आरा: भोजपुर जिले के कृष्णागढ़ थाने के मालखाने में अष्ट धातु की हनुमान जी और रामानुज स्वामी की कीमती मूर्ति को रखा गया था। जमानतदार की तलाश थी, जिसके कारण उनकी रिहाई नहीं हो रही थी। बरसों चले मुकदमे के बाद आखिर वो दिन आ ही गया, जब उनकी थाने से रिहाई हुई। गाजे-बाजे के साथ भगवान को पुलिसकर्मियों ने विदा किया।
थाने के मालखाने में कैद अष्टधातु निर्मित हनुमानजी और रामानुज स्वामी की कीमती मूर्ति को मंगलवार शाम बाहर निकाला गया। इसके बाद गाजे-बाजे के बीच जयकारे के साथ ऐतिहासिक श्री रंगनाथ मंदिर लाया गया। ये मूर्तियां चोरों से बरामद हुई थी, तब से थाने के मालखाने में ही पड़ी रहीं। ये मूर्ति कृष्णागढ़ थाना क्षेत्र के गुंडी गांव के ऐतिहासिक श्री रंगनाथ मंदिर की थी, जिसको चोरों ने साल 1994 के जून महीने में चुरा लिया था। पुलिस ने तेजी से छानबीन की और महज एक सप्ताह के भीतर गौसगंज के एक बगीचे के कुएं से चोरी हुई मूर्तियों को बरामद कर लिया।
1994 में इन कीमती मूर्तियों की जमानत के लिए 42 लाख के जमानतदार की मांग की गई। तब जमानतदार नहीं मिलने से मूर्तियां कृष्णगढ़ थाने के मालखाने में पड़ी रहीं। काफी लंबे चले मुकदमे के बाद आदेश मिला, अब जाकर इन्हें थाने के मालखाने से निकाला गया। बरसों तक इंतजार करने के बाद आखिर एक बार फिर वो घड़ी आ ही गई, जब भगवान अपने मंदिर में चले गए।
जैसे ही भगवान को रिहा होने की खबर ग्रामीणों को लगी हजारों की संख्या में ग्रामीण थाने पहुंच गए। वहां पूरे विधि-विधान से वैदिक मंत्रोचार के बाद थाने के मालखाने से हनुमान जी और रामानुज स्वामी को बाहर निकाला गया। पालकी पर बैठाकर गाजे-बजे के साथ उनको थाने से विदा किया गया। इस दौरान ढोल-नगाड़े के बीच जय श्रीराम और जय हनुमान के जय घोष से पूरा इलाका गुंजायमान हो गया। पुलिसकर्मी भी भगवान जी को विदा करते समय काफी भावुक हो गए।
कैद से भगवान की रिहाई!
थाने के मालखाने में कैद अष्टधातु निर्मित हनुमानजी और रामानुज स्वामी की कीमती मूर्ति को मंगलवार शाम बाहर निकाला गया। इसके बाद गाजे-बाजे के बीच जयकारे के साथ ऐतिहासिक श्री रंगनाथ मंदिर लाया गया। ये मूर्तियां चोरों से बरामद हुई थी, तब से थाने के मालखाने में ही पड़ी रहीं। ये मूर्ति कृष्णागढ़ थाना क्षेत्र के गुंडी गांव के ऐतिहासिक श्री रंगनाथ मंदिर की थी, जिसको चोरों ने साल 1994 के जून महीने में चुरा लिया था। पुलिस ने तेजी से छानबीन की और महज एक सप्ताह के भीतर गौसगंज के एक बगीचे के कुएं से चोरी हुई मूर्तियों को बरामद कर लिया।
तब नहीं मिले थे जमानतदार
1994 में इन कीमती मूर्तियों की जमानत के लिए 42 लाख के जमानतदार की मांग की गई। तब जमानतदार नहीं मिलने से मूर्तियां कृष्णगढ़ थाने के मालखाने में पड़ी रहीं। काफी लंबे चले मुकदमे के बाद आदेश मिला, अब जाकर इन्हें थाने के मालखाने से निकाला गया। बरसों तक इंतजार करने के बाद आखिर एक बार फिर वो घड़ी आ ही गई, जब भगवान अपने मंदिर में चले गए।
पुलिसकर्मियों ने किया 'भगवान' को विदा
जैसे ही भगवान को रिहा होने की खबर ग्रामीणों को लगी हजारों की संख्या में ग्रामीण थाने पहुंच गए। वहां पूरे विधि-विधान से वैदिक मंत्रोचार के बाद थाने के मालखाने से हनुमान जी और रामानुज स्वामी को बाहर निकाला गया। पालकी पर बैठाकर गाजे-बजे के साथ उनको थाने से विदा किया गया। इस दौरान ढोल-नगाड़े के बीच जय श्रीराम और जय हनुमान के जय घोष से पूरा इलाका गुंजायमान हो गया। पुलिसकर्मी भी भगवान जी को विदा करते समय काफी भावुक हो गए।