पटना: क्या बिहार की सत्ताधारी महागठबंधन सरकार में सब ठीक नहीं चल रहा? महज दो महीने के भीतर ही आरजेडी कोटे के दो मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। पहले कानून मंत्री कार्तिक सिंह को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था, अब कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Bihar Minister Sudhakar Singh Resign) को नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा है। हालांकि, सुधाकर सिंह का इस्तीफा इसलिए अहम माना जा रहा क्योंकि उन्होंने ये कदम दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती के दिन उठाया। आरजेडी ने गांधी जयंती के दिन सुधाकर सिंह के इस्तीफे को खास मौके के तौर पर लिया है। बिहार आरजेडी अध्यक्ष और सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह ने इसे 'त्याग' करार दिया। वहीं आरजेडी के इस दांव से सवाल उठ रहे कि क्या पार्टी अपने 2020 के एजेंडे को 2025 के लिए धार दे रही? सुधाकर सिंह के अचानक इस्तीफे से उठे सवाल
दरअसल, आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अपने बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफे का ऐलान करते समय महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नामों का जिक्र किया। उन्होंने मंत्री पद से सुधाकर सिंह के इस्तीफे को किसानों के हित और उनकी सेवा के लिए 'बलिदान' करार दिया। जगदानंद सिंह ने कहा कि उनके बेटे ने राज्य के किसानों के हित में एक बड़ी लड़ाई शुरू की है, जिसमें बलिदान की जरूरत होती है। माना जा रहा कि कैमूर के रामगढ़ से विधायक सुधाकर सिंह ने अपने पिता की सलाह पर ये कदम उठाया। यही नहीं आरजेडी के इस दांव ने सियासी गलियारे में छेड़ दी है कि पार्टी पार्टी बिहार के अगले विधानसभा चुनाव में अपने 2020 के एजेंडे पर खास फोकस रखने वाली है। जिसमें कृषि, रोजगार आदि मुद्दे शामिल हैं।
सुधाकर लगातार कर रहे थे नीतीश को टारगेट
सुधाकर सिंह के इस्तीफे को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। दरअसल, वो अगस्त में बनी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू-महागठबंधन सरकार की लगातार आलोचना कर रहे थे। खास तौर से कृषि रोड मैप के मुद्दे पर वो पहले की एनडीए सरकार पर सवाल उठा रहे थे। सुधाकर सिंह ने सरकारी ऑफिस और अपने ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाया। खुद को 'चोरों का सरदार' बताकर और लोगों से भ्रष्ट अधिकारियों को जूतों से पीटने जैसी बातें कहीं। अपने इन्हीं बयानों से वो लगातार सीएम नीतीश को परेशान कर रहे थे। यही नहीं उन्होंने बिहार में पिछले तीन कृषि रोड मैप की भी आलोचना कर रहे थे, कहीं न कही नीतीश कुमार से जुड़ रहा था।
क्या आरजेडी 2025 प्लान पर कर रही काम?
सुधाकर सिंह ने 'मंडियों' (बाजार समितियों) को वापस लाने की भी बात की, जिसे नीतीश कुमार ने 2006 में ही बिहार से खत्म कर दिया था। नीतीश कुमार ने कुछ समय पहले आए केंद्र के कृषि बिलों का भी समर्थन किया था। हालांकि, आरजेडी समेत महागठबंधन में शामिल तमाम पार्टियां उस बिल के खिलाफ थी। किसानों ने भी इस बिल को लेकर आंदोलन किया था, भारी विरोध के बाद केंद्र सरकार को वो बिल वापस लेना पड़ा था।
2020 के घोषणा पत्र से 2025 का टारगेट
कृषि के साथ-साथ आरजेडी ने 2020 घोषणापत्र में रोजगार के मुद्दे पर खास फोकस किया था। जिसका फायदा भी उन्हें विधानसभा चुनाव में मिला था। अब नीतीश कुमार जब महागठबंधन के साथ सरकार चला रहे तो आरजेडी अपने इस एजेंडे को प्रमुखता लेकर चल रही है। युवाओं को 10 लाख रोजगार देने के 2020 के चुनावी घोषणापत्र के ऐलान को लागू करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, महज डेढ़ महीने के भीतर जेडीयू-महागठबंधन सरकार के दो मंत्रियों के इस्तीफे पर बीजेपी ने पलटवार किया है।
सुधाकर सिंह के इस्तीफे पर बीजेपी का पलटवार
बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि एक महीने में दूसरा विकेट गिरने के बाद सीएम के लिए और अधिक शर्मिंदगी की स्थिति है। लेकिन जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने इसे तवज्जो नहीं दी। उन्होंने टीओआई को फोन पर बताया कि कृषि मंत्रालय सुधाकर सिंह के अनुकूल नहीं था। जद (यू) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी नए सियासी घटनाक्रम को 'आरजेडी का आंतरिक मामला' बताकर इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि केवल जगदा बाबू ही बता सकते हैं कि अपने बेटे के इस्तीफे के लिए 'बलिदान' शब्द का इस्तेमाल करने के पीछे उनका क्या मतलब है।
