नीलकमल, पटना: बिहार निकाय चुनाव (Bihar Nagar Nigam Election 2022) में अति पिछड़ा के आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। जिसके बाद निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद बिहार सरकार ने हाई कोर्ट का रुख किया और अदालत के आदेश के बाद अक्टूबर में नीतीश सरकार ने पिछड़ा आयोग के लिए कमीशन का गठन किया था। बिहार सरकार की ओर से यह कहा गया था कि आयोग जब रिपोर्ट सौंपेगी तभी बिहार सरकार निकाय चुनाव कराएगी। अब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से राजनीतिक पिछड़ेपन की पहचान के लिए बनाए गए 'डेडीकेटेड कमीशन' पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार पर पिछड़ा - अति पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगाया है। नीतीश सरकार का डेडिकेटेड कमीशन निष्पक्ष नहीं- सुशील मोदी
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार राजनैतिक पिछड़ेपन की पहचान के लिए ट्रिपल टेस्ट के लिए एक समर्पित स्वतंत्र आयोग बनाया जाना था। लेकिन परंतु नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा आयोग को ही समर्पित आयोग अधिसूचित कर दिया। सुशील मोदी ने कहा कि इसमें अध्यक्ष सहित सभी सदस्य जदयू -RJD के वरिष्ठ नेता ही थे। सुशील मोदी ने यह भी कहा कि बनाया गया आयोग न तो पारदर्शी और न ही निष्पक्ष था।
CM के अति पिछड़ा विरोधी रवैया के कारण निगम चुनाव टला- सुशील मोदी
सुशील मोदी ने बताया कि बीजेपी लगातार यह मांग कर रही थी कि किसी सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमीशन गठित किया जाए ताकि वह निष्पक्ष पारदर्शी बिना भेदभाव के काम कर सकें। सुशील मोदी ने कहा कि बीजेपी के कहने के बावजूद JDU-RJD समर्थित आयोग द्वारा जल्दबाजी में रिपोर्ट दाखिल करने के चक्कर में पूरे निकाय क्षेत्र का सर्वे नहीं कर सकी। सुशील मोदी ने कहा कि पूरे निकाय क्षेत्र का सर्वे करने के बजाए नगर निगम में 7, नगर परिषद में 5 एवं नगर पंचायत में मात्र 3 वार्ड में ही सर्वे का निर्णय लिया गया। सुशील मोदी ने कहा कि अब नीतीश कुमार की जिद के कारण बिहार का निकाय चुनाव कानूनी दांवपेच में फंस गया है। इसके अलावा बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नगर विकास मंत्री हैं। लेकिन उन्हें अति पिछड़ों एवं विभाग से दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए लगाई रोक
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार सरकार के कमीशन को सभी OBC का सर्वे कर उसमें राजनैतिक पिछड़ापन के आधार पर रिपोर्ट देना था। लेकिन कमीशन द्वारा केवल EBC का ही वह भी आधा अधूरा सर्वे कराया जा रहा था। सुशील मोदी ने कहा कि इन्हीं सब कारणों से न्यायाधीश सूर्यकांत और जे.जे. माहेश्वरी की खंडपीठ ने EBC कमीशन को Dedicated Commission के रूप में अधिसूचित करने पर 28 नवंबर को रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 243 (U) में निकाय की पहली बैठक से 5 वर्ष की अवधि तक ही निकाय का कार्यकाल होगा। इसके अलावा निकाय का चुनाव अवधि पूरे होने के पूर्व या भंग होने के 6 माह के भीतर कराए जाने का संवैधानिक प्रावधान है। लेकिन बिहार में बड़ी संख्या में निकायों का चुनाव एक-डेढ़ वर्ष से लंबित है।
बीजेपी ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर भी उठाए थे नीतीश के डेडीकेटेड कमीशन पर सवालबीजेपी की ओर से गठित सामाजिक न्याय समिति की ओर से एक सप्ताह पहले पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग आयोग को जो स्मार पत्र सौंपा गया है उसमें आयोग को यह बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा 'फॉरवर्ड मुस्लिम जातियों' को गलत ढंग से सूची में शामिल किया गया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी 'मुंगेरीलाल आयोग' और 'जननायक कर्पूरी ठाकुर' की सूचियों को मान्यता देती है। लेकिन वर्तमान में जो सूची बनाई जा रही है उसमें राज्य सरकार द्वारा राजनीतिक लाभ और स्वार्थ के लिए अनेक फॉरवर्ड मुस्लिम जातियों को शामिल कर दिए जाने से वास्तविक पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों के अधिकारों में कटौती हो रही है। उन्होंने कहा कि फॉरवर्ड जाति से आने वाले मुसलमानों को आरक्षण का लाभ दिया जाना सामाजिक न्याय के विरुद्ध है। इसलिए जरूरी है कि आरक्षण का पात्र नहीं रखने वाले फॉरवर्ड मुस्लिम जातियों की पहचान कर उसे सूची से बाहर निकाला जाए ताकि वास्तविक हकदारों को उनका हक मिल सके।