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Sushil Kumar Modi: वह नेता, जिसने फिर से नीतीश को लालू से अलग होने पर कर दिया मजबूर

Sushil Kumar Modi Profile: सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) पहली बार 1990 में विधायक चुनकर बिहार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 1995 और 2000 में भी विधायक चुने गए। उन्होंने ही पहली बार चारा घोटाले (Fodder Scam) में पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

नवभारतटाइम्स.कॉम 21 Sep 2020, 4:57 pm
पटना
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Sushil Kumar Modi: वह नेता, जिसने फिर से नीतीश को लालू से अलग होने पर कर दिया मजबूर

बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) के मद्देनजर सियासी बिसात बिछ चुकी है। इस बार मुख्य मुकाबला सत्ताधारी एनडीए (NDA) और आरजेडी (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन (Mahagathbandhan) के बीच है। दोनों ही खेमे की कोशिश इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन की है। हालांकि, इस बार का चुनाव पिछले विधानसभा चुनाव से बिल्कुल अलग है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछली बार आरजेडी और जेडीयू एक साथ महागठबंधन में चुनाव मैदान में उतरे थे। लेकिन 2017 में उनका ये गठबंधन टूट गया। लालू यादव (Lalu Prasad Yadav)और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के अलगाव में बीजेपी के दिग्गज नेता और बिहार के मौजूदा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने अहम भूमिका निभाई।


महागठबंधन की सरकार में सुशील मोदी ने लालू परिवार को जमकर घेरा

2015 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनने के बावजूद सुशील कुमार मोदी ने आरजेडी और लालू यादव पर हमले का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दिया। ये सुशील मोदी का ही रणनीतिक कौशल था कि उन्होंने एक-एक मुद्दे पर आरजेडी को घेरना शुरू किया। एक-एक मुद्दे पर उन्होंने लालू यादव और उनके परिवार पर घेरना जारी रखा। दूसरी ओर, नीतीश कुमार पर उन्होंने सीधे तौर पर कोई वार नहीं किया। यहीं से सियासी गलियारे में हलचल शुरू हुई, जल्दी ही जेडीयू ने आरजेडी से अलग होने का फैसला कर लिया।

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फिर नीतीश ने छोड़ा लालू का साथ, बीजेपी के साथ बनाई सरकार

नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने और फिर बीजेपी के साथ सरकार बनाने में भी सुशील मोदी ने खास रोल निभाया। यही वजह है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी एनडीए की सरकार में सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री बनाए गए। एक नजर उनके राजनीतिक सफर पर...

1990 में पहली बार बने विधायक, 2005 में लोकसभा पहुंचे

सुशील कुमार मोदी पहली बार 1990 में विधायक चुनकर बिहार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 1995 और 2000 में भी विधायक चुने गए। सुशील मोदी ने ही पहली बार चारा घोटाले में पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 2004 में उन्होंने भागलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे। 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो सुशील मोदी ने लोकसभा सांसद के पद से इस्तीफा दिया और बिहार के उपमुख्यंत्री बन गए। इसके बाद पार्टी को मजबूती देने प्रचार कार्य में अहम रोल निभाने की वजह से सुशील मोदी ने 2010 और 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। बाद में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन की सरकार गिरने के बाद सुशील मोदी एक बार फिर 27 जुलाई, 2017 को बिहार के उपमुख्यमंत्री बने।

छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि, आरएसएस से गहरा जुड़ाव

सुशील कुमार मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 में हुआ। उन्होंने पटना के बीएन कॉलेज से बीएससी किया, 1973 में बॉटनी ऑनर्स किया। पटना साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद सुशील कुमार मोदी ने जय प्रकाश नारायण के आंदोलन में हिस्सा लिया। छात्र जीवन में ही उन्होंने राजनीति में कदम रख दिया। 1973 में सुशील मोदी पटना यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स यूनियन के जनरल सेक्रेटरी चुने गए। लालू प्रसाद यादव उस समय इसके अध्यक्ष थे। इमरजेंसी के दौरान सुशील कुमार मोदी पांच बार गिरफ्तार किए गए थे। उनका आरएसएस से भी गहरा जुड़ाव है।

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