सहरसा
कोसी के 'डॉन' कहे जाने वाले पप्पू देव (Pappu Dev) की कथित पुलिस हिरासत में मौत पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पप्पू देव की पुलिस हिरासत में हत्या की गई। ये सबकुछ 'ऊपर वाले' साहब के इशारे पर हुआ। हालांकि पुलिस की थ्योरी है कि पप्पू देव की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मगर पुलिस की पिटाई के सबूत लिए लोग घूम रहे हैं। सहरसा पुलिस की हार्ट अटैक वाला थ्योरी फेल!
सबसे पहले पुलिस की थ्योरी को समझ लेते हैं। पुलिस का कहना है कि पप्पू देव मुठभेड़ के दौरान भाग रहे थे, लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और इसी दौरान हार्ट अटैक आ गया। गिरफ्तारी के बाद पुलिसवाले अस्पताल ले गए, जहां उनकी मौत हो गई। मुठभेड़ के वक्त उसके साथी भी साथ में थे। हालांकि, लोगों का आरोप है कि पुलिस हिरासत में पप्पू देव की मौत सामान्य घटना नहीं है, इसके लिए पुलिस ही जिम्मेदार है।
जमीन की झगड़े में पुलिसिया एंगल समझिए
दरअसल सहरसा के सराही रोड में डेढ़ बीघा जमीन, जिसकी कीमत लगभग 20 करोड़ रुपए है, वहीं से पूरे विवाद की शुरुआत हुई। जमीन के बारे में कहा गया कि बंपर चौक (सहरसा) के रहने वाले राकेश दास की जमीन से पप्पू देव ने एग्रीमेंट कराया था। उस पर सहरसा और आसपास के जिलों के भू-माफिया की भी नजर थी। मगर पप्पू देव ने बाजी मारी। मौत (18 दिसंबर) से तीन पहले तक वो जमीन में मिट्टी भराई का काम करा रहे थे। अचानक पुलिस पहुंची और मिट्टी की भराई करा रहे तीन लोगों को उठाकर थाने लाई। दरअसल सराही के रहनेवाले उमेश साह के एप्लीकेशन पर पुलिस पहुंची थी। आवेदन में उन्होंने दावा किया था कि ये जमीन उनकी है।
आधी रात को पप्पू देव की गिरफ्तारी की कहानी
इसके बाद 18-19 दिसंबर की रात सहरसा से आए 50 से अधिक पुलिसवाले पप्पू देव के गांव बिहरा में छापेमारी करने पहुंचे। घर पर पप्पू देव नहीं मिले। पता चला कि वो पास में उमेश ठाकुर के घर भोज करने गए हैं। पुलिस वाले वहां पहुंचे तो पप्पू देव के दो निजी गार्ड समेत गिरफ्तार किया गया। पप्पू देव के साथ दो निजी गार्डों में से एक के पास रायफल और दूसरे के पास पिस्तौल होता था। पहले दोनों को पुलिसवालों ने पप्पू देव से अलग कर दिया। फिर पप्पू देव को दूसरी गाड़ी से सहरसा लाए। ये सबकुछ रात को एक बजे से तीन बजे के बीच हुआ।
अस्पताल में फिर गया पुलिसिया प्लान पर 'पानी'!
सूत्रों का कहना है कि पुलिस की पिटाई से पप्पू देव की देर रात तीन बजे से पहले ही मौत हो चुकी थी। करीब रात के तीन बजे उनको (पप्पू देव) सदर अस्पताल लाया गया। अस्पताल में इनका असली नाम संजय कुमार देव उर्फ पप्पू देव की जगह संजय कुमार वर्मा लिखवाया गया। सूत्रों का कहना है कि जब उनको अस्पताल लाया गया तो वो (पप्पू देव) मृत अवस्था में थे। अस्पताल के लोगों ने ही पप्पू देव के परिचितों को बताया की उनकी (पप्पू देव) मौत हो चुकी है और अस्पताल के आईसीयू में उन्हें भर्ती कराया गया है। आरोप तो यहां तक है कि सुबह होने से पहले पुलिसवालों ने बॉडी को डिस्पोजल करने की तैयारी कर रखी थी। मगर अस्पताल से निकली बात परिचितों से होते हुए मीडिया तक पहुंच गई और पुलिसिया प्लान पर पानी फिर गया। लोगों ने बताया कि पिटाई की वजह से 18-20 जगहों पर हड्डियां टूटी हुई थी। सबसे ज्यादा वार ब्रेन और छाती पर किया गया था।
कोसी के 'डॉन' कहे जाने वाले पप्पू देव (Pappu Dev) की कथित पुलिस हिरासत में मौत पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पप्पू देव की पुलिस हिरासत में हत्या की गई। ये सबकुछ 'ऊपर वाले' साहब के इशारे पर हुआ। हालांकि पुलिस की थ्योरी है कि पप्पू देव की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मगर पुलिस की पिटाई के सबूत लिए लोग घूम रहे हैं।
सबसे पहले पुलिस की थ्योरी को समझ लेते हैं। पुलिस का कहना है कि पप्पू देव मुठभेड़ के दौरान भाग रहे थे, लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और इसी दौरान हार्ट अटैक आ गया। गिरफ्तारी के बाद पुलिसवाले अस्पताल ले गए, जहां उनकी मौत हो गई। मुठभेड़ के वक्त उसके साथी भी साथ में थे। हालांकि, लोगों का आरोप है कि पुलिस हिरासत में पप्पू देव की मौत सामान्य घटना नहीं है, इसके लिए पुलिस ही जिम्मेदार है।
जमीन की झगड़े में पुलिसिया एंगल समझिए
दरअसल सहरसा के सराही रोड में डेढ़ बीघा जमीन, जिसकी कीमत लगभग 20 करोड़ रुपए है, वहीं से पूरे विवाद की शुरुआत हुई। जमीन के बारे में कहा गया कि बंपर चौक (सहरसा) के रहने वाले राकेश दास की जमीन से पप्पू देव ने एग्रीमेंट कराया था। उस पर सहरसा और आसपास के जिलों के भू-माफिया की भी नजर थी। मगर पप्पू देव ने बाजी मारी। मौत (18 दिसंबर) से तीन पहले तक वो जमीन में मिट्टी भराई का काम करा रहे थे। अचानक पुलिस पहुंची और मिट्टी की भराई करा रहे तीन लोगों को उठाकर थाने लाई। दरअसल सराही के रहनेवाले उमेश साह के एप्लीकेशन पर पुलिस पहुंची थी। आवेदन में उन्होंने दावा किया था कि ये जमीन उनकी है।
आधी रात को पप्पू देव की गिरफ्तारी की कहानी
इसके बाद 18-19 दिसंबर की रात सहरसा से आए 50 से अधिक पुलिसवाले पप्पू देव के गांव बिहरा में छापेमारी करने पहुंचे। घर पर पप्पू देव नहीं मिले। पता चला कि वो पास में उमेश ठाकुर के घर भोज करने गए हैं। पुलिस वाले वहां पहुंचे तो पप्पू देव के दो निजी गार्ड समेत गिरफ्तार किया गया। पप्पू देव के साथ दो निजी गार्डों में से एक के पास रायफल और दूसरे के पास पिस्तौल होता था। पहले दोनों को पुलिसवालों ने पप्पू देव से अलग कर दिया। फिर पप्पू देव को दूसरी गाड़ी से सहरसा लाए। ये सबकुछ रात को एक बजे से तीन बजे के बीच हुआ।
अस्पताल में फिर गया पुलिसिया प्लान पर 'पानी'!
सूत्रों का कहना है कि पुलिस की पिटाई से पप्पू देव की देर रात तीन बजे से पहले ही मौत हो चुकी थी। करीब रात के तीन बजे उनको (पप्पू देव) सदर अस्पताल लाया गया। अस्पताल में इनका असली नाम संजय कुमार देव उर्फ पप्पू देव की जगह संजय कुमार वर्मा लिखवाया गया। सूत्रों का कहना है कि जब उनको अस्पताल लाया गया तो वो (पप्पू देव) मृत अवस्था में थे। अस्पताल के लोगों ने ही पप्पू देव के परिचितों को बताया की उनकी (पप्पू देव) मौत हो चुकी है और अस्पताल के आईसीयू में उन्हें भर्ती कराया गया है। आरोप तो यहां तक है कि सुबह होने से पहले पुलिसवालों ने बॉडी को डिस्पोजल करने की तैयारी कर रखी थी। मगर अस्पताल से निकली बात परिचितों से होते हुए मीडिया तक पहुंच गई और पुलिसिया प्लान पर पानी फिर गया। लोगों ने बताया कि पिटाई की वजह से 18-20 जगहों पर हड्डियां टूटी हुई थी। सबसे ज्यादा वार ब्रेन और छाती पर किया गया था।