जगदानंद सिंह के 'बलिदान' कमेंट पर कुशवाहा का पलटवारउपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सुधाकर सिंह ने पूर्व में कहा था कि लालू यादव या तेजस्वी के कहने पर वह इस्तीफा दे देंगे। अब उन्हें आदेश मिल गया होगा। जेडीयू नेता हाल ही में एक कैबिनेट बैठक का जिक्र कर रहे थे, जिसमें से सुधाकर सिंह उठकर बाहर चले गए थे और सीधे लालू यादव के पास गए। उस समय आरजेडी सुप्रीमो पटना में ही थे, और अगले दिन सुधाकर सिंह ने कहा था कि लालू-तेजस्वी उनके नेता हैं, नीतीश कुमार नहीं। सुधाकर सिंह के मंत्री पद से इस्तीफे की एक अहम वजह ये बयान भी माना जा रहा।
दरअसल, आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अपने बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफे का ऐलान करते समय महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नामों का जिक्र किया। उन्होंने मंत्री पद से सुधाकर सिंह के इस्तीफे को किसानों के हित और उनकी सेवा के लिए 'बलिदान' करार दिया। जगदानंद सिंह ने कहा कि उनके बेटे ने राज्य के किसानों के हित में एक बड़ी लड़ाई शुरू की है, जिसमें बलिदान की जरूरत होती है। माना जा रहा कि कैमूर के रामगढ़ से विधायक सुधाकर सिंह ने अपने पिता की सलाह पर ये कदम उठाया। यही नहीं आरजेडी के इस दांव ने सियासी गलियारे में छेड़ दी है कि पार्टी पार्टी बिहार के अगले विधानसभा चुनाव में अपने 2020 के एजेंडे पर खास फोकस रखने वाली है। जिसमें कृषि, रोजगार आदि मुद्दे शामिल हैं।
सुधाकर लगातार कर रहे थे नीतीश को टारगेट
सुधाकर सिंह के इस्तीफे को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। दरअसल, वो अगस्त में बनी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू-महागठबंधन सरकार की लगातार आलोचना कर रहे थे। खास तौर से कृषि रोड मैप के मुद्दे पर वो पहले की एनडीए सरकार पर सवाल उठा रहे थे। सुधाकर सिंह ने सरकारी ऑफिस और अपने ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाया। खुद को 'चोरों का सरदार' बताकर और लोगों से भ्रष्ट अधिकारियों को जूतों से पीटने जैसी बातें कहीं। अपने इन्हीं बयानों से वो लगातार सीएम नीतीश को परेशान कर रहे थे। यही नहीं उन्होंने बिहार में पिछले तीन कृषि रोड मैप की भी आलोचना कर रहे थे, कहीं न कही नीतीश कुमार से जुड़ रहा था।
क्या आरजेडी 2025 प्लान पर कर रही काम?
सुधाकर सिंह ने 'मंडियों' (बाजार समितियों) को वापस लाने की भी बात की, जिसे नीतीश कुमार ने 2006 में ही बिहार से खत्म कर दिया था। नीतीश कुमार ने कुछ समय पहले आए केंद्र के कृषि बिलों का भी समर्थन किया था। हालांकि, आरजेडी समेत महागठबंधन में शामिल तमाम पार्टियां उस बिल के खिलाफ थी। किसानों ने भी इस बिल को लेकर आंदोलन किया था, भारी विरोध के बाद केंद्र सरकार को वो बिल वापस लेना पड़ा था।
2020 के घोषणा पत्र से 2025 का टारगेट
कृषि के साथ-साथ आरजेडी ने 2020 घोषणापत्र में रोजगार के मुद्दे पर खास फोकस किया था। जिसका फायदा भी उन्हें विधानसभा चुनाव में मिला था। अब नीतीश कुमार जब महागठबंधन के साथ सरकार चला रहे तो आरजेडी अपने इस एजेंडे को प्रमुखता लेकर चल रही है। युवाओं को 10 लाख रोजगार देने के 2020 के चुनावी घोषणापत्र के ऐलान को लागू करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, महज डेढ़ महीने के भीतर जेडीयू-महागठबंधन सरकार के दो मंत्रियों के इस्तीफे पर बीजेपी ने पलटवार किया है।
सुधाकर सिंह के इस्तीफे पर बीजेपी का पलटवार
बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि एक महीने में दूसरा विकेट गिरने के बाद सीएम के लिए और अधिक शर्मिंदगी की स्थिति है। लेकिन जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने इसे तवज्जो नहीं दी। उन्होंने टीओआई को फोन पर बताया कि कृषि मंत्रालय सुधाकर सिंह के अनुकूल नहीं था। जद (यू) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी नए सियासी घटनाक्रम को 'आरजेडी का आंतरिक मामला' बताकर इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि केवल जगदा बाबू ही बता सकते हैं कि अपने बेटे के इस्तीफे के लिए 'बलिदान' शब्द का इस्तेमाल करने के पीछे उनका क्या मतलब है।
जगदानंद सिंह के 'बलिदान' कमेंट पर कुशवाहा का पलटवारउपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सुधाकर सिंह ने पूर्व में कहा था कि लालू यादव या तेजस्वी के कहने पर वह इस्तीफा दे देंगे। अब उन्हें आदेश मिल गया होगा। जेडीयू नेता हाल ही में एक कैबिनेट बैठक का जिक्र कर रहे थे, जिसमें से सुधाकर सिंह उठकर बाहर चले गए थे और सीधे लालू यादव के पास गए। उस समय आरजेडी सुप्रीमो पटना में ही थे, और अगले दिन सुधाकर सिंह ने कहा था कि लालू-तेजस्वी उनके नेता हैं, नीतीश कुमार नहीं। सुधाकर सिंह के मंत्री पद से इस्तीफे की एक अहम वजह ये बयान भी माना जा रहा।