ऐपशहर

Bihar Terror module : PFI लंबे समय से रच रहा था साजिश, क्‍या सोती रहीं एजेंसियां? बिहार पुलिस के सबूतों अब हो रहे बड़े खुलासे

साल 2013 से बिहार के तार देश में घटी बड़ी आतंकी घटनाओं से जुड़ते रहे हैं। बिहार की सीमा से नेपाल और बांग्‍लादेश के बॉर्डर से सटी हुई है। इसकी ज्‍यादातर सीमाएं पूरी तरह से खुली हुई हैं और भारत का खुफिया विभाग और जांच एजेंसियां इन आतंकी साजिशों पर आंखें मूंदे रहींं। बावजूद PFI के आतंकी मंसूबों का खुलासा बिहार पुलिस की जांच में होता है। उसके तार भारत में बैन आतंकी संगठनों से होता है।

Authored byकेशव सुमन सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 24 Sep 2022, 1:07 pm
बिहार/नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को निशाना बनाने की योजना बनाई थी। वहीं, अब NIA इस बात का खुलासा कर रही है क उत्‍तर प्रदेश में भी वह संवेदनशील स्थानों पर हमले की तैयारी में है। इसके लिए PFI आतंकी मॉड्यूल को खड़ा करने में लगा हुआ है। इस हमले के लिए वह घातक हथियारों और विस्फोटक जुटाने की कोशिश कर रहा है। इस बात का पता तब चलता है जब बिहार पुलिस अपनी जांच में पीएफआई से जुड़े आतंकी मॉड्यूल का खुलासा करती है।
नवभारतटाइम्स.कॉम जांच एजेंसियों की रिपोर्ट से खुलासा
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट से खुलासा

बिहार में आतंकी मॉड्यूल का खुलासा बिहार पुलिस ने ही किया है। शुरुआती साक्ष्‍य और दस्तावेज बिहार पुलिस ने ही जांच एजेंसियों को दिया है। ये कहना कि बिहार पुलिस आतंकी साजिशों पर कुछ नहीं किया, ये नहीं कहा जा सकता है। बिहार पुलिस की भी कुछ सीमाएं हैं। बड़ी जांच एजेंसियों को असीमित अधिकार हैं। ये जांच एजेंसियां ऐसे मामलों को लिए ही बनाई गई हैं। उनके पास पूरा तंत्र है। मैं 2013 की बात तो नहीं कह सकता, लेकिन ताजा मामला फुलवारी शरीफ का है। जहां पहली अरेटिंग बिहार पुलिस ने ही की। जांच एजेंसियों को सबूत दिए। उसके बाद ही जांच एजेंसियों ने पूछता के आधार पर अन्‍य गिरफ्तारियां की।
जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी मुख्‍यालय

