नई दिल्ली : बिहार के जहानाबाद जेल पर 18 साल पहले माओवादियों ने हमला किया था। इस पर हाल ही में एक वेब सीरीज आई है, जिसका नाम है जहानाबाद- ऑफ लव एंड वॉर (Jehanabad of love & war)। पिछले कुछ महीने में क्राइम और पॉलिटिक्स पर आधारित कई वेब सीरीज आई हैं। यह वेब सीरीज चर्चा में क्यों है? आखिर जहानाबाद जेल पर हमले की क्या थी कहानी?
जेल में बंद अजय कानू और कई माओवादी नेताओं को छुड़ा लिया गया था। आरोप है कि उस वक्त जेल में करीब 660 कैदी थे। माओवादियों के अटैक के दौरान करीब 350 कैदी वहां से फरार हो गए थे। हमले में कई पुलिसकर्मी भी मारे गए थे। घटना के अगले दिन जेल के पास भारी भीड़ जमा हो गई थी। लोग सरकार से नाराज थे। जेल के बाहर सरकार के खिलाफ जबर्दस्त नारेबाजी हुई थी।
जहानाबाद के बाथे में बहुत बड़ा नरसंहार हुआ था, जहां 1997 में 60 दलितों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में रणवीर सेना पर आरोप लगा था। शिवानंद तिवारी बताते हैं कि घटना के बाद वह खुद पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के साथ मौके पर गए थे।
वेब सीरीज की कहानी के मुताबिक, नक्सल नेता जेल में बंद है और उसे वहां से छुड़ाने के लिए जेल पर अटैक की साजिश रची जाती है। फिल्मी कहानी की लव स्टोरी के तहत एक कॉलेज के प्रफेसर और उनकी स्टूडेंट के बीच लव स्टोरी भी चल रही है। जेल अटैक की साजिश और लव स्टोरी दोनों कहानी साथ-साथ चल रही हैं, लेकिन बाद में एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं।
ये है मामला
साल 2005 की घटना है। 13 नवंबर की रात जहानाबाद जेल पर हमला हुआ। गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरे शहर में दहशत फैल गई थी। सैकड़ों माओवादियों ने जहानाबाद सिटी हेडक्वॉर्टर में मौजूद जेल पर हमला कर दिया था। आरोप है कि नक्सलियों ने अपने नेता अजय कानू को जेल से छुड़ाने के लिए हमला किया था। रात 9 बजे के करीब जेल पर हमला हुआ था।जेल में बंद अजय कानू और कई माओवादी नेताओं को छुड़ा लिया गया था। आरोप है कि उस वक्त जेल में करीब 660 कैदी थे। माओवादियों के अटैक के दौरान करीब 350 कैदी वहां से फरार हो गए थे। हमले में कई पुलिसकर्मी भी मारे गए थे। घटना के अगले दिन जेल के पास भारी भीड़ जमा हो गई थी। लोग सरकार से नाराज थे। जेल के बाहर सरकार के खिलाफ जबर्दस्त नारेबाजी हुई थी।
पहले नक्सल नेता
RJD के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने बताया कि बिहार में इसकी शुरुआत देखा जाए तो साल 1967 में हुई थी। भोजपुर इलाके में बोगस वोटिंग को रोकने के लिए जगदीश मास्टर ने आवाज उठाई और दबंगों ने उनकी पिटाई की थी। उन्होंने इसके खिलाफ आवाज बुलंद की। इस तरह देखा जाए तो वह पहले नक्सल नेता बने थे।दशकों चला संघर्ष
माओवादियों और रणवीर सेना के बीच हिंसक संघर्ष दशकों तक चला। माओवादियों का दावा था कि जमींदारों ने उनका शोषण किया है। जमींदारों ने रणवीर सेना बनाई थी। उनका कहना था कि नक्सलियों से सुरक्षा के लिए उन्होंने रणवीर सेना बनाई है। दशकों तक बिहार में यह सब चला था। बाद में मंडल कमिशन आने और बातचीत से खूनी संघर्ष पर विराम लगा।जहानाबाद के बाथे में बहुत बड़ा नरसंहार हुआ था, जहां 1997 में 60 दलितों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में रणवीर सेना पर आरोप लगा था। शिवानंद तिवारी बताते हैं कि घटना के बाद वह खुद पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के साथ मौके पर गए थे।
क्राइम स्टोरी के साथ लव
जहानाबाद जेल ब्रेक कांड पर आधारित जहानाबाद- ऑफ लव एंड वॉर वेब सीरीज बनाई है सुधीर मिश्रा ने। बिहार में अपराधियों के बोलबाले और माओवादियों के जेल ब्रेक कांड पर आधारित इस वेब सीरीज में फिल्मकार ने एक लव स्टोरी भी गढ़ी है। हालांकि इसका सच्चाई से सरोकार नहीं है।वेब सीरीज की कहानी के मुताबिक, नक्सल नेता जेल में बंद है और उसे वहां से छुड़ाने के लिए जेल पर अटैक की साजिश रची जाती है। फिल्मी कहानी की लव स्टोरी के तहत एक कॉलेज के प्रफेसर और उनकी स्टूडेंट के बीच लव स्टोरी भी चल रही है। जेल अटैक की साजिश और लव स्टोरी दोनों कहानी साथ-साथ चल रही हैं, लेकिन बाद में एक-दूसरे से जुड़ जाती हैं।