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Anant Singh AK 47: अनंत सिंह की अनंत कथा... कभी लालू तो कभी नीतीश के साथ, जानिए कैसे बन गए थे बिहार में 'छोटे सरकार'

Anant Singh Punishment: मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह को पटना की एमपीएमलए कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है। मामला घर से एके 47 और हैंड ग्रेनेड के बरामद होने का था। आज अनंत सिंह भले ही सलाखों के पीछे हों लेकिन आज भी इस बाहुबली का बिहार की सियासत में जबरदस्त भौकाल है।

Written byऋषिकेश नारायण सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 21 Jun 2022, 11:51 am
पटना: एके 47 और हैंड ग्रेनेड केस में बिहार के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की विधायिकी पर खतरा मंडराने लगा है। पटना की MP MLA कोर्ट ने उन्हें इसी केस में दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुना दी है। आज इस बाहुबली की विधायिकी पर संकट है, लेकिन कभी सलाखों के बाहर रहा ये शख्स सियासत के साथ-साथ एक अलग दुनिया का मालिक था। जहां वो जो कह देता वही सही माना जाता था। अनंत सिंह का राजनीतिक जीवन छोटा नहीं बल्कि इतना लंबा है कि उस पर एक किताब लिखी जा सकती है। आइए आपको इस खबर में बताते हैं कि कैसे टाल से उभरा एक बाहुबली बिहार की राजनीति में 'छोटे सरकार' बन गया...
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जानिए, अनंत सिंह कैसे बने 'छोटे सरकार'
अनंत सिंह भूमिहार समाज से आते हैं। मोकामा विधानसभा क्षेत्र भूमिहार बाहुल्य है। इसके अलावा इस इलाके में गरीबी अपने चरम पर है। ऐसे में अनंत सिंह की रॉबिनहुड वाली छवि यहां काम कर जाती है। उदाहरण के लिए इलाके में अगर दहेज के लिए किसी लड़की की शादी नहीं हो रही है और उसका पिता अगर अनंत सिंह ड्योढ़ी पर चला जाता है तो उसे खाली हाथ नहीं लौटना होगा। या तो अनंत सिंह लड़के वाले को डरा धमकाकर शादी के लिए तैयार कर देते हैं या फिर कुछ खर्चा पानी देकर मामले को सुलझा देते हैं। इसी तरह किसी ने अगर अनंत सिंह को शादी का कार्ड भेज दिया तो वे उसके घर उपहार जरूर भेजते हैं। गांव में अगर अनंत सिंह आए हैं और किसी ने मुखिया की शिकायत कर दी तो छोटे सरकार उसी वक्त सरेआम फटकार लगा देते हैं। यही सब वजह है कि इलाके के लोग अनंत सिंह को सपोर्ट करते आ रहे हैं।
लालू यादव के हाथों ऐसे यूज होते रहे हैं बाहुबली अनंत सिंह! दोस्ती हो चाहे दुश्मनी हर एक में फायदा लेती रही है RJDजब नीतीश को तौल दिया था चांदी के सिक्कों से
हठी स्वभाव के अनंत सिंह 2005 के दौर में बिहार के सबसे पावरफुल शख्स लालू यादव का प्रस्ताव ठुकराकर नीतीश कुमार के साथ गए। इतना ही नहीं, बाढ़ शहर में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित कर नीतीश कुमार को लड्डू और चांदी के सिक्कों से तौलकर अनंत सिंह ने अपनी राजनीतिक करियर के शुरुआत का ऐलान किया। लालू का प्रस्ताव ठुकराने पर तत्कालीन राबड़ी देवी की सरकार के इशारे पर अनंत सिंह के पुश्तैनी आवास पर बिहार पुलिस की स्पेशल टीम ने रेड मारी। अनंत सिंह को भारी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन उसका इरादा नहीं डगमगाया।

सरकार में रहकर बने 'छोटे सरकार'
इस घटना के बाद अनंत सिंह नीतीश कुमार के दुलारे और लालू के लिए किरकिरी बन गए। 2005-2010 के दौर में नीतीश सरकार ने राज्य के लगभग सारे बाहुबलियों को जेल में ठूंस दिया या तो राज्य से बाहर जाने को विवश कर दिया। लेकिन अनंत सिंह का रुतबा बढ़ता गया। साहब के सानिध्य में मोकामा का यह बाहुबली विधायकी की कुर्सी पर बना रहा और राज्य में तमाम जगह संपत्ति हड़पता गया। सुशासन बाबू के राज में अनंत सिंह पर पटना के फ्रेजर रोड इलाके में मॉल बनाने के लिए जमीन कब्जाने के आरोप लगे। लेकिन इसमें अनंत सिंह पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।
पुटुस यादव हत्याकांड से गर्दिश में आए सितारे
इसी बीच साल 2014 में बाढ़ में छेड़खानी को लेकर युवकों के दो गुटों में विवाद शुरू हुआ था। बाढ़ कॉलेज मोड़ के निकट इसी क्रम में मारपीट हुई। बाद में भूषण, कन्हैया, ऋषि, मनीष, शिवम समेत अन्य ने चार युवकों पुटुस कुमार, प्रदीप, सोनू और बबलू का अपहरण कर लिया था। दूसरे दिन 18 जून को लदमा गांव के पास खेत में पुटुस की लाश मिली थी। इसी हत्याकांड में विधायक अनंत सिंह का नाम आया था। अनंत सिंह पर लगे अपराध के यही आरोप उन्हें राजनीति में हाशिए पर ले जाने लगे।

जब नीतीश से हाथ मिला लालू ने अनंत को बनाया विलेन
2015 के विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने हाथ मिला लिया था। इसके बाद लालू यादव बिहार के लगभग हर रैली में इस बात का जिक्र करते की भूमिहार नेता अनंत सिंह ने यादव युवक पुटुस कुमार पर हाथ डाला था, जिसके परिणाम स्वरूप वह जेल की हवा खा रहा है। अपने इस एक बयान से लालू यादव ओबीसी और पिछड़े लोगों को संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि वे सामाजिक न्याय के सबसे बड़े मसीहा वही हैं। इसके अलावा लालू की पार्टी ने किसी भी भूमिहार नेता को एक भी टिकट नहीं दिया था। इसका लालू की पार्टी को जबरदस्त फायदा भी हुआ। हालांकि इस चुनाव में भी अनंत सिंह अपनी रॉबिनहुड छवि की वजह से निर्दलीय मोकामा से विधायक बन गए।

2019 में घर से मिला एके 47 और हैंड ग्रेनेड
इसी बीच नीतीश कुमार ने लालू से नाता तोड़ लिया और फिर से बीजेपी के साथ सरकार चलाने लगे। लेकिन अनंत सिंह हाशिए पर ही बने रहे। नीतीश कुमार कुमार ने उन्हें भाव देना बंद कर दिया। इस दौरान अनंत सिंह जेल के अंदर बाहर होते रहे। बाढ़ के नदवां गांव स्थित अनंत सिंह के पैतृक घर में साल 2019 की 16 अगस्त को पुलिस ने छापेमारी की थी। उनके घर से एक एके 47 राइफल, दो हैंड ग्रेनेड, मैगजीन में भरे हुए 26 जिंदा कारतूस बरामद हुए थे। इस मामले में उनके खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में विधायक अनंत सिंह ने दिल्ली के साकेत कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था।
लेखक के बारे में
ऋषिकेश नारायण सिंह
नवभारत टाइम्स डिजिटल के बिहार-झारखंड प्रभारी। पत्रकारिता में जनमत टीवी, आईबीएन 7, ईटीवी बिहार-झारखंड, न्यूज18 बिहार-झारखंड से होते हुए टाइम्स इंटरनेट तक 17 साल का सफर। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से शुरुआत के बाद अब बिहार कर्मस्थल। देश, विदेश, अपराध और राजनीति की खबरों में गहरी रुचि। डिजिटल पत्रकारिता की हर विधा को सीखने की लगन।... और पढ़ें

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