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Bihar Flood: साहब! गंडक ने तो गांव और बधार सब कुछ उजाड़ दिया, अब दो मुट्ठी अनाज के लिए जद्दोजहद

बिहार में बाढ़ (Flood in Bihar) की तबाही से बेचैन लोग किसी तरह जान बचाकर अभी भी ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। ऐसे लोग अपनी जिन्दगी को तो सुरक्षित कर रहे हैं लेकिन भूख की मार से बेजार लोगों को दो मुट्ठी अनाज के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 8 Aug 2020, 4:21 pm

हाइलाइट्स

  • बाढ़ का पानी धरफरी गांव के महादलित परिवारों की तीन दर्जन झोपड़ियों को बहाकर ले गई।
  • गंडक ने तो गांव और बधार सब कुछ उजाड़ दिया है। हम लोग तो अब गांव के बाहर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं: बाढ़ पीड़िता।
  • इलाकों में सामुदायिक रसोई चल रही है लेकिन वहां से एक समय का ही भोजन दिया जा रहा है: बाढ़ प्रभावित गांव के लोग।
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फाइल फोटो
मुजफ्फरपुर
बिहार में आई बाढ़ से अब 38 में से 16 जिले चपेट में आ चुके हैं। कई जिलों में अब बाढ़ का पानी कुछ कम हुआ है, लेकिन अभी भी लोग दो मुट्ठी अनाज के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। मुजफ्फरपुर जिले के भरतुआ में बागमती नदी और धरफ री गांव में गंडक नदी के पानी में आया उफान भले ही अब कुछ शांत हो गया हो लेकिन बाढ़ के कारण पैदा हुईं मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। बाढ़ की तबाही से बेचैन लोग किसी तरह जान बचाकर अभी भी ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। ऐसे लोग अपनी जिन्दगी को तो सुरक्षित कर रहे हैं लेकिन भूख की मार से बेजार लोगों को दो मुट्ठी अनाज के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। आशियाना के नाम पर ऐसे लोग ‘ढमकोल’ की चारदीवारी और पॉलिथिन से छत बनाकर पूरे परिवार के साथ दिन गुजार रहे हैं। कई अन्य वर्षों की तरह इस साल भी मुजफ्फरपुर में बाढ़ ने कहर बरपाया है। यहां के 14 प्रखंडों के 240 पंचायतों में गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, लखनदेई, वाया सहित कई छोटी नदियों ने जमकर कहर ढाया है।

मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड के कुछ गांवों में नदी की धार कहर बरपा कर कुछ कम हुई है, लेकिन आज भी इस गांव में एक से दो फीट पानी है और ऐसे हालातों में ही लोग अपनी जिन्दगी की गाड़ी को खींच रहे हैं। धरफरी गांव के महादलित परिवारों की तीन दर्जन झोपड़ियों को बाढ़ का पानी बहाकर ले गया, तब से ये परिवार खनाबदोशों की तरह जिंदगी गुजार रहे हैं।

'गंडक ने तो गांव और बधार सब कुछ उजाड़ दिया'
गांव की रहने वाली अंजना देवी कहती हैं कि गंडक ने तो गांव और बधार सब कुछ उजाड़ दिया है। हम लोग तो अब गांव के बाहर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। वे कहती हैं कि अबोध बच्चों के लिए ना दूध मिल पा रहा है ना ही बुर्जुगों के लिए दवा उपलब्ध हो पा रही है, हम लोग दो मुट्ठी अनाज के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। सब नेता वोट मांगने आते हैं लेकिन हर बाढ़ की तरह इस साल की बाढ़ में भी कोई नेता अब तक नहीं आया।

'सामुदायिक रसोई से मिल रहा एक वक्त का भोजन'
इधर, गांव के लेाग जिला प्रशासन के उस दावे को भी खोखला बता रहे हैं, जिसमें प्रशासन ने राहत सामग्री बांटने की बात कही है। भरतुआ, बेनीपुर, मोहनपुर, विजयी छपरा गांवों के कई परिवारों के लोग अभी भी ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। बाढ़ पीड़ितों के लिए शरणस्थली बनी कुछ जगहों में बुनियादी सुविधाएं नहीं है। गांव के लोगों का कहना है कि इलाकों में सामुदायिक रसोई चल रही है लेकिन वहां से एक समय का ही भोजन दिया जा रहा है। अब अपनी समस्याओं को लेकर लोग सड़कों पर भी उतरने लगे हैं। विजयी छपरा सहित आसपास के गांव के लोगों ने दो दिन पहले राष्ट्रीय राजमार्ग 77 को अवरूद्घ कर बाढ़ पीड़ितों को सहायता देने की मांग की थी।

'बाढ़ ने फसल तो बर्बाद कर दी, अब आशियाना बचाने में लगे हैं'
वहीं शुक्रवार को मुजफ्फरपुर-दरभंगा रोड को बाढ़ पीड़ितों ने जाम कर दिया था। मोहनपुर गांव के रामेश्वर कहते हैं कि आधे से ज्यादा खेतों में लगी फसलें बाढ़ के पानी में डूबकर बर्बाद हो गई हैं। अब बची-खुची फ सल बचाने के लिए लोग अपनी जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं। वे कहते हैं कि खेत में लगी फसल तो बर्बाद हो गई है लेकिन अब आशियाना ना बहे, इसके लिए जतन किए जा रहे हैं। इधर, सरकार खेतों में बर्बाद हुई फसल का सर्वेक्षण कराने में जुटी है।

बाढ़ से 40 से 70 प्रतिशत फसलों को हुआ नुकसान: जिला कृषि विभागमुजफ्फरपुर कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामकृष्ण पासवान भी मानते हैं कि बाढ़ से फसलों को खासा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि जिले में 40 से 70 प्रतिशत फसलों को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि नुकसान का सर्वे कराया जा रहा है, उसके बाद ही नुकसान का सही आंकड़ा सामने आ पाएगा। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बाढ़ से मुजफ्फरपुर जिले की 14 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है। जिला प्रशासन का दावा है कि जिले के बाढ़ प्रभवित इलाकों में 348 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं, जिसमें 2.41 लाख से अधिक लोग प्रतिदिन भोजन कर रहे हैं।

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