पटना
बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर विपक्षी दलों के महागठबंधन में फूट स्पष्ट दिखने लगी है। इसमें शामिल दो प्रमुख पार्टियां आरजेडी और कांग्रेस अब किसी भी परिस्थिति में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस उपचुनाव में ‘एकला चलो’ की नीति के जरिए न केवल अपनी ताकत आंकना चाहती है बल्कि अपनी खोई जमीन को वापस भी पाना चाहती है।
उपचुनाव में कांग्रेस-आरजेडी के बीच दिखेगी टक्कर
कांग्रेस ने जब स्टार प्रचारकों की सूची जारी की थी तब उसमें यादव जाति से आने वाले किसी नेता का नाम नहीं था। इसको लेकर सवाल उठाए जाने लगे तब कांग्रेस ने शुक्रवार को दोनों सीटों के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति का ऐलान की। अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के फैसले के अनुसार, कुशेश्वरस्थान से पूर्व सांसद रंजीत रंजन को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है, जबकि तारापुर विधानसभा क्षेत्र से चंदन यादव को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इसे भी पढ़ें:- बिहार में इस बार 3 फेज में धान खरीद की तैयारी, 1 नवंबर से होगी शुरुआत, किसानों के लिए अच्छी खबर
कांग्रेस ने क्यों अपनाई ये रणनीति
माना जा रहा है कि कांग्रेस ने इस तरह इन दोनों सीटों पर यादव जाति से आने वाले दो नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंप कर अपनी मंशा जाहिर कर दी। पार्टी ये साफ जताना चाहती है कि वह फिलहाल पीछे हटने के मूड में नहीं है। पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आरजेडी विपक्षी दलों के महागठबंधन के तहत चुनाव मैदान में उतरे थे। जिसमें कुशेश्वरस्थान सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर आई थी जबकि तारापुर से आरजेडी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर थे।
कांग्रेस आंकना चाहती है अपनी ताकत
इस उपचुनाव में आरजेडी ने पहले ही दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया। जिससे कांग्रेस नाराज हो गई और उसने भी दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए। कांग्रेस ने न केवल आरजेडी के सबसे मजबूत आधार माने जाने वाले वोट बैंक मुस्लिम, यादव (एमवाई) समीकरण को साधने के लिए एक खास रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है, बल्कि इसी बहाने कांग्रेस अपनी ताकत भी आंकना चाहती है।
जानिए कांग्रेस नेताओं की उपचुनाव को लेकर क्या है तैयारीकांग्रेस के एक नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा कि यादव वोट बैंक में सेंधमारी को लेकर कांग्रेस पीछे नहीं हटना चाहती है। कांग्रेस सवर्ण मतदाताओं को भी अपनी ओर आकर्षित करने की तैयारी में है। यही कारण है कि कांग्रेस के 20 सदस्यीय स्टार प्रचारकों की सूची में पांच भूमिहार, तीन ब्राह्मण, दो राजपूत और एक कायस्थ नेता का नाम शामिल है। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ भी कहते हैं कि कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ उपचुनाव में उतर रही है। पार्टी शुरू से ही समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने पर विश्वास करती रही है।
बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर विपक्षी दलों के महागठबंधन में फूट स्पष्ट दिखने लगी है। इसमें शामिल दो प्रमुख पार्टियां आरजेडी और कांग्रेस अब किसी भी परिस्थिति में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस उपचुनाव में ‘एकला चलो’ की नीति के जरिए न केवल अपनी ताकत आंकना चाहती है बल्कि अपनी खोई जमीन को वापस भी पाना चाहती है।
उपचुनाव में कांग्रेस-आरजेडी के बीच दिखेगी टक्कर
कांग्रेस ने जब स्टार प्रचारकों की सूची जारी की थी तब उसमें यादव जाति से आने वाले किसी नेता का नाम नहीं था। इसको लेकर सवाल उठाए जाने लगे तब कांग्रेस ने शुक्रवार को दोनों सीटों के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति का ऐलान की। अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के फैसले के अनुसार, कुशेश्वरस्थान से पूर्व सांसद रंजीत रंजन को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है, जबकि तारापुर विधानसभा क्षेत्र से चंदन यादव को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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कांग्रेस ने क्यों अपनाई ये रणनीति
माना जा रहा है कि कांग्रेस ने इस तरह इन दोनों सीटों पर यादव जाति से आने वाले दो नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंप कर अपनी मंशा जाहिर कर दी। पार्टी ये साफ जताना चाहती है कि वह फिलहाल पीछे हटने के मूड में नहीं है। पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आरजेडी विपक्षी दलों के महागठबंधन के तहत चुनाव मैदान में उतरे थे। जिसमें कुशेश्वरस्थान सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर आई थी जबकि तारापुर से आरजेडी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर थे।
कांग्रेस आंकना चाहती है अपनी ताकत
इस उपचुनाव में आरजेडी ने पहले ही दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया। जिससे कांग्रेस नाराज हो गई और उसने भी दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए। कांग्रेस ने न केवल आरजेडी के सबसे मजबूत आधार माने जाने वाले वोट बैंक मुस्लिम, यादव (एमवाई) समीकरण को साधने के लिए एक खास रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है, बल्कि इसी बहाने कांग्रेस अपनी ताकत भी आंकना चाहती है।
जानिए कांग्रेस नेताओं की उपचुनाव को लेकर क्या है तैयारीकांग्रेस के एक नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा कि यादव वोट बैंक में सेंधमारी को लेकर कांग्रेस पीछे नहीं हटना चाहती है। कांग्रेस सवर्ण मतदाताओं को भी अपनी ओर आकर्षित करने की तैयारी में है। यही कारण है कि कांग्रेस के 20 सदस्यीय स्टार प्रचारकों की सूची में पांच भूमिहार, तीन ब्राह्मण, दो राजपूत और एक कायस्थ नेता का नाम शामिल है। बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ भी कहते हैं कि कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ उपचुनाव में उतर रही है। पार्टी शुरू से ही समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने पर विश्वास करती रही है।