बिहार में पनपता रहा आतंकी मॉड्यूल सोई रहीं एजेंसियां?
वहीं, बड़ा सवाल ये भी उठता है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों का खुफिया तंत्र बिहार में हाथ पर हाथ धरे, कान में तेल डालकर बैठे क्‍यों बैठा रहा? बिहार में उनकी नाक के नीचे बड़ी साजिशें लंबे समय से चलती रहीं क्‍या ये एजेंसियां अपनी नाकामी का ठीकरा बिहार पुलिस की नाकामी पर मढ़ने का इंतजार करते रहे? बिहार में आतंकी संगठन विदेशों से पैसे मंगाकर बिहार से आतंकी साजिशों को संचालित कर रहे थे। इस बात का खुलासा खुद NIA और ED जैसी बड़ी एजेंसियों ने किया है। इस खुलासे के बाद बिहार में इन जांच एजेंसियों और खुफिया विभाग पर उठना लाजमी है। साल 2013 से बिहार के तार देश में घटी बड़ी आतंकी घटनाओं से जुड़ते रहे हैं। बिहार की सीमा से नेपाल और बांग्‍लादेश के बॉर्डर से सटी हुई है। इसकी ज्‍यादातर सीमाएं पूरी तरह से खुली हुई हैं और भारत का खुफिया विभाग और जांच एजेंसियां इन आतंकी साजिशों पर आंखें मूंदे रहींं। बावजूद PFI के आतंकी मंसूबों का खुलासा बिहार पुलिस की जांच में होता है। उसके तार भारत में बैन आतंकी संगठनों से होता है।
पीएम मोदी को पटना में निशाना बनाने की रची थी साजिश, पीएफआई के नापाक मंसूबों पर ED का सनसनीखेज खुलासा!इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़ रहे तार
ED ने गुरुवार को केरल से गिरफ्तार PFI सदस्य शफीक पायथ के खिलाफ अपने रिमांड नोट में सनसनीखेज दावा करते हुए कहा है कि इस साल 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना यात्रा के दौरान PFI ने हमला करने के लिए एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया था। बताते चलें कि इससे पहले पीएम मोदी की एक रैली में उनके संबोधन के दौरान बम धमाके किए गए थे। इन धमाकों के तार अब इंडियन मुजाहिदीन से संबंधित जेहादी आतंकवादियों से जु‍ड़ते नजर आ रहे हैं। जो भारत में प्रतिबंधित गैरकानूनी स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट के सदस्य हैं। इनके तार भारत में PFI से जुड़ रहे हैं।
NIA Raid Live: NIA का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 12 राज्यों में टेरर लिंक पर कार्रवाई, 100 की गिरफ्तारी120 करोड़ रुपए जमा करने का मिला साक्ष्‍य
ईडी ने पिछले कुछ वर्षों में इस संगठन की ओर से 120 करोड़ रुपए एकट्ठा करने का विवरण पाया है। इन कलेक्‍ट किए गए पैसों में ज्‍यादातर नकद हैं। जिनका प्रयोग देश भर में होने वाले दंगों और आतंकवादी गतिविधियों को बनाने के लिए किया जाना था।
अमित शाह की रैली से पहले पूर्णिया में NIA की रेड, अररिया और औरंगाबाद में भी छापा100 से अधिक कार्यकर्ताओं को किया गिरफ्तार
ईडी ने गुरुवार को PFI के ठिकानों पर देशव्यापी छापेमारी कर उनके चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। जिसके आधार पर जांच के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी सहित कई एजेंसियों ने संगठन से जुड़े 100 से अधिक कार्यकर्ताओं को धर-दबोचा है। ईडी ने संगठन के तीन अन्य पदाधिकारियों को दिल्ली से हिरासत में लिया है। इनमें परवेज अहमद, मोहम्मद इलियास और अब्दुल मुकीत है। ईडी की ओर से 2018 से पीएफआई के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू होने के बाद से इन सभी से कई बार पूछताछ कर चुकी है।
NIA Raid on PFI: क्या है पीएफआई और कौन है ओमा सलाम जिसे NIA ने किया गिरफ्तार? जानिए हर बातआतंक फैलाने के लिए विदेशों से फंडिंग की डिटेल
प्रवर्तन निदेशालय ने कतर में रहने वाले पायथ पर देश में गड़बड़ी पैदा करने के लिए विदेश से पीएफआई को पैसे ट्रांसफर करने का आरोप है। उस पर भारत में रहते हुए अपने एनआरआई खाते का अवैध रूप से इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। ईडी के अनुसार, पेथ के परिसरों पर पिछले साल एजेंसी ने छापा मारा था, जब रियल एस्टेट व्यवसायों में निवेश और पीएफआई में उनके डायवर्जन का खुलासा हुआ था। एजेंसी ने कहा, पीएफआई और संबंधित संस्थाओं के खातों में पिछले कुछ सालों में 120 करोड़ रुपए से अधिक जमा किए। इन जमा किए गए रुपए का एक बहुत बड़ा हिस्सा अज्ञात और संदिग्ध स्रोतों से देश के साथ-साथ विदेशों में भी जमा किया गया है।
रात 1 बजे निकलीं टीमें, NIA, ED और 12 राज्यों की पुलिस... PFI पर सबसे बड़े ऑपरेशन की इनसाइड स्टोरी
लंबे समय से इन पैसों का गैरकानूनी गतिविधियों में हो रहा प्रयोग : जांच एजेंसी
एजेंसी ने आगे दावा किया कि इन फंडों को लंबे समय से गैरकानूनी गतिविधियों में उपयोग के लिए दिया गया या ट्रांसफर किया गया। इन पैसे के प्रयोग का खुलासा फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान हिंसा भड़काने और परेशानी पैदा करने तक सीमित नहीं हैं। बल्कि PFI के सदस्यों की संलिप्‍ता और पैसों का प्रयोग हाथरस की घटना से लेकिन देश विभिन्‍न इलाकों में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, दंगे भड़काने और आतंक फैलाने में पाया गया है। पैसे का प्रयोग आतंकवादी गिरोह बनाने, घातक हथियारों और विस्फोटकों के संग्रहण में भी किया गया है। इतना ही नहीं जांच एजेंसियों ने पाया कि यह संगठन यूपी में भी महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थानों और महत्‍वपूर्ण व्यक्तियों पर हमले करने, देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को कमजोर करने के इरादे से हमले की तैयारी और साजिश रच रहा है।
‘आतंकी’ गतिविधियों के लिए ‘नव-सामाजिक’ आंदोलन पीएफआई पर कड़ी नजर
पीएफआई राष्‍ट्रीय एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा : जांच एजेंसी
एजेंसी ने पीएफआई पर आपराधिक साजिश और गतिविधियों का आरोप लगाया है जिसमें 'राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने' की क्षमता थी। जांच के दौरान पीएफआई और उसके सदस्यों के विभिन्न बैंक खातों का विश्लेषण किया गया और आरोपियों के बयान दर्ज किए गए।
लेखक के बारे में
केशव सुमन सिंह
बिहार-झारखंड और दिल्ली के जाने-पहचाने पत्रकारों में से एक हैं। तीनों विधाओं (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब) में शानदार काम का करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। वर्तमान में नवभारतटाइम्स.कॉम में बतौर असिस्टेंट न्यूज एडिटर (बिहार-झारखंड) की भूमिका निभा रहे हैं। रिपब्लिक टीवी में बिहार-झारखंड बतौर हिंदी ब्यूरो पटना रहे। केशव पॉलिटिकल के अलावा बाढ़, दंगे, लाठीचार्ज और कठिन परिस्थितियों में शानदार टीवी प्रेजेंस के लिए जाने जाते हैं। जनसत्ता और दैनिक जागरण दिल्ली में कई पेज के इंचार्ज की भूमिका निभाई। झारखंड में आदिवासी और पर्यावरण रिपोर्टिंग से पहचान बनाई। केशव ने करियर की शुरुआत NDTV पटना से की थी।... और पढ़ें

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग