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चिंतन शिविर समाप्त मगर कांग्रेस की चिंता अब भी बरकरार... जानिए राहुल और गांधी परिवार पर जनता क्या उठ रही है सवाल

​ ​उदयपुर में कांग्रेस का मंथन शिविर 15 मई को समाप्त हो चुका है। पार्टी के तमाम बड़े नेताओं को इसमें शामिल किया गया। इसे कांग्रेस के लिए समुद्र मंथन की कोशिश कही जा सकती है। इस मंथन से कांग्रेस के लिए अमृत निकले इसके आसार कम ही हैं। बताते चलें कि एनबीटी भी कांग्रेस के पतन का कारण जानने के लिए लोगों के बीच भी गया। लोगों से जानने की कोशिश की कि आखिर कांग्रेस की इस हालत की वजह क्‍या है।

Authored byकेशव सुमन सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 16 May 2022, 11:06 pm
पटना : कांग्रेस पूरे देश में लगातार कमजोर होती जा रही है। पा‍र्टी को लगभग हर चुनाव में हार का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के नेताओं को जीत काफी खींचतान के बाद और मुश्किल से मिल रही है। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है बिहार विधानसभा के बोचहां उप-चुनाव में वोट फीसद की बात की जाए तो नोटा से भी कम वोट कांग्रेस के खाते में गिरे। बिहार में महागठबंधन की साथी कांग्रेस की दुर्दशा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आरजेडी (RJD) ने बिना कांग्रेस से सलाह मश्विरा किए ही विधान परिषद चुनाव (MLC Election) में कांग्रेस (Congress) के साथ चुनाव लड़ने से इन्‍कार कर दिया। आरजेडी ने सीट बंटवारे में कांग्रेस के साथ एक भी सीट शेयर नहीं की।
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राहुल गांधी


समस्‍या ही तलाश रहे समस्‍या का मंत्र
राजनीति के जानकारों की माने तो चिंतन शिविर में कांग्रेस की चिंता वहीं कर रहे जो पार्टी के लिए चिंता का विषय हैं। कांग्रेस पूरी तरह से परिवारवाद की पार्टी है। कांग्रेस पर वंशवाद का ठप्‍पा लगा है। इतना ही नहीं जनता की निगाह में राहुल गांधी समस्‍या के मूल में हैं। राजनीतिक गतिविधियों पर निगाह रखने वालों का कहना है कि कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टिकरण, बहुसंख्‍यक समाज को लेकर नजरिया, राहुल गांधी के बयान और कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया ने जनता का कांग्रेस से मोह भंग कर दिया है। जैसे-जैसे सोशल मीडिया का दायरा बढ़ा कांग्रेस हाशिए पर खिसकती गई। करीब 7 साल पहले प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी ने वही कमी पूरी की जिसका नतीजा है कि बीजेपी 18 राज्यों में सरकार चला रही है।

कांग्रेस पर लगा वंशवाद का ठप्पा
पूरे देश में कांग्रेस पार्टी का जनाधार कम होता जा रहा है, लेकिन कांग्रेस इसकी समीक्षा ठीक तरीके से नहीं कर रही है। कांग्रेस को समझने की जरूरत है कि वह जब तक हार के सही कारणों का सही विश्लेषण नहीं करेंगी हालात में सुधार नहीं हो सकता है। कांग्रेस पर वंशवाद का ठप्पा लगा हुआ है। पार्टी में आंतरिक प्रजातंत्र नहीं है। जिसकी वजह से शीर्ष नेतृत्व निर्णय लेने में अक्षम है।

कांग्रेस के एजेंडे में बहुसंख्‍यक समाज नहीं
कांग्रेस के पास सवर्ण समाज के हितों उनके कल्‍याण संटीमेंट को समझने की कोई नीति नहीं है। साथ ही बहुसंख्‍यक समाज के कल्याण को लेकर भी कॉन्‍सेप्‍ट के स्‍तर पर किसी तरह का रोड मैप नहीं होने की वजह से बहुसंख्‍यक समाज कांग्रेस से पूरी तरह कटता जा रहा है। पूरे देश में अल्‍पसंख्‍यक तुष्टीकरण की नीति कांग्रेस के पतन का बड़ा कारण है। कांग्रेस के एजेंडे में बहुसंख्‍यक समाज है ही नहीं। एक सरकारी कर्मचारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि कांग्रेस को लगता है कि वो अब देश को जाति के आधार पर बांट लेगी लेकिन दलित हो पिछड़ा हो या अति पिछड़ा हो वो बहुसंख्‍यक समाज का हिस्‍सा है।

