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हटाए गए प्रफेसरों का अनुबंध दोबारा बहाल करने की मांग

विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत सरकार के UGC की तरफ से जारी पत्र संख्या F.25-1/2018 (PS/Misc) दिनांक 28/01/2019 में स्पष्ट उल्लेख है कि विश्वविद्यालय अपने स्वीकृत पद के अतिरिक्त 20% अधिक अतिथि सहायक प्राध्यापकों की सेवा ले सकता है एवं पठन-पाठन की व्यवस्था को सुचारू रूप से स्थापित कर सकता है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 13 Sep 2020, 9:05 pm
पटना
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बीएनएमयू, मधेपुरा के विभिन्न कॉलेजों में अनुबंध पर रखे गए असिस्टेंट प्रफेसरों की सेवा मुक्ति के खिलाफ शिक्षा जगत के कर्मियों में रोष है। वो सरकार से सेवा मुक्त किए गए अतिथि सहायक प्राध्यापकों को फिर से सेवा में लाने की मांग कर रहे हैं।

इसी संबंध में एक विज्ञप्ति जारी की गई है जिसमें कहा गया है, 'हाल ही में 9 सितंबर, 2020 को जारी अधिसूचना में बी. एन. एम. यू., मधेपुरा के अंतर्गत विभिन्न कॉलेजों एवं पीजी विभागों के दर्शनशास्त्र विभाग में कार्यरत 12 में से 5 अतिथि सहायक प्राध्यापकों एवं पूर्व में भी नियुक्त उर्दू सहायक प्राध्यापकों का अनुबंध रद्द कर कार्य मुक्त कर दिया गया। एक तरफ छात्र शिक्षक अनुपात दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, वहीं बिहार के विश्वविद्यालयों द्वारा इस समस्या का समाधान निकालने के बदले कार्यरत अतिथि सहायक प्राध्यापकों को कार्यमुक्त किया जा रहा है। इसलिए कार्यमुक्ति की इस पद्धति से शिक्षा व्यवस्था एवं पठन-पाठन में आने वाले समय में समस्या उत्पन्न हो सकती है।'

विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत सरकार के UGC की तरफ से जारी पत्र संख्या F.25-1/2018 (PS/Misc) दिनांक 28/01/2019 में स्पष्ट उल्लेख है कि विश्वविद्यालय अपने स्वीकृत पद के अतिरिक्त 20% अधिक अतिथि सहायक प्राध्यापकों की सेवा ले सकता है एवं पठन-पाठन की व्यवस्था को सुचारू रूप से स्थापित कर सकता है।

इसमें आगे कहा गया है, 'अतः बिहार राज्य अतिथि सहायक प्राध्यापक संघ इकाई पूर्णियां विश्वविद्यालय, पूर्णियां के अध्यक्ष चंदन सिंह, BRABU, मुजफ्फरपुर के अध्यक्ष डॉ. ललित किशोर एवं कोषाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार ने माननीय कुलपति, कुलसचिव एवं सरकार से अनुरोध करते हैं कि पठन-पाठन की व्यवस्था सुदृढ़ बनाने के लिए UGC की ओर से जारी पत्र के आलोक में सेवा मुक्त किए गए अतिथि सहायक प्राध्यापकों को पुनः समायोजित किया जाए।'

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