गुवाहाटी
असम में 'विदेशी' समझकर हिरासत शिविर में रखी गई 59 साल की महिला को तीन साल बाद रिहा कर दिया गया। पुलिस ने माना है कि वह गलत पहचान की शिकार हुईं। मधुबाला मंडल कोकराझार स्थित अवैध अप्रवासियों के शिविर से रिहा होने के कुछ देर बाद बुधवार शाम को अपनी बेटी के घर लौट आईं।
मधुबाला की रिहाई विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस के यह स्वीकार करने के बाद हुई कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुमाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था। दोनों महिलाएं चिरांग जिले के विष्णुपुर से संबंध रखती हैं।
चिरांग जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुधाकर सिंह ने मीडिया को बताया, 'मुझे जब यह शिकायत मिली कि मधुबाला मंडल गलत पहचान का शिकार हुई हैं और उन्हें हिरासत केन्द्र भेज दिया गया तो मैंने जांच बिठाई और तथ्य सामने आ गए। यह गलत पहचान का मामला था।'
एसपी ने पुलिस मुख्यालय को इसकी सूचना दी और इस कार्रवाई में सुधार के लिए विदेशियों के न्यायाधिकरण गए। उन्होंने कहा, 'न्यायाधिकरण ने 25 जून को उन्हें रिहा करने का आदेश जारी किया।'
असम में 'विदेशी' समझकर हिरासत शिविर में रखी गई 59 साल की महिला को तीन साल बाद रिहा कर दिया गया। पुलिस ने माना है कि वह गलत पहचान की शिकार हुईं। मधुबाला मंडल कोकराझार स्थित अवैध अप्रवासियों के शिविर से रिहा होने के कुछ देर बाद बुधवार शाम को अपनी बेटी के घर लौट आईं।
मधुबाला की रिहाई विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस के यह स्वीकार करने के बाद हुई कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुमाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था। दोनों महिलाएं चिरांग जिले के विष्णुपुर से संबंध रखती हैं।
चिरांग जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुधाकर सिंह ने मीडिया को बताया, 'मुझे जब यह शिकायत मिली कि मधुबाला मंडल गलत पहचान का शिकार हुई हैं और उन्हें हिरासत केन्द्र भेज दिया गया तो मैंने जांच बिठाई और तथ्य सामने आ गए। यह गलत पहचान का मामला था।'
एसपी ने पुलिस मुख्यालय को इसकी सूचना दी और इस कार्रवाई में सुधार के लिए विदेशियों के न्यायाधिकरण गए। उन्होंने कहा, 'न्यायाधिकरण ने 25 जून को उन्हें रिहा करने का आदेश जारी किया।'