ऐपशहर

बेरोजगार बिहार! 15 हजार रुपए दरमाहा से बेहतर चाय की दुकान, पटना में एक और आत्‍मनिर्भर चाय वाली

बिहार में इन दिनों चायवालियों की दु‍कानें चर्चा में हैं। प्रियंका के बाद एक और चाय वाली सामने आई है। BCA की छात्रा का कहना है कि उसे 15 हजार की नौकरी मिली। लेकिन 15 हजार की नौकरी से बेहतर मोना ने चाय की दुकान का स्‍टॉल लगाना बेहतर समझा। मोना का कहना है कि उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्‍मनिर्भर भारत के सिद्धान्‍त से प्रेरणा मिली।

Authored byकेशव सुमन सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 15 May 2022, 12:13 pm
पटना : बिहार में इन दिनों चाय वालियां खूब सुर्खियां बटोर रही हैं। पहले पटना के वीमेंस कॉलेज की प्रियंंका ने विमेंस कॉलेज (Patna Women's College) के गेट पर चाय का स्‍टॉल लगाकर खूब चर्चा बटोरी। अब राजधानी पटना में एक और चायवाली चर्चा में आ गई है। इस चायवाली का नाम मोना है। मोना पटेल (Mona Patel), ने बैचलर ऑफ कंप्‍यूटर एप्लिकेशन की पढ़ाई की है। फिलहाल वो चाय बेच रही हैं। मोना का कहना है कि बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन (BCA) की पढ़ाई करने के बाद उन्‍हें 15 हजार दरमाहा पर नौकरी मिली। मोना का कहना है कि वेतन होने के कारण उसने जॉब छोड़ दी। बेहतर यही समझा, चाय का स्टॉल लगा लिया जाए।
नवभारतटाइम्स.कॉम पटना एक और आत्‍मनिर्भर चायवाली
पटना एक और आत्‍मनिर्भर चायवाली


हर रोज कमातीं हैं एक हजार
मोना का कहना है कि उसने पटना की पहली ग्रेजुएट चाय वाली प्रियंका के बारे में सुना था। सोशल मीडिया पर उसकी कहानी पढ़ी। इसके बाद उसने भी चाय की दुकान खोलने का फैसला लिया। मोना का कहना है कि उसने इस काम को घर वालों को बिना बताए ही शुरू किया है। इस काम में उनके घर वालों का आपत्ति है। मोना का कहना है कि वो एक दिन में एक हजार रुपए की चाय बेच लेतीं हैं। यानी म‍हीने का 30 हजार। फिलहाल मोना पटना के ज्ञान भवन (Patna Gyan Bhawan) के बाहर चाय का यह स्‍टॉल (Tea Stall ) लगातीं हैं। इस स्‍टॉल पर उन्‍होंने आत्‍मनिर्भर चायवाली लिख रखा है।

मोदी जी से मिली प्रेरणा : आत्मनिर्भर चाय वाली
पटना की इस दूसरी चाय वाली का कहना है कि उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसकी प्रेरणा मिली उन्‍होंने आत्मनिर्भर की कल्‍पना की है। जिससे मोना को भारत और खुद को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिली। मोना आगे एमसीए की पढ़ाई करना चाहती हैं। उनका कहना है कि दुकान से वो आगे पढ़ाई के पैसे भी इकट्ठा कर पाएंगी। जिसे वो आगे की पढ़ाई में लगाएंगी। मोना के मुंह बोले भाई अमर ने एनबीटी को बताया कि उनके घर में इस का की इजाजत नहीं थी, इसलिए वो उनकी मदद को सामने आए।
पटना जंक्शन पर भीख मांग भरा पेट, कचरा बेचकर की पढ़ाई और अब टीवी शोरूम में पाई नौकरी
जेडी वीमेंस से की है पढ़ाई 21 साल की मोना समस्तीपुर (Samastipur) की रहने वाली है। उन्‍होंने बताया कि वो शुरू से ही नानी के घर पूर्णिया में रही हैं। पिता कुंदन पटेल निजी स्कूल में शिक्षक है। पूर्णिया से उसने शुरुआती पढ़ाई लिखाई की इसके बाद पटना जेडी वीमेंस कॉलेज से 2021 में बीसीए किया।
लेखक के बारे में
केशव सुमन सिंह
बिहार-झारखंड और दिल्ली के जाने-पहचाने पत्रकारों में से एक हैं। तीनों विधाओं (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब) में शानदार काम का करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। वर्तमान में नवभारतटाइम्स.कॉम में बतौर असिस्टेंट न्यूज एडिटर (बिहार-झारखंड) की भूमिका निभा रहे हैं। रिपब्लिक टीवी में बिहार-झारखंड बतौर हिंदी ब्यूरो पटना रहे। केशव पॉलिटिकल के अलावा बाढ़, दंगे, लाठीचार्ज और कठिन परिस्थितियों में शानदार टीवी प्रेजेंस के लिए जाने जाते हैं। जनसत्ता और दैनिक जागरण दिल्ली में कई पेज के इंचार्ज की भूमिका निभाई। झारखंड में आदिवासी और पर्यावरण रिपोर्टिंग से पहचान बनाई। केशव ने करियर की शुरुआत NDTV पटना से की थी।... और पढ़ें

अगला लेख

Stateकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग