पटना: बिहार की दो विधानसभा सीटों गोपालगंज और मोकामा में 3 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। मोकामा सीट से पहले RJD से बाहुबली अनंत सिंह विधायक थे, लेकिन AK-47 और हैंड ग्रेनेड कांड में सजा होने के बाद उनकी विधायिकी चली गई। ऐसे में माना जा रहा है कि अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी RJD से मोकामा उपचुनाव में उम्मीदवार हो सकती हैं। उनकी हाल ही में तेजस्वी यादव से हुई मुलाकात ने इस बात का संकेत भी दे दिया है। इसी बीच चुनावी घमासान भी शुरू हो गया है। अनंत सिंह के खिलाफ ताल ठोक चुके ललन सिंह ने आरोप लगाया है कि नीलम देवी बांग्लादेश की नागरिक हैं।
नीलम देवी बांग्लादेशी- ललन
अनंत सिंह के किले में उन्हें चुनौती दे चुके ललन सिंह ने हालांकि नीलम देवी का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि 'वो बांग्लादेशी हैं। वो भारत की निवासी होते हुए भी यहां की नागरिक नहीं हैं। जहां भी अनंत सिंह का नाम लिया जाएगा वहां मेरे नाम के भी चर्चे होंगे। मोकामा की जनता को पता है कि आरजेडी के पूर्व विधायक को कोई हरा सकता है तो वो मैं यानि ललन सिंह ही हूं।'
शुरू से अनंत को चुनौती देते रहे हैं ललन सिंह
नाम से आप ये न सोचें कि हम जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की बात कर रहे हैं। दरअसल ये ललन सिंह दूसरे हैं, ये शुरू से ही अनंत सिंह को उनके गढ़ मोकामा में चौवौती देते आए हैं। हालांकि ये कभी उन्हें हरा नहीं पाए। 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में ये ललन सिंह LJP यानि रामविलास पासवान की पार्टी से मैदान में उतरे थे। इसके बाद 2015 यही ललन सिंह पप्पू यादव की लोक जनशक्ति पार्टी से अनंत सिंह के खिलाफ मैदान में उतरे। लेकिन दोनों ही बार इन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
अब बीजेपी से लगी आस
अब ललन सिंह मोकामा विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी से टिकट की आस में हैं। भारतीय जनता पार्टी ने लालू के जमाने यानि 1995 से ही मोकामा में अपना कैंडिडेट नहीं उतारा। लेकिन अब की बात अलग है। वहीं बीजेपी से टिकट की आस लगाए ललन सिंह लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसी रणनीति के मद्देनजर वो पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से भी मिले। इसके बाद बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी की माता के श्राद्ध कर्म में भी ललन सिंह शामिल हुए थे।
नीलम देवी बांग्लादेशी- ललन
अनंत सिंह के किले में उन्हें चुनौती दे चुके ललन सिंह ने हालांकि नीलम देवी का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा कि 'वो बांग्लादेशी हैं। वो भारत की निवासी होते हुए भी यहां की नागरिक नहीं हैं। जहां भी अनंत सिंह का नाम लिया जाएगा वहां मेरे नाम के भी चर्चे होंगे। मोकामा की जनता को पता है कि आरजेडी के पूर्व विधायक को कोई हरा सकता है तो वो मैं यानि ललन सिंह ही हूं।'
शुरू से अनंत को चुनौती देते रहे हैं ललन सिंह
नाम से आप ये न सोचें कि हम जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की बात कर रहे हैं। दरअसल ये ललन सिंह दूसरे हैं, ये शुरू से ही अनंत सिंह को उनके गढ़ मोकामा में चौवौती देते आए हैं। हालांकि ये कभी उन्हें हरा नहीं पाए। 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में ये ललन सिंह LJP यानि रामविलास पासवान की पार्टी से मैदान में उतरे थे। इसके बाद 2015 यही ललन सिंह पप्पू यादव की लोक जनशक्ति पार्टी से अनंत सिंह के खिलाफ मैदान में उतरे। लेकिन दोनों ही बार इन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
अब बीजेपी से लगी आस
अब ललन सिंह मोकामा विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी से टिकट की आस में हैं। भारतीय जनता पार्टी ने लालू के जमाने यानि 1995 से ही मोकामा में अपना कैंडिडेट नहीं उतारा। लेकिन अब की बात अलग है। वहीं बीजेपी से टिकट की आस लगाए ललन सिंह लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसी रणनीति के मद्देनजर वो पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से भी मिले। इसके बाद बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी की माता के श्राद्ध कर्म में भी ललन सिंह शामिल हुए थे।