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5G Launch : आ गया 5G का जमाना, 3 घंटे की फिल्म 3 सेकेंड में डाउनलोड, पटना कनेक्शन भी जानिए

आज देश में 5G की शुरुआत हो गई। पहले चरण में देश के चार महानगरों समेत 13 शहरों में इसे शुरू किया गया। आगे धीरे-धीरे इसका विस्तार होगा। दिसंबर 2023 तक इसे पूरे देश में शुरू करने की योजना है। पीएम मोदी ने 5G के लॉन्च से पहले भारतीय मोबाइल कांग्रेस (IMC) के छठे संस्करण का भी उद्घाटन किया। मगर इस टेक्नोलॉजी रिवोल्यूशन में पटना मॉडल की खूब चर्चा है।

Curated byसुनील पाण्डेय | नवभारतटाइम्स.कॉम 1 Oct 2022, 11:54 am
पटना/दिल्ली : दावा किया जा रहा है कि तीन घंटे की फिल्म अब मात्र तीन सेंकेंड में डाउनलोड हो जाएगी। देश में 5जी सर्विस (5G service) लॉन्च कर दिया गया। दिल्ली के प्रगति मैदान में इसके लिए मंच सजाया गया। मगर इसमें अहम योगदान हजार किलोमीटर दूर बसे पटना शहर की रही। वैसे पटना के लोगों को इसका लाभ फिलहाल नहीं मिला, लेकिन आनेवाले दिनों में वे भी इसका फायदा उठा सकते हैं। 5G को लेकर पटना मॉडल (Patna Model) की चर्चा पूरे देश में है। 5G टेक्नोलॉजी को सपोर्ट करने के लिए बड़ी संख्या में टेलिकॉम टावर्स की जरूरत पड़ी, उन्हें लोकेट करने के लिए सरकार ने पटना मॉडल बनाया है। इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी है। पीएम गतिशक्ति (PM GatiShakti Project) के तहत इस योजना का मकसद इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाना है।
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5G के लिए कुछ ऐसे तैयार हुआ पटना मॉडल
दरअसल, पूरे देश में 5G लागू करने के लिए लोकेशंस की पहचान के लिए एक प्लान बनाया गया। इस प्लान के लिए पटना को चुना गया। पटना शहर में 2,333 टावर हैं। इसके लिए शहर को 200 स्क्वायर मीटर के ग्रिड में बांटा गया और नए टावर लगाने की संभावना का पता लगाया गया। एनालिसिस से पता चला कि 1517 टावर से पूरा ग्रिड कवर हो गया। लेकिन बेहतर सर्विस के लिए इससे दोगुना टावरों की जरूरत होगी। एक अधिकारी ने कहा कि ये एक मॉडल है, जो दिखाता है कि पीएम गतिशक्ति को पूरे देश में कैसे लागू किया जाए। 2G और 3G में ऐसा नहीं था लेकिन 5G के लिए टेलिकॉम डिपार्टमेंट और ऑपरेटर्स को कई छोटे-छोटे टावर लगाने हैं।

अब वीक सिग्नल को कहिए बाय-बाय
डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के मुताबिक इसके पीछे सोच ये है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार में मदद मिले और पूरी प्रक्रिया में तेजी आए। इसका एनालिसिस किया गया और अब इसे पूरे देश में लागू किया जा रहा। टेलिकॉम कंपनियों के इसे अपनाना है। एफिशियंसी के अलावा कवरेज में भी सुधार की कोशिश की जा रही है। भारत में अक्सर लोगों को अक्सर वीक सिग्नल की शिकायत रहती है। टावर लगाने में काफी समय लगता है।

पटना मॉडल से पूरे देश को मिला लाभ
आंकड़ों के मुताबिक 2021 के अंत तक देश में 6.5 लाख टावर थे लेकिन 5G के लिए इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। 5G के लिए ज्यादा ट्रांसमिशन पॉइंट्स की जरूरत पड़ती है। इनमें बेस स्टेशंस और स्मॉल सेल्स भी शामिल हैं। 5G नेटवर्क के लिए ज्यादा डेटा कैपेसिटी और मोबाइल टावर के ज्यादा फाइबराजेशन की जरूरत होती है। कई राज्यों ने 5G के स्मूद रोलआउट के लिए कमेटी बनाई है। इनमें दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और नगालैंड शामिल हैं। फिलहाल पटना के मोबाइल की 5G टेक्नोलॉजी के साथ जुड़ने की संभावना नहीं है। सरकार ने हाई स्पीड डेटा देने का वादा करने वाली तकनीक का समर्थन करने के लिए दूरसंचार टावरों का पता लगाने के लिए 'पटना मॉडल' पर काम जरूर किया गया।
लेखक के बारे में
सुनील पाण्डेय
सुनील पाण्डेय इस समय nbt.in के साथ Principal Digital Content Producer तौर पर जुड़े हुए हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 16 वर्षों का अनुभव है। ETV News, Zee Media, News18 सहित कई संस्थानों में अहम पद पर रहे। ग्राउंड और रिसर्च स्टोरी पर रिपोर्टिंग में माहिर माने जाते हैं। राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर खासी पकड़ रखते हैं। TV News के लिए शो बनाने में ​एक्सपर्ट सुनील को डिजिटल माध्यम में दिलचस्पी और सीखने की प्रबल इच्छा इन्हें नवभारत ​टाइम्स डिजिटल तक खींच लाई।... और पढ़ें

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