योग्य नेताओं की कमी
पटना सिटी के चौकशिकारपुर में जनरल स्‍टोर चलाने वाले 45 साल के प्रेम कुमार कहते हैं, कांग्रेस भारत की सबसे पुरानी पार्टी है। जिसका नतीजा ये हुआ कि इससे गैर जिम्‍मेदार नेता जुड़ते चले गए। पा‍र्टी के भीतर गैर राजनीतिक और गैर जिम्‍मेदार लोगों का जमावड़ा हो गया नतीजा ये हुआ कि राष्‍ट्रीय, राज्‍यीय और क्षेत्रीय स्‍तर पर गैर जिम्मेदार बयान और गैरजिम्‍मेदार व्‍यवहार की वजह से पार्टी ने अपनी साख गवां दी।

जनता से दूर हुए नेता, समस्‍याओं पर ध्‍यान नहीं
राजधानी पटना की जनता की बात की जाए तो आम लोगों का नजरिया कांग्रेस को लेकर बिल्‍कुल भी ठीक नहीं है। उनका कहना है कि आज कांग्रेस में ऐसे नेताओं की संख्या बहुत ज्यादा है जो जनता से पूरी तरह से कटे हुए हैं। लोगों के मुद्दों से भी दूर हैं। पटना सिटी लोहे के सरिया के सेल्‍समैन गणेश यादव कहते हैं कि जनता की समस्‍या पर कांग्रेस का ध्‍यान नहीं है। ऐसे में को भी उस पार्टी से क्‍यों जुड़ेगा जो जनता की समस्‍याओं के साथ है ही नहीं। कांग्रेस काल में इतने घोटाले हुए और हर घोटाले में कांग्रेस ने देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया। जिसका नतीजा है कि अब कांग्रेस को वोट कोई पढ़ा लिखा समाज नहीं करना चाहता है।

कथनी और करनी में बड़ा अंतर
कांग्रेस के पतन का कारण पूछने पर पंचम कपूर जो पेशे से बिजनेस मैन हैं, एनबीटी से कहा कि कांग्रेस में नई जान फूंकने की जरूरत है। पुराने कार्यकर्ता पिट चुके हैं। वो कहते हैं, पार्टी में अब वो पुराने नेता नहीं रहे जो धूप में पसीना बहाएं। पार्टी भी व्यक्तिवादी हो चुकी है और सोच भी। मुसलिम तुष्टीकरण की नीति कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी काल बनी है। वो हिंदू समाज जो पढ़ा लिखा है, अपनी आस्‍था में विश्‍वास रखता है और अपना अस्तित्‍व भारत से जोड़ कर देखता है तो वो कांग्रेस जैसी पार्टी को हालिया स्थिति में वोट नहीं करेगा। कांग्रेस की कथनी और करनी में बड़ा अंतर देखने को मिलता है। तुष्टिकरण ने देश को बर्बादी के कगार पर पहुंचाया। जिसमें कांग्रेस का बड़ा योगदान रहा है।

पार्टी में बढ़ गए चापलूस
टीवी और एलेक्‍ट्रॉनिक्‍स की दुकान चलाने वाले 50 साल के नागेश्‍वर सिंह का कहना है कि कांग्रेस में अब सत्‍ता की दलाली करने वाले नेताओं के चापलूस बढ़ गए हैं। उनका कहना है कि पार्टी नेहरू और गांधी पर कितने दिन तक चल सकती है। आपके पास नए युवा नेता नहीं हैं। नई सोच नहीं है। आज सोशल मीडिया का जमाना है। पहले गांधी रेडियो पर जो बोलते थे पूरा देश वही सुनता था, वही समझता थ। अब जो बोलते हैं वो भी सुना जाता है। जो कर‍ते हैं वो भी जनता को मालूम होता है। कब सूचनाएं जनता के पास पहुंच रही हैं। आपकी हर हरकत से जनता वाकिफ है। लिहाजा अब जनता को बरगला नहीं सकते हैं।

