

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ बांग्लादेश के मजबूत जुड़ाव आपस में जुड़े हुए हैं और हमेशा समग्र भारत-बांग्लादेश संबंधों के केंद्र में रहे हैं। यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि बांग्लादेश और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के बीच व्यापार और निवेश और अन्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बड़ी संभावनाएं हैं। मोमेन ने कहा कि बांग्लादेश म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर भी भारत से समर्थन की अपेक्षा करता है। उन्होंने कहा क‍ि उनमें से कई (रोहिंग्या शरणार्थी) मादक पदार्थों की तस्करी और कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं और ये भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए खतरा बन सकते हैं। 2016 से, 860,000 से अधिक रोहिंग्या हिंसा से बचने के लिए म्यांमार से भाग खड़े हुए थे, जिन्होंने दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में कॉक्स बाजार के विभिन्न शिविरों में शरण ली थी।
लेखक के बारे में
सुजीत उपाध्याय
सुजीत उपाध्याय ने एचएनबी गढ़वाल यूनिवर्सिटी श्रीनगर, उत्तराखंड से एमए इन मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद ह‍िन्‍दुस्‍तान और दैन‍िक जागरण मेंं बतौर र‍िपोर्टर काम क‍िया। ज़ी मीड‍िया से ड‍िज‍िटल में शुरुआत। इंड‍िया डॉट कॉम ह‍िंंदी में दो साल काम करने के बाद नवभारत टाइम्‍स ऑनलाइन से जुड़े।... और पढ़ें

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग