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बिहार की राजनीति के 'विकास पुरुष'! जनहित में 'गंगा' बहाना CM नीतीश की यूएसपी

Nitish Kumar News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने 17 साल के कार्यकाल में कुछ ऐसे कार्य किए हैं जो अगले कई साल तक याद किया जाता रहेगा। ये ऐसे विकास कार्य हैं जिसका लाभ अगले कई साल तक लोगों को मिलता रहेगा। ये कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश सरकार में हुए जनहित कार्य उन्हें बिहार के भागीरथ बनाते हैं।

Written byरमाकांत चंदन | Edited byअभिषेक कुमार | नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Nov 2022, 11:19 am

हाइलाइट्स

  • सीएम नीतीश ने पाइप के जरिए गंगा के जल को नालंदा, गया जैसे जिले में पहुंचाया है
  • पाइप लाइन के जरिए गंगा का पानी पहुंचाने की हर जगह हो रही है चर्चा
  • देश में पहली बार हुआ है बाढ़ के पानी का इतना अच्छा प्रयोग हुआ है
  • नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए भी कई ऐतिहासिक कार्य किए हैं
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पटना: सुशासन और विकास के मुद्दे पर 9वें दशक की राजनीति को पलट एक नई दिशा, एक नया बिहार बनाने के वादे के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब राज्य की सत्ता संभाली तो उनका वादा सिर्फ वादा नहीं रहा। लगभग डेढ़ दशक की राजनीत में जनहित को देखते विकास के लिए ऐसे कई काम जो देश दुनिया के लिए नजीर बन गए। नीतीश कुमार का यह कालखंड आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के जंगलराज का निदान बन कर उभरे। जहां राज्य में सड़कों का जाल इस तरह बना की बिहार में राजधानी से कभी भी आना अधिकतम 6 घंटे के साथ बंध गया। अपराध की घटनाओं पर नियंत्रण हुआ। राज्य में व्यवसाय फलने लगा। सत्ता का यह स्वरूप नीतीश कुमार का यूएसपी बन गया।
सत्ता के इस कालखंड में विकास के पथ पर एक कदम और चलते गयावासियों को गंगा जल उपलब्ध कराना एक हरकुलियन टास्क था, जिसे पूरा कर जनता की धार्मिक भावना की पूर्ति तो की ही। साथ ही पानी की जो किल्लत को भी दूर किया।

क्या है ये गंगा जल मुहिम

यह सच है कि मुख्यमंत्री ने गया और बोधगया में गंगाजल आपूर्ति योजना का शुभारंभ कर एक बड़ी आबादी को प्यास से मुक्त की कहानी लिखी है। सरकार के इस दिशा में उठे इस कदम से लोगों की भूगर्भीय जल पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।
गया में अब प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इससे लोगों को पानी की समस्या नहीं होगी और वह दिनचर्या के सारे कार्य सहूलियतपूर्वक कर सकेंगे। खाना बनाना, स्नान करना, साफ-सफाई करने के साथ-साथ घर में पूजा-पाठ के लिए भी गंगाजल हमेशा उपलब्ध रहेगा। गंगाजल की उपलब्धता के बाद लोगों की भूगर्भीय जल पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। भू-जल स्तर भी मेंटेन रहेगा। लोगों को गंगाजल की आपूर्ति की शुरुआत हो गई है। गंगाजल हथीदह से पाइपलाइन के जरिए नवादा, राजगीर गया और बोधगया आ रहा है।

गंगाजल आपूर्ति योजना पर राज्य सरकार की ओर से 4,175 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसके मेंटेनेंस की भी व्यवस्था करायी जा रही है। गया नगर निगम के 53 और बोधगया के 9 वार्डों में सभी जगह गंगाजल की आपूर्ति शुरू हो गई है। गया में लाखों लोग पूर्वजों के पिंडदान के लिए आते हैं। इसके लिए विष्णुपद मंदिर के समीप फल्गू नदी में गया डैम का निर्माण कराया गया। इससे तीर्थयात्रियों को काफी सुविधा हुई और इसे लेकर उनमें काफी प्रसन्नता है।
गया में अब घर-घर गंगाजल, सीएम नीतीश ने की गंगाजल आपूर्ति योजना की शुरुआतगंगा जल मुहिम के पहले भी कई जनहित के मुद्दे को जमीन पर उतारा। खास कर आधी आबादी नीतीश कुमार के निगाह में शुरू से रही। नीतीश कुमार की चिंता में आधी आबादी का सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक समृद्धि रहा है। इस क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब से सत्ता की बागडोर संभाली तो छात्राओं के उत्थान के साथ साथ महिलाओं के लिए भी कई अहम कदम उठाये गए।

मुख्यमंत्री पोशाक योजना
पोशाक योजना महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है। इस योजना के तहत बिहार सरकार राज्य सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को पोशाक मुहैया करवाती आई है। बिहार सरकार के नए नियम के अनुसार मुख्यमंत्री पोशाक योजना मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना, मुख्यमंत्री बालक पोशाक योजना और बिहार शताब्दी मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के तहत सरकार पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को जीविका दीदी के माध्यम से बनाए गए ड्रेस मुहैया करवाने का निर्णय लिया है। हालांकि यह नियम इसी साल बदले हैं, इससे पहले बिहार सरकार मुख्यमंत्री पोशाक योजना के तहत पहली से दूसरी कक्षा की छात्राओं की राशि को 400 से बढ़ाकर 600 रुपये देती है तीसरी से पांचवीं कक्षा के लिए पोशाक राशि 500 से बढ़ाकर 700 रुपये देती है वहीं छठी से आठवीं कक्षा के लिए 600 से बढ़ाकर 800 रुपये और बिहार शताब्दी पोशाक योजनांतर्गत 1000 रुपये से बढ़ाकर राशि को 1500 रुपये देती है उस राशि से बच्चे सिले हुए दो पोशाक जीविका समूह अथवा उद्यमिता विकास से संबद्ध क्लस्टर्स से खरीदेंगे। पहले वह बाजार से इसकी खरीद करते थे।
'गंगा तेरा पानी अमृत झर-झर बहता जाए', नवादा, राजगीर और बोधगया के हर घर तक पहुंचेगा गंगाजलइस योजना के अंतर्गत आने वाले छात्रों के लिए 75 प्रतिशत की अनिवार्यता को भी ख़त्म कर दी गई है, यानी की सभी छात्रों को इस योजना का लाभ दिया जायेगा।

आरक्षण और आधी आबादी
बिहार में महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। इस वजह से बड़ी संख्या में महिलाएं सरकारी सेवाओं में नियुक्त हो कर कार्य कर रही है। नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से परिवारों में भी समृद्धि आयी। जहां सरकारी सेवाओं में 35 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण दिया गया है। वहीं 2006 के बाद महिलाओं को पंचायती राज व्यवस्था व नगर निकाय के चुनाव में 50 प्रतिशत की भागिदारी बिहार में दी जा रही है। इससे बड़े पैमाने पर महिलाएं घरों से निकल कर समाज में आत्म निर्भर हुई है। इन सब वजहों से महिलाओं का सम्मान समाज व परिवार में काफी बढ़ा है।
घर-घर गंगा जल... गया के 80 हजार घरों तक पहुंचेगा पानी, अब 365 दिनों तक पानी की सप्लाईछात्रवृति का भी प्रबंध
यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच है कि निरंतर आगे पढ़ाई जारी रखने के लिए बच्चों को छात्रवृति दी जाए। इसके तहत मैट्रिक पास को 10 हजार और इंटर पास 25 हजार रुपये दिया जाता है। ऐसा इसलिए कि बीच में ही उनकी पढ़ाई छूट न जाए।

प्रतिबंध के जरिए भी सामाजिक सुधारनीतीश कुमार ने कुछ प्रतिबंध के सहारे भी आधी आबादी को सामाजिक सुरक्षा दी। मसलन, बाल विवाह पर प्रतिबंध। शराबबंदी कानून से भी महिलाओं को काफी राहत दी है। बहरहाल, राज्य की तस्वीर देश दुनिया में बदली है तो वह है विकास के नए पैमाने और आधी आबादी का सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक उत्कर्ष।
लेखक के बारे में
रमाकांत चंदन
पत्रकारिता की शुरुआत 1988 से बतौर फ्री लांसर नवभारत टाइम्स और दैनिक हिंदुस्तान के साथ की। विधिवत 1996 में हस्तक्षेप, राष्ट्रीय सहारा नोएडा से शुरू किया। 2012 में विशेष संवाददाता बना। 2020 में राष्ट्रीय सहारा पटना का स्थानीय संपादक, 2022 में सलाहकार संपादक राष्ट्रीय सहारा। और अब सितंबर 2022 से नवभारत टाइम्स ऑन लाइन में संपादकीय सलाहकार। कविता की दो पुस्तक 'ऊसर में नवान्न' व 'गोयता थापती लड़की'। कला साहित्य व संस्कृति के समीक्षात्मक पहलू को समेटे तीसरी पुस्तक दूसरा पक्ष।... और पढ़ें

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