पटना
बिहार में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर लगाम को लेकर नीतीश कुमार सरकार लगातार जरूरी कदम उठा रही है। चाहे लॉकडाउन का फैसला हो या फिर अस्पताल में मरीजों को इलाज मुहैया कराने का मामला, सरकार की ओर से लगातार जरूरी निर्णय लिए जा रहे हैं। इसका असर भी नजर आ रहा है, लगातार सूबे में कोरोना मरीजों की संख्या घट रही है। हालांकि, अब गांवों में भी संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने करीब 15 हजार ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा लेने का फैसला लिया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने ट्वीट कर दी जानकारी
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने खुद इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने ट्वीट करके बताया, 'राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित कोरोना मरीजों की पहचान और होम आइसोलेशन रोगियों के सहयोग हेतु प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा लेने का निर्णय सरकार की ओर से लिया गया है। ये सूचक सह ट्रीटमेंट सपोर्टर कहलायेंगे, इन्हें प्रति मरीज 200 रुपये भुगतान किया जाएगा।'
इसे भी पढ़ें:- बिहार के इस गांव में सर्दी-खांसी-हंफनी का कहर , 26 दिनों में 37 की मौत.. लेकिन सरकार की नजर में ये कोरोना नहीं
जानिए कौन होंगे ट्रीटमेंट सपोर्टर
मंगल पांडेय ने कहा कि प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने जरूरी आदेश जारी कर दिया है। इन ट्रीटमेंट सपोर्टर को उनकी सेवा के बदले प्रति मरीज 200 रुपये का भुगतान किया जाएगा। ये सीधे डीबीटी के जरिए आधार से लिंक करते हुए सीधे बैंक खाते में जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से पास होने वाले लगभग 15 हजार ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है। इन्हे अब जिला स्तर पर वर्चुअल माध्यम से कोरोना से संबंधित अलग-अलग पहलुओं पर प्रशिक्षित किया जाएगा।
गांव में बढ़ते केस के मद्देनजर सरकार का फैसलासरकार के इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान में मदद मिलेगी। ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोरोना मरीजों की ट्रैकिंग, ट्रेसिंग और जांच में सहयोग करेंगे। गांव में किसी को भी कोरोना से जुड़े लक्षण नजर आने पर ये कार्यकर्ता उनकी जांच, संक्रमण मिलने पर जरूरी इलाज, होम आइसोलेशन में किन बातों का ध्यान रखना है, इन सब बातों को देखेंगे। स्वास्थ्य विभाग के जरिए उन मरीजों को जरूरी सुविधा मुहैया हो सके ये भी उनकी जिम्मेवारी होगी। एक तरह से गांव में कोरोना संक्रमण पर लगाम को लेकर सरकार ने ये कदम उठाया है।
बिहार में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण पर लगाम को लेकर नीतीश कुमार सरकार लगातार जरूरी कदम उठा रही है। चाहे लॉकडाउन का फैसला हो या फिर अस्पताल में मरीजों को इलाज मुहैया कराने का मामला, सरकार की ओर से लगातार जरूरी निर्णय लिए जा रहे हैं। इसका असर भी नजर आ रहा है, लगातार सूबे में कोरोना मरीजों की संख्या घट रही है। हालांकि, अब गांवों में भी संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने करीब 15 हजार ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा लेने का फैसला लिया है।
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने खुद इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने ट्वीट करके बताया, 'राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित कोरोना मरीजों की पहचान और होम आइसोलेशन रोगियों के सहयोग हेतु प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सेवा लेने का निर्णय सरकार की ओर से लिया गया है। ये सूचक सह ट्रीटमेंट सपोर्टर कहलायेंगे, इन्हें प्रति मरीज 200 रुपये भुगतान किया जाएगा।'
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मंगल पांडेय ने कहा कि प्रशिक्षित ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने जरूरी आदेश जारी कर दिया है। इन ट्रीटमेंट सपोर्टर को उनकी सेवा के बदले प्रति मरीज 200 रुपये का भुगतान किया जाएगा। ये सीधे डीबीटी के जरिए आधार से लिंक करते हुए सीधे बैंक खाते में जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से पास होने वाले लगभग 15 हजार ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है। इन्हे अब जिला स्तर पर वर्चुअल माध्यम से कोरोना से संबंधित अलग-अलग पहलुओं पर प्रशिक्षित किया जाएगा।
गांव में बढ़ते केस के मद्देनजर सरकार का फैसलासरकार के इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान में मदद मिलेगी। ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता कोरोना मरीजों की ट्रैकिंग, ट्रेसिंग और जांच में सहयोग करेंगे। गांव में किसी को भी कोरोना से जुड़े लक्षण नजर आने पर ये कार्यकर्ता उनकी जांच, संक्रमण मिलने पर जरूरी इलाज, होम आइसोलेशन में किन बातों का ध्यान रखना है, इन सब बातों को देखेंगे। स्वास्थ्य विभाग के जरिए उन मरीजों को जरूरी सुविधा मुहैया हो सके ये भी उनकी जिम्मेवारी होगी। एक तरह से गांव में कोरोना संक्रमण पर लगाम को लेकर सरकार ने ये कदम उठाया है।