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार राजनैतिक पिछड़ेपन की पहचान के लिए ट्रिपल टेस्ट के लिए एक समर्पित स्वतंत्र आयोग बनाया जाना था। लेकिन परंतु नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा आयोग को ही समर्पित आयोग अधिसूचित कर दिया। सुशील मोदी ने कहा कि इसमें अध्यक्ष सहित सभी सदस्य जदयू -RJD के वरिष्ठ नेता ही थे। सुशील मोदी ने यह भी कहा कि बनाया गया आयोग न तो पारदर्शी और न ही निष्पक्ष था।
CM के अति पिछड़ा विरोधी रवैया के कारण निगम चुनाव टला- सुशील मोदी
सुशील मोदी ने बताया कि बीजेपी लगातार यह मांग कर रही थी कि किसी सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमीशन गठित किया जाए ताकि वह निष्पक्ष पारदर्शी बिना भेदभाव के काम कर सकें। सुशील मोदी ने कहा कि बीजेपी के कहने के बावजूद JDU-RJD समर्थित आयोग द्वारा जल्दबाजी में रिपोर्ट दाखिल करने के चक्कर में पूरे निकाय क्षेत्र का सर्वे नहीं कर सकी। सुशील मोदी ने कहा कि पूरे निकाय क्षेत्र का सर्वे करने के बजाए नगर निगम में 7, नगर परिषद में 5 एवं नगर पंचायत में मात्र 3 वार्ड में ही सर्वे का निर्णय लिया गया। सुशील मोदी ने कहा कि अब नीतीश कुमार की जिद के कारण बिहार का निकाय चुनाव कानूनी दांवपेच में फंस गया है। इसके अलावा बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नगर विकास मंत्री हैं। लेकिन उन्हें अति पिछड़ों एवं विभाग से दूर-दूर तक कोई मतलब नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए लगाई रोक
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार सरकार के कमीशन को सभी OBC का सर्वे कर उसमें राजनैतिक पिछड़ापन के आधार पर रिपोर्ट देना था। लेकिन कमीशन द्वारा केवल EBC का ही वह भी आधा अधूरा सर्वे कराया जा रहा था। सुशील मोदी ने कहा कि इन्हीं सब कारणों से न्यायाधीश सूर्यकांत और जे.जे. माहेश्वरी की खंडपीठ ने EBC कमीशन को Dedicated Commission के रूप में अधिसूचित करने पर 28 नवंबर को रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 243 (U) में निकाय की पहली बैठक से 5 वर्ष की अवधि तक ही निकाय का कार्यकाल होगा। इसके अलावा निकाय का चुनाव अवधि पूरे होने के पूर्व या भंग होने के 6 माह के भीतर कराए जाने का संवैधानिक प्रावधान है। लेकिन बिहार में बड़ी संख्या में निकायों का चुनाव एक-डेढ़ वर्ष से लंबित है।
बीजेपी ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर भी उठाए थे नीतीश के डेडीकेटेड कमीशन पर सवालबीजेपी की ओर से गठित सामाजिक न्याय समिति की ओर से एक सप्ताह पहले पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग आयोग को जो स्मार पत्र सौंपा गया है उसमें आयोग को यह बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा 'फॉरवर्ड मुस्लिम जातियों' को गलत ढंग से सूची में शामिल किया गया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी 'मुंगेरीलाल आयोग' और 'जननायक कर्पूरी ठाकुर' की सूचियों को मान्यता देती है। लेकिन वर्तमान में जो सूची बनाई जा रही है उसमें राज्य सरकार द्वारा राजनीतिक लाभ और स्वार्थ के लिए अनेक फॉरवर्ड मुस्लिम जातियों को शामिल कर दिए जाने से वास्तविक पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों के अधिकारों में कटौती हो रही है। उन्होंने कहा कि फॉरवर्ड जाति से आने वाले मुसलमानों को आरक्षण का लाभ दिया जाना सामाजिक न्याय के विरुद्ध है। इसलिए जरूरी है कि आरक्षण का पात्र नहीं रखने वाले फॉरवर्ड मुस्लिम जातियों की पहचान कर उसे सूची से बाहर निकाला जाए ताकि वास्तविक हकदारों को उनका हक मिल सके।