प्रणय राज,नालंदा
नालंदा पुलिस एक बार कैदी को जेल से अस्पताल लेकर पहुंच गई उसके बाद वो कानून की किताब के सारे चैप्टर भूल जाती है। कैदी अस्पताल में क्या करता है इससे पुलिस को कोई मतलब नहीं होता। नालंदा सदर अस्पताल से आई एक तस्वीर को देखने के बाद तो कुछ ऐसा ही लग रहा है। अस्पताल में कैदी और हाथ में मोबाइल
जिस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में जनता दरबार में फरियादियों की शिकायत सुन रहे थे, करीब-करीब उसी वक्त उनके गृह जिले के नालंदा सदर अस्पताल में सोमवार को दिलचस्प नजारा देखने को मिला। यहां हथकड़ी लगाए बंदी आराम से इमरजेंसी में बेड पर लेटा था। तीन पुलिसवाले उसकी सुरक्षा के लिए पास में ही बैठे थे। इधर पुलिसवाले आपस में बातचीत कर रहे थे और उधर कैदी आराम से मोबाइल पर किसी से बात कर रहा था। हद देखिए कि कैदी के पास एक नहीं बल्कि दो-दो एंड्रायड मोबाइल फोन थे।
अस्पताल में खुलेआम मोबाइल चार्ज कर रहा था कैदी
अस्पताल में कैदी आशुतोष कुमार अपने दोनों मोबाइल बारी-बारी से चार्ज कर रहा था और जिसे चाहे फोन भी लगा रहा था। लेकिन इसी बीच किसी ने उसकी मोबाइल पर बात करने की तस्वीर खींच ली।
यानि जेल में भी होगा मोबाइल?
जिस तरह से कैदी आशुतोष कुमार अस्पताल में मोबाइल लिए हुए था उससे देखते ही साफ हो गया था कि ये मोबाइल वो वापस जेल में भी लेकर पहुंच जाएगा। जालसाजी के आरोपी कैला गांव निवासी आशुतोष कुमार को नगरनौसा पुलिस जांच के लिए सदर अस्पताल लेकर आयी थी। आरोपी निजी अस्पताल में चिकित्सक था। जांच के लिए उसे अस्पताल भेजा गया था। इधर, उसकी पत्नी का आरोप है कि पति को गलत तरीके से फंसाया गया है। केस कमजोर करने के लिए पुलिस ने उससे रुपये की मांग की। लेकिन पत्नी को ये पता ही नहीं कि उसके कैदी पति के पास मोबाइल कहां से आया।
पुलिस दे रही अलग सफाई
लेकिन थाना प्रभारी नारदमुनी सिंह ने महिला के आरोप को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि जमीन के मामले में धोखाधड़ी का आरोप है। उसके खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने गुप्त सूचना पर उसे बिहारशरीफ से गिरफ्तार किया है। मेडिकल जांच के बाद उसे न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया है।
नालंदा पुलिस एक बार कैदी को जेल से अस्पताल लेकर पहुंच गई उसके बाद वो कानून की किताब के सारे चैप्टर भूल जाती है। कैदी अस्पताल में क्या करता है इससे पुलिस को कोई मतलब नहीं होता। नालंदा सदर अस्पताल से आई एक तस्वीर को देखने के बाद तो कुछ ऐसा ही लग रहा है।
जिस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में जनता दरबार में फरियादियों की शिकायत सुन रहे थे, करीब-करीब उसी वक्त उनके गृह जिले के नालंदा सदर अस्पताल में सोमवार को दिलचस्प नजारा देखने को मिला। यहां हथकड़ी लगाए बंदी आराम से इमरजेंसी में बेड पर लेटा था। तीन पुलिसवाले उसकी सुरक्षा के लिए पास में ही बैठे थे। इधर पुलिसवाले आपस में बातचीत कर रहे थे और उधर कैदी आराम से मोबाइल पर किसी से बात कर रहा था। हद देखिए कि कैदी के पास एक नहीं बल्कि दो-दो एंड्रायड मोबाइल फोन थे।
अस्पताल में खुलेआम मोबाइल चार्ज कर रहा था कैदी
अस्पताल में कैदी आशुतोष कुमार अपने दोनों मोबाइल बारी-बारी से चार्ज कर रहा था और जिसे चाहे फोन भी लगा रहा था। लेकिन इसी बीच किसी ने उसकी मोबाइल पर बात करने की तस्वीर खींच ली।
यानि जेल में भी होगा मोबाइल?
जिस तरह से कैदी आशुतोष कुमार अस्पताल में मोबाइल लिए हुए था उससे देखते ही साफ हो गया था कि ये मोबाइल वो वापस जेल में भी लेकर पहुंच जाएगा। जालसाजी के आरोपी कैला गांव निवासी आशुतोष कुमार को नगरनौसा पुलिस जांच के लिए सदर अस्पताल लेकर आयी थी। आरोपी निजी अस्पताल में चिकित्सक था। जांच के लिए उसे अस्पताल भेजा गया था। इधर, उसकी पत्नी का आरोप है कि पति को गलत तरीके से फंसाया गया है। केस कमजोर करने के लिए पुलिस ने उससे रुपये की मांग की। लेकिन पत्नी को ये पता ही नहीं कि उसके कैदी पति के पास मोबाइल कहां से आया।
पुलिस दे रही अलग सफाई
लेकिन थाना प्रभारी नारदमुनी सिंह ने महिला के आरोप को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि जमीन के मामले में धोखाधड़ी का आरोप है। उसके खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने गुप्त सूचना पर उसे बिहारशरीफ से गिरफ्तार किया है। मेडिकल जांच के बाद उसे न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया है।