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कलयुग के श्रवण कुमार! पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए बेटे ने खर्च कर डाला खजाना, 25 हजार लोग दे रहे दुआएं

Son fulfilled father wish : कलुआही प्रखंड के नरार पश्चिमी पंचायत में पूर्व उपसरपंच विजय प्रकाश झा उर्फ सुधीर झा ने अपने दिवंगत पिता महादेव झा की आखिरी इच्छा पूर्ण करने में करीब पांच लाख की लागत से पुल बनाकर समाज को समर्पित किया है।

Lipi 14 Jun 2022, 12:50 am
प्रशांत झा, मधुबनी: सुबह से सांझ होइ आई, कोई शेर शिकार नहीं आई, अब ताल भरा हैं हमारे, श्रवण सुन लाल हमारे, प्यासे हैं नीर पीला रे। ये कहानी त्रेता युग की है। शांतनु अपने बेटे श्रवण कुमार से कहते हैं। लेकिन ये त्रेता युग की बात हैं। जहां श्रवण कुमार हुए थे। लेकिन कलयुग में भी श्रवण कुमार देखने को मिलते हैं। मामला मधुबनी जिला के कलुआही प्रखंड का हैं। जहां एक सामान्य परिवार का बेटा अपने पिता की अंतिम इच्छा को पूर्ण करने के लिए सब कुछ दाव पर लगा दिया है।
नवभारतटाइम्स.कॉम madhubani


कलुआही प्रखंड के नरार पश्चिमी पंचायत में पूर्व उपसरपंच विजय प्रकाश झा उर्फ सुधीर झा ने अपने दिवंगत पिता महादेव झा की आखिरी इच्छा पूर्ण करने में करीब पांच लाख की लागत से पुल बनाकर समाज को समर्पित किया है। उनके पिता एक दिन बरसात के समय में अपने बगीचे एवं खेत देखने जा रहे थे। उसी क्रम में रास्ते में सड़क पर गड्ढे में पुल नहीं होने से वह से कीचड़ भरे पानी में फिसल कर गिर पड़े। उस समय उनको इस बात का काफी दुख महसूस हुआ।

उन्होंने अपने बड़े बेटे विजय प्रकाश झा उर्फ सुधीर झा को बुलाया और कहा की तुम संकल्प करो की मेरे मरने के बाद तुम सिर्फ कर्म कर देना और समाज में भोज नहीं करना। उस भोज के पैसे से समाज के लिए उस महत्वपूर्ण सड़क पर एक पुल मेरे याद में बना देना। उन्होंने कहा था कि दोनों सड़क के बीच में पानी और कीचड़ भरे जगह पर पुल बन जाने से दोनों सड़क आपस में मिल जाएगा और लोगों को आवागमन में काफी सुविधा होगी। इससे लगभग 25 हजार की आबाद को नरार गांव सहित विभिन्न इलाकों में आने जाने में काफी सहूलियत होगी।

उनके बड़े बेटे विजय प्रकाश झा उर्फ सुधीर झा ने प्रण ले रखा था कि पिता के देहांत के बाद यह पुल बनाना सबसे पहली प्राथमिकता उनके जीवन का होगा। 2020 में उनके पिताजी का देहांत हो गया। उन्होंने बताया कि बीच के 2 साल कोरोना काल विश्व एवं भारत त्राहिमाम कर रहा था। जिस वजह से पुल निर्माण कार्य नहीं हो सका। उन्होंने बताया कि जैसे ही करोना काल से देश उबरा तो उन्होंने मिस्त्री रखकर तुरंत पुल निर्माण का कार्य शुरू कर पूरी तरह से पुल निर्माण पूरा कर दिया। पुल से लोगों का आवागमन शुरू हो चुका है। उन्होंने अपने दिवंगत पिता महादेव झा के नाम का पुल पर बोर्ड लगा कर समाज को समर्पित कर दिया।
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इस पंचायत के मुखिया जितेन्द्र कुमार ने कहा पुल के लिये मंत्री विधायक सांसद को कहा लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। मुखिया ने कहा युवक विजय ने दिवंगत पिता की याद में पुल बनाकर समाज के लिए एक उदाहरण पेश किया है। लोग भोज में लाखों खर्च करते हैं लेकिन समाज के लिए कुछ नहीं कर पाते हैं। ग्रामीण ने बताया कि भूतपूर्व सरपंच विजय प्रकाश झा ने अपने निजी स्तर से करीब 5 लाख का पूल बनाकर समाज को समर्पित कर लोगों के लिए एक विकास को लेकर समाज में मिसाल कायम करते हुए एक अच्छा संदेश देने का काम किया है।

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