परिवारवाद है मुख्य कारण
जेडीयू के प्रवक्‍ता अभिषेक झा कहा कहना है कि कांग्रेस में परिवारवाद है। एक आलाकमान है। जिसका पार्टी पर कोई कमांड नहीं है। कांग्रेस जब तक परिवारवाद बाहर नहीं निकलेगी वह जनता के बीच विश्‍वास नहीं पैदा कर पाएगी। परिवारवाद पार्टी के पतन का सबसे बड़ा कारण है। जिससे कांग्रेस कमजोर हो रही है। वहीं बीजेपी ने भी इस यही बात कही कि कांग्रेस की समस्‍या ही समस्‍या का समाधान कर रही है। एसे में कांग्रेस पार्टी की समस्‍या का समाधान संभव नहीं है। बीजेपी प्रवक्‍ता अरविंद सिंह ने कहा कि राहुल गांधी और वंशवाद की राजनीति से जब तक कांग्रेस खुद को अलग नहीं करेगी समस्‍या का समाधान नहीं होगा।

कमजोर है कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व
एमबीए की छात्रा सौम्‍या सिंह कहती हैं कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्‍व कमजोर है। राहुल गांधी में आज का युवा अपना भविष्‍य नहीं देखता है, देश अब दलित, अल्‍पसंख्‍यक और पिछड़ा करने से नहीं चलेगा। केवल रटे रटाए भाषणों पर युवाओं को न तो भरोसा है न तो राहुल गांधी और कांग्रेस की बातों से किसी को लेना देना है। हमें कहीं भेदभाव नहीं दिखाई देता है। अब पिछड़ेपन का आधार जाति नहीं आर्थिक है। इसके बारे में कांग्रेस के पास कोई विजन नहीं है। कमजोर शीर्ष नेतृत्‍व ये समझ ही नहीं पा रहा है।

तुष्टीकरण नीति का परिणामकांग्रेस अपनी तुष्टीकरण की नीति की वजह से कमजोर हुई है। नेहा कपूर हाउस वाइफ हैं। उनका कहना है कि मुस्‍लिम तुष्‍टीकरण कांग्रेस के पतन का बड़ा कारण है। बहुसंख्‍यक समाज प्रधानमंत्री मोदी के सत्‍ता में काबिज होने के पहले से कांग्रेस से नाराज था। मथुरा हो, काशी विश्‍वनाथ हो, राम मंदिर हो सब जगह हिंदुओं के सेंटीमेंट से खिलवाड़ किया गया। बीजेपी के काल में ये सब चीज बाहर आ रही हैं। भावनाएं तब भी थीं अब भी हैं। उस वक्‍त उम्‍मीद नहीं थी। अब उम्‍मीद है। कांग्रेस ने बहुसंख्‍यक समाज को भावनात्‍मक रूप से छला है। समस्‍याएं आज भी हैं। महंगाई है लेकिन यह महंगाई तो हर टाइम में रही है। इस बात को समझना होगा कि कोई भी दल सेंटिमेंट से खिलवाड़ करके राज नहीं कर सकता है।
लेखक के बारे में
केशव सुमन सिंह
बिहार-झारखंड और दिल्ली के जाने-पहचाने पत्रकारों में से एक हैं। तीनों विधाओं (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब) में शानदार काम का करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। वर्तमान में नवभारतटाइम्स.कॉम में बतौर असिस्टेंट न्यूज एडिटर (बिहार-झारखंड) की भूमिका निभा रहे हैं। रिपब्लिक टीवी में बिहार-झारखंड बतौर हिंदी ब्यूरो पटना रहे। केशव पॉलिटिकल के अलावा बाढ़, दंगे, लाठीचार्ज और कठिन परिस्थितियों में शानदार टीवी प्रेजेंस के लिए जाने जाते हैं। जनसत्ता और दैनिक जागरण दिल्ली में कई पेज के इंचार्ज की भूमिका निभाई। झारखंड में आदिवासी और पर्यावरण रिपोर्टिंग से पहचान बनाई। केशव ने करियर की शुरुआत NDTV पटना से की थी।... और पढ़ें

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