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हकीकत भांप चुके हैं आरसीपी सिंह, जानिए पूर्व कैबिनेट मंत्री होने के बाद बिहार में क्‍या करेंगे...

आरसीपी सिंह का तीसरी बार राज्‍यसभा जाने का सपना धरा का धरा रह गया। हालांकि आरसीपी बड़ी उम्‍मीद से थे कि उन्‍हें नीतीश कुमार तीसरी बार भी मौका देंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। नीतीश कुमार ने अपने चिर परिचित अंदाज में खीरू महतो का नाम राज्‍यसभा कैंडिडेट के रूप में घोषित कर आरसीपी का पत्‍ता साफ कर दिया। जानिए अब आरसीपी सिंह के पास क्‍या ऑप्‍शन हैं।

Authored byकेशव सुमन सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 30 May 2022, 1:45 pm
पटना : जेडीयू की ओर से अंतत: आरसीपी सिंह का नाम राज्‍यसभा के लिए काट दिया गया। आरसीपी सिंह का तीसरी बार राज्‍यसभा जाने का सपना पूरा नहीं हो सका। जेडीयू ने झारखंड के अपने पुराने कार्यकर्ता खीरू महतो का नाम राज्‍यसभा कैंडिडेट के रूप में घोषित कर दिया है। अब बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर आरसीपी सिंह का क्‍या होगा? यही सवाल सभी के मन में है। आरसीपी का कार्यकाल 7 जुलाई तक का है। संवैधानिक रूप से कैबिनेट में मंत्री बने रहने के लिए दोनों में से किसी एक सदन का सदस्‍य होना अनिवार्य है। आरसीपी सिंह सांसद हैं नहीं, जेडीयू के कोटे से राज्‍य सभा के सदस्‍य हैं। जिसका कार्यकाल 7 जुलाई को खत्‍म हो रहा है। ऐसे में वाजिब सी बात है कि आरसीपी सिंह को केंद्र में कैबिनेट मंत्री के पद छोड़ना पड़ेगा। नियम के अनुसार उनके पास टर्म पूरा होने के बाद भी छह महीने का वक्‍त है। इसके बाद उनके हाथ से केंद्रीय कैबिनेट के इस्‍पात मंत्री का पद भी निकल जाएगा।
नवभारतटाइम्स.कॉम आरसीपी सिंह, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री
आरसीपी सिंह, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री


ललन सिंह के बयान में तस्‍वीर साफ
बताते चलें कि कल जिस तरीके पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष यानी ललन सिंह ने दो टूक लहजे में ये बताया कि उन्‍हें जितना सम्‍मान दिया जाना चाहिए था वो दिया जा चुका है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जेडीयू अब उन्‍हें आगे किसी तरीके से भी केंद्र में भेजने के मूड में नहीं है। ललन सिंह ने कहा कि कहा कि 'आरसीपी सिंह पार्टी के वरिष्‍ठ नेता हैं। उन्‍हें पार्टी के सभी सर्वोच्‍च पदों पर सम्‍मान दिया गया। पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष के रूप में उन्‍हें जिम्‍मेदारी दी गई। उन्‍हें राज्‍यसभा भेजकर भी उनका सम्‍मान किया गया। इस वक्‍त भी वो पार्टी के वरिष्‍ठ नेता हैं।' इस बयान के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब आरसीपी सिंह के पास एक मात्र रास्‍ता यही बचता है कि वो प्रदेश की राजनीति में वापस आएं।
क्‍या आरसीपी ने भी बना लिया है मन
वहीं अब सवाल उठता है आरसीपी सिंह का क्‍या होगा। जाहिर सी बात है आरसीपी सिंह के लिए पार्टी में अब वैसा कोई पद बचा नहीं जो उनकी वरिष्‍ठता के हिसाब से हो। बताते चलें कि राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष के पद पर ललन सिंह हैं। यह जगह आरसीपी सिंह के लिए ललन सिंह को हटा कर बनाई नहीं जाएगी। वहीं प्रदेश अध्‍यक्ष का पद उमेश कुशवाहा के पास है। संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष के रूप में उपेंद्र कुशवाहा हैं। लिहाजा यह पद थी खाली नहीं है। इधर, राज्‍यसभा सदस्‍य का कार्यकाल 7 जुलाई को पूरा हो रहा है। उन्‍हें तीसरी बार राज्‍यसभा भेजे जाने की संभावना खत्‍म हो चुकी है। रही बात मुख्‍यमंत्री पद की उस पर नीतीश कुमार खुद हैं।


अब कार्यकर्ता के रूप में काम करेंगे आरसीपीएक वक्‍त था आरसीपी सिंह पार्टी में राज्‍यसभा कैंडिडेट तय करते थे लेकिन आज वो कार्यकर्ता के रूप में काम करने का मन बना चुके हैं। शायद अब उनके पास केवल यही रास्‍ता है। वहीं आरसीपी सिंंह भी इस बात को भांप चुके हैं। तभी तो उन्‍होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मैं बूथ स्‍तर का कार्यकर्ता हूं। मैं बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं से मिल नहीं पाया हूं। आरसीपी सिंह ने कहा, मैं संगठन का आदमी हूं। जहां भी हमारे कार्यकर्ता हमें बुलाएंगे मैं वहां मौजूद रहूंगा। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस वक्‍त आरसीपी मौके की नजाकत को भांप चुके हैं।
लेखक के बारे में
केशव सुमन सिंह
बिहार-झारखंड और दिल्ली के जाने-पहचाने पत्रकारों में से एक हैं। तीनों विधाओं (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब) में शानदार काम का करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। वर्तमान में नवभारतटाइम्स.कॉम में बतौर असिस्टेंट न्यूज एडिटर (बिहार-झारखंड) की भूमिका निभा रहे हैं। रिपब्लिक टीवी में बिहार-झारखंड बतौर हिंदी ब्यूरो पटना रहे। केशव पॉलिटिकल के अलावा बाढ़, दंगे, लाठीचार्ज और कठिन परिस्थितियों में शानदार टीवी प्रेजेंस के लिए जाने जाते हैं। जनसत्ता और दैनिक जागरण दिल्ली में कई पेज के इंचार्ज की भूमिका निभाई। झारखंड में आदिवासी और पर्यावरण रिपोर्टिंग से पहचान बनाई। केशव ने करियर की शुरुआत NDTV पटना से की थी।... और पढ़ें

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