ऐपशहर

जेपी की जन्मस्थली पर अमित शाह के दौरे के मायने, जानिए सिताब दियारा से इस बार क्या शंखनाद करने जा रही बीजेपी

Amit Shah Chhapra Visit : भाजपा के रणनीतिकार व देश के गृह मंत्री अमित शाह भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज बनने जा रहे हैं। इस आवाज में एक गूंज आतंकी खतरे की भी है। हालांकि यह यात्रा कोई पहली बार नहीं है, अक्सर सियासी पेंच सुलझाने बीजेपी नेता सिताब दियारा आते रहे हैं।

Reported byरमाकांत चंदन | Edited byऋषिकेश नारायण सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 4 Oct 2022, 3:23 pm
पटना: यह एक संयोग कह लीजिए या समय की जरूरत कि लोकनायक जयप्रकाश की जयंती पर अमित शाह अपना राजनीतिक मोर्चा खोलने आ रहे हैं। जाहिर है बिहार है और राज्य में लालू नीत सरकार हो तो बीजेपी के लिए भ्रष्टाचार एक मजबूत मुद्दा बन जाता है। उस खास समय में जब लालू परिवार रेलवे जमीन घोटाला, मॉल निर्माण या फिर से आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंसती नजर आ रही है तो जय प्रकाश नारायण की भूमि से चुनावी शंखनाद का अपना एक अलग मकसद भी होता है। जय प्रकाश नारायण की सरजमी से अमित शाह उद्घोष कर जनता के बीच संदेश देना चाहते है कि जो कोई भी देश की एकता अखंडता को चुनौती देता है या फिर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है, उसे बिहार की जनता माफ नहीं करती है।

अमित शाह का टार्गेट

इसके साथ साथ अमित शाह लालू की गृह क्षेत्र ,और शहाबुद्दीन के गढ़ को चुनौती भी देने भी सिताब दियारा आ रहे हैं। वैसे भी जय प्रकाश नारायण की जन्मभूमि से खासकर वे सिवान, गोपालगंज के साथ-साथ छपरा पर भी निशाना साधने आ रहे हैं। इस बार की चुनौती जेडीयू को गठबंधन धर्म के तहत दी गई सीट गोपालगंज और सिवान पर कब्जा करना है जहां अभी जेडीयू के उम्मीदवार पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी। वैसे यह अमित शाह की दूसरी यात्रा है। छपरा के सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने 2015 में जेपी की जयंती मनाई थी तो उनके साथ अनंत कुमार भी आए थे।
मोकामा उपचुनाव: जानें इस सीट का जातीय समीकरण, चुनाव 'अनंत'... चुनाव कथा 'अनंता'
अनंत कुमार का सिताब दियारा प्रेम
अनंत कुमार को जय प्रकाश नारायण की याद बड़ी आती थी। वो जब कभी बिहार आए वे सिताब दियारा और पटना में जय प्रकाश नारायण आवास जाते ही थे। वे 1990 से लगातार जय प्रकाश नारायण की जयंती पर सिताब दियारा आते थे। बिहार प्रभारी जब बने तो और भी धूमधाम से जय प्रकाश नारायण की जयंती मनाते थे। जय प्रकाश नारायण में उनकी बड़ी आस्था थी। आपात काल के दौरान वे जय प्रकाश नारायण के सेनानी थे और जेल भी गए थे।
गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव: सहानुभूति वोट से बीजेपी को मिलेगी जीत या RJD बचा पाएगा गढ़? जानिए यहांलालकृष्ण आडवाणी और सिताब दियाराएक वह भी दिन था जब भीतरखाने में आडवाणी और नरेंद्र मोदी के बीच खटपट चल रही थी। राजनीतिक गलियारों में आज भी यह चर्चा है कि 2011 में सिताबदियारा से देश की यात्रा करने का एक उद्देश्य नमो को चुनौती ही देना था। ऐसा इसलिए भी संदेश गया कि अक्सर अपनी यात्रा का शुरुआत वे गुजरात से करते थे लेकिन 2011 में एक तरह से पी एम उम्मीदवारी को पुष्ट करने की यात्रा को बिहार के सिताबदियारा से शुरू किया गया। इस बार भी बीजेपी अपने गंठबंधन के साथी जेडीयू के साथ छोड़ने के कारण हैरान परेशान है। बेचनी के आलम का अंदाजा लगा सकते हैं कि एक माह के भीतर अमित शाह दूसरी बार बिहार आए रहे हैं वह भी इस हौसले के साथ की भ्रष्टाचार की सरकार को अपदस्थ करने को वे बार बार बिहार आएंगे।
लेखक के बारे में
रमाकांत चंदन
पत्रकारिता की शुरुआत 1988 से बतौर फ्री लांसर नवभारत टाइम्स और दैनिक हिंदुस्तान के साथ की। विधिवत 1996 में हस्तक्षेप, राष्ट्रीय सहारा नोएडा से शुरू किया। 2012 में विशेष संवाददाता बना। 2020 में राष्ट्रीय सहारा पटना का स्थानीय संपादक, 2022 में सलाहकार संपादक राष्ट्रीय सहारा। और अब सितंबर 2022 से नवभारत टाइम्स ऑन लाइन में संपादकीय सलाहकार। कविता की दो पुस्तक 'ऊसर में नवान्न' व 'गोयता थापती लड़की'। कला साहित्य व संस्कृति के समीक्षात्मक पहलू को समेटे तीसरी पुस्तक दूसरा पक्ष।... और पढ़ें

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग