पटना: लगता है बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के वश में कुछ नहीं है। ना उनसे पार्टी संभल रही और न पार्टी के नेताओं की जुबान पर ही उनका कोई कंट्रोल है। हालांकि, वह बार-बार यह जरूर बता रहे कि तमाम फैसला लेने का अधिकार उनके पास है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस बात का दिखावा क्यों, जब उनके हाथ में कुछ है ही नहीं। दरअसल, आरजेडी के नए सिपहसालार कंफ्यूज हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि रामचरितमानस विवाद पर क्या किया जाना चाहिए?
एक तरफ पार्टी तेजस्वी को अपने हिंदू वोट बैंक की चिंता है। उनके आस्था की चिंता है। वहीं हिंदूधर्म के खिलाफ बात कर समाजवाद का चेहरा भी गढ़ना है। तेजस्वी के A to Z फॉर्म्यूले में वही समाज है, जो जाति में तो बंट जाता है। आरक्षण के लिए दलित महादलित भी हो जाता है। अगड़ा पिछड़ा भी हो जाता है। लेकिन राम के नाम पर एक होता है।
अब बड़ा सवाल यह है कि वह 'बयानवीर' नेता जगदानंद सिंह हैं या प्रोफेसर चंद्रशेखर? एक 'बयानवीर' नेता ने हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाया, तो दूसरे ने उसे जायज ठहराया। वहीं दूसरे बयानवीर ने कंधे पर हाथ रखकर उसकी बात का समर्थन किया। उसे समाजवाद का सिपाही बताया। इतना ही नहीं रामचरितमानस का अपमान करने वाले के साथ आरजेडी के भी होने की बात कह दी। उन्होंने कहा था कि चंद्रशेखर जी आप के साथ पूरी राष्ट्रीय जनता दल खड़ी है।
एक तरफ पार्टी तेजस्वी को अपने हिंदू वोट बैंक की चिंता है। उनके आस्था की चिंता है। वहीं हिंदूधर्म के खिलाफ बात कर समाजवाद का चेहरा भी गढ़ना है। तेजस्वी के A to Z फॉर्म्यूले में वही समाज है, जो जाति में तो बंट जाता है। आरक्षण के लिए दलित महादलित भी हो जाता है। अगड़ा पिछड़ा भी हो जाता है। लेकिन राम के नाम पर एक होता है।
तेजस्वी के मौन का मतलब समर्थन तो नहीं?
तेजस्वी यादव की पार्टी के शिक्षा मंत्री जब हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाते हैं तब वह मौन रहते हैं। जब उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी 'रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है' का समर्थन करते हैं। इस पर भी तेजस्वी बचने की कोशिश करते हैं और मौन हो जाते हैं। उनकी इस चुप्पी का मतलब क्या निकाला जाए? जब उनके प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अपने शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के कंधे पर हाथ रखकर कहते हैं कि पूरी आरजेडी आपके साथ है, पूरे समाजवादी इस बयान का समर्थन करते हैं। ऐसे में सवाल तेजस्वी यादव पर भी है कि क्या वो रामचरितमानस को विवादित ग्रंथ मानते हैं?शरद यादव की अंत्येष्टि से लौटकर किसे बता रहे बयान वीर?
शरद यादव की अंत्येष्टि में शामिल होकर बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पटना लौट आए। इस बीच हिंदू आस्था के केंद्र रामचरितमानस के अपमान पर बिहार में खूब राजनीति हुई। तेजस्वी ने अपने पार्टी के नेताओं पर कार्रवाई की बात तो नहीं की लेकिन इसका ठीकरा उन्होंने मीडिया और बीजेपी पर जरूर फोड़ दिया। रही सही कसर उन्होंने यह कहकर निकाली कि पार्टी के कुछ नेता 'बयानवीर' हो चुके हैं।अब बड़ा सवाल यह है कि वह 'बयानवीर' नेता जगदानंद सिंह हैं या प्रोफेसर चंद्रशेखर? एक 'बयानवीर' नेता ने हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाया, तो दूसरे ने उसे जायज ठहराया। वहीं दूसरे बयानवीर ने कंधे पर हाथ रखकर उसकी बात का समर्थन किया। उसे समाजवाद का सिपाही बताया। इतना ही नहीं रामचरितमानस का अपमान करने वाले के साथ आरजेडी के भी होने की बात कह दी। उन्होंने कहा था कि चंद्रशेखर जी आप के साथ पूरी राष्ट्रीय जनता दल खड़ी है।