मुजफ्फरपुर
पटना हाईकोर्ट ने जुलाई महीने में बिहार सरकार को यह निर्देश दिया था कि वह पता करे कि राज्य के सरकारी स्कूलों में कितने अधिकारियों के बच्चे पढ़ते हैं। अब इस मामले में जिलों से रिपोर्ट सामने आने लगी हैं। मुजफ्फरपुर जिले की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके मुताबिक जिले में 250 से ज्यादा सरकारी अधिकारी, क्लास-1 और 2 के अफसर हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी या अफसर का बच्चा सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ता है।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद जिले से सभी सरकारी स्कूलों में जांच कराई गई। जिले में कार्यरत प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी के अलावा क्लास-1 और क्लास-2 के अधिकारियों के कितने बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं, इस बात की जांच की गई। जांच के दौरान किसी भी अधिकारी के बच्चे का रिकॉर्ड टीम को नहीं मिला। जांच टीम खाली हाथ रही।
अपर मुख्य सचिव को भेजी गई रिपोर्ट
जांच टीम ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए जिला शिक्षा विभाग की भी मदद ली। जिसके बाद सभी आंकड़ों को एकत्रित कर रिपोर्ट तैयार की और तीन अगस्त को इस रिपोर्ट को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेज दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले में कार्यरत किसी भी आईएएस, आईपीएस या क्लास-1 और क्लास-2 के अधिकारी का बच्चा किसी भी प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय (सरकारी स्कूल) में नहीं पढ़ता है। अब मुख्य सचिव इस रिपोर्ट को हाई कोर्ट में पेश करेंगे।
पटना हाई कोर्ट ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर जाहिर की थी नाराजगी
दरअसल 15 जुलाई को पटना हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्य में सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर की थी। जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय ने तब राज्य सरकार को यह बताने को आदेश दिया था कि कितने आईएएस, आईपीएस और अन्य बड़े अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में शिक्षा पढ़ रहे हैं, इसकी जानकारी उपलब्ध कराएं।
पटना हाईकोर्ट ने जुलाई महीने में बिहार सरकार को यह निर्देश दिया था कि वह पता करे कि राज्य के सरकारी स्कूलों में कितने अधिकारियों के बच्चे पढ़ते हैं। अब इस मामले में जिलों से रिपोर्ट सामने आने लगी हैं। मुजफ्फरपुर जिले की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके मुताबिक जिले में 250 से ज्यादा सरकारी अधिकारी, क्लास-1 और 2 के अफसर हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी या अफसर का बच्चा सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ता है।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद जिले से सभी सरकारी स्कूलों में जांच कराई गई। जिले में कार्यरत प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी के अलावा क्लास-1 और क्लास-2 के अधिकारियों के कितने बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं, इस बात की जांच की गई। जांच के दौरान किसी भी अधिकारी के बच्चे का रिकॉर्ड टीम को नहीं मिला। जांच टीम खाली हाथ रही।
अपर मुख्य सचिव को भेजी गई रिपोर्ट
जांच टीम ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए जिला शिक्षा विभाग की भी मदद ली। जिसके बाद सभी आंकड़ों को एकत्रित कर रिपोर्ट तैयार की और तीन अगस्त को इस रिपोर्ट को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेज दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले में कार्यरत किसी भी आईएएस, आईपीएस या क्लास-1 और क्लास-2 के अधिकारी का बच्चा किसी भी प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय (सरकारी स्कूल) में नहीं पढ़ता है। अब मुख्य सचिव इस रिपोर्ट को हाई कोर्ट में पेश करेंगे।
पटना हाई कोर्ट ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर जाहिर की थी नाराजगी
दरअसल 15 जुलाई को पटना हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्य में सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर की थी। जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय ने तब राज्य सरकार को यह बताने को आदेश दिया था कि कितने आईएएस, आईपीएस और अन्य बड़े अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में शिक्षा पढ़ रहे हैं, इसकी जानकारी उपलब्ध कराएं।