पटना।
सुशील कुमार मोदी ने ‘दिनकर शोध संस्थान’ की स्थापना दिवस पर पटना के विद्यापति भवन में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज जिस तरह से ओटीटी प्लेटफार्म, डिजिटल और सोशल मीडिया पर लगाम लगाने की चर्चा जोर पकड़ रही है। उसी तरह से करीब सात दशक पहले 1952 में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने राज्यसभा में फिल्मों की हिंसा और अश्लीलता पर सवाल उठाते हुए नियंत्रण की मांग की थी। सुशील मोदी ने कहा कि तब दिनकर कहा था कि आत्मा को सुला कर, मांस को जगा कर फिल्म व्यवसायी पैसा बनाते हैं। अच्छी फिल्में कम बन रही है, अधिकांश फिल्मों में सेक्स परोसा जा रहा है। सुशील मोदी ने कहा कि आज जिस तरह से ओटीटी ( OTT ) प्लेटफार्म पर दिखाए जा रहे सीरियल में गंदी - गंदी गालियां व पोनोग्राफी का खुलेआम प्रदर्शन किया जा रहा है, इस पर सुप्रीम कोर्ट भी चिन्ता जाहिर कर चुकी है। अब सरकार की ओर से डिजिटल और सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए गाइड लाइन जारी किए गए हैं।
ओटीटी पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों के लिए डिजिटल लाक उपलब्ध कराना है, ताकि जिस कार्यक्रम को अभिभावक अपने बच्चों से दूर रखना चाहे, उसे लाक कर सकें। बीजेपी सांसद ने कहा कि आज सोशल और डिजिटल मीडिया पर जिस तरह की सामग्री परोसी जा रही है, उससे समाज में जातीय तनाव, हिंसा और सेक्स को बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा ओटीटी, सोशल और डिजिटल मीडिया से अब राष्ट्रीय एकता - अखड़ता और सम्प्रभुता के लिए भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। सुशील मोदी ने बताया कि केंद्र द्वारा जारी गाइड लाइन में सोशल मीडिया को आपत्तिजनक पोस्ट सबसे पहले जहां से जारी हुई हो, उसे सक्षम अथॉरिटी ( Competent Authority ) को बताने के लिए बाध्य किया गया है।
सुशील मोदी ने यह भी कहा कि प्रिंट मीडिया जिस तरह से प्रेस कौंसिल आफ इंडिया द्वारा जारी आचार संहिता को मानने के लिए उत्तरदायी है, उसी तरह का रेगुलेशन सोशल मीडिया के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बेगूसराय इंजीनियरिंग कालेज का नाम राष्ट्रकवि के नाम पर रखा है। दिनकर जैसे साहित्यकार का बिहार में पैदा होना हर बिहारवासी के लिए गौरव की बात है। रामधारी सिंह दिनकर को तीन बार राज्य सभा के लिए चुना गया था। वह 03 अप्रैल, 1952 से 26 जनवरी, 1964 तक राज्यसभा सांसद रहे थे। 1959 में पद्म भूषण से सम्मानित राष्ट्रकवि दिनकर की कविता ' सिंहासन खाली करो जनता आती है ' को जेपी ने इमरजेंसी के दौरान लाखों की भीड़ के सामने गाया था।
सुशील कुमार मोदी ने ‘दिनकर शोध संस्थान’ की स्थापना दिवस पर पटना के विद्यापति भवन में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज जिस तरह से ओटीटी प्लेटफार्म, डिजिटल और सोशल मीडिया पर लगाम लगाने की चर्चा जोर पकड़ रही है। उसी तरह से करीब सात दशक पहले 1952 में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने राज्यसभा में फिल्मों की हिंसा और अश्लीलता पर सवाल उठाते हुए नियंत्रण की मांग की थी।
ओटीटी पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों के लिए डिजिटल लाक उपलब्ध कराना है, ताकि जिस कार्यक्रम को अभिभावक अपने बच्चों से दूर रखना चाहे, उसे लाक कर सकें। बीजेपी सांसद ने कहा कि आज सोशल और डिजिटल मीडिया पर जिस तरह की सामग्री परोसी जा रही है, उससे समाज में जातीय तनाव, हिंसा और सेक्स को बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा ओटीटी, सोशल और डिजिटल मीडिया से अब राष्ट्रीय एकता - अखड़ता और सम्प्रभुता के लिए भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। सुशील मोदी ने बताया कि केंद्र द्वारा जारी गाइड लाइन में सोशल मीडिया को आपत्तिजनक पोस्ट सबसे पहले जहां से जारी हुई हो, उसे सक्षम अथॉरिटी ( Competent Authority ) को बताने के लिए बाध्य किया गया है।
सुशील मोदी ने यह भी कहा कि प्रिंट मीडिया जिस तरह से प्रेस कौंसिल आफ इंडिया द्वारा जारी आचार संहिता को मानने के लिए उत्तरदायी है, उसी तरह का रेगुलेशन सोशल मीडिया के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बेगूसराय इंजीनियरिंग कालेज का नाम राष्ट्रकवि के नाम पर रखा है। दिनकर जैसे साहित्यकार का बिहार में पैदा होना हर बिहारवासी के लिए गौरव की बात है। रामधारी सिंह दिनकर को तीन बार राज्य सभा के लिए चुना गया था। वह 03 अप्रैल, 1952 से 26 जनवरी, 1964 तक राज्यसभा सांसद रहे थे। 1959 में पद्म भूषण से सम्मानित राष्ट्रकवि दिनकर की कविता ' सिंहासन खाली करो जनता आती है ' को जेपी ने इमरजेंसी के दौरान लाखों की भीड़ के सामने गाया था।