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बिहार : 4 करोड़ का पुल बचाने के लिए 44 करोड़ की सड़क बर्बाद, स्टेट हाईवे को बना दिया गड्ढा

बिहार में सिस्टम की एक ऐसी गड़बड़ी सामने आई है जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यहां 4 करोड़ का एक पुल बचाने के लिए 44 करोड़ के स्टेट हाईवे को ही कुर्बान कर दिया गया। कुर्बान इस लिए कि स्टेट हाईवे की वो रोड गड्ढों में गायब हो गई है। देखिए तस्वीरों में ये खबर

नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Nov 2020, 2:06 pm
बिहार में एक कहावत है '9 की लकड़ी और नब्बे खर्चा'... इसका मतलब ये होता है कि 9 रुपये की लकड़ी लाने के चक्कर में भाड़े में 90 रुपये खर्च डाले। लेकिन बिहार के सारण जिले में ये कहावत जमीन पर दिख रही है, जमीन पर क्या सड़क पर कहें तो ज्यादा बेहतर होगी। जिले में 4 करोड़ रुपये का एक पुल बचाने के लिए 44 करोड़ के स्टेट हाईवे को ही गड्ढा बना दिया गया। ये गड्ढे सिस्टम के वो गड्ढे हैं जो भर तो सकते हैं लेकिन दाग के साथ।
नवभारतटाइम्स.कॉम worth 44 crore of state highway road has been damaged for 4 crore rupees bridge in bihar
बिहार : 4 करोड़ का पुल बचाने के लिए 44 करोड़ की सड़क बर्बाद, स्टेट हाईवे को बना दिया गड्ढा


ढूंढ लीजिए सरकार, स्टेट हाईवे मिल जाए तो हमें भी बता दीजिएगा

देखिए इस सड़क को... ये सड़क नहीं बल्कि स्टेट हाईवे है। वो हाईवे जिसके दम पर बिहार के मुखिया नीतीश कुमार कहीं से भी राजधानी पटना आने का सफर 6 घंटे में तय करने का दावा करते हैं। लेकिन लोगों का दावा है कि 6 घंटे में से 3 घंटे तो यही सड़क खा जाएगी। बाकी के 3 घंटे में आप कहां पहुंचेंगे ये आप खुद तय कर लें। ये है स्टेट हाईवे 104... छपरा-सोनपुर एनएच पर सदियों पुराने पट्टीपुल के कमजोर होने की बात लम्बे समय से सामने आती रही है। जिसके बाद से ही पिछले कई साल से जिला प्रशासन के आदेशानुसार उक्त पुल पर भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित रहा। इसी बीच साल 2018 में लाखों रुपए खर्च करके पुल के सुपर स्ट्रक्चर का पुनर्निर्माण भी हुआ, इसके बावजूद भी पुल के कमजोर खम्बों का हवाला देकर जिला प्रशासन ने इस पुल पर मालवाहक ट्रकों सहित भारी वाहनों के परिचालन पर 15 जून 2019 से रोक लगा दी। सख्ती से पालन के लिए बैरियर लगा कर पुल के दोनों ओर होमगार्ड के जवानों की तैनाती भी की गई। हाल क्या हुआ ये देख लीजिए।

पुल बचाने के चक्कर में हाईवे बर्बाद

भारी गाड़ियों का रुख जिला प्रशासन ने स्टेट हाईवे की तरफ कर दिया और इसी अदूरदर्शिता का खामियाजा एसएच 104 को उठाना पड़ा। हाईवे बड़ी तादाद में भारी ट्रकों समेत बड़ी गाड़ियों का बोझ झेल नहीं पाया। हाल क्या हुआ ये आप तस्वीरों में खुद देख लीजिए। सड़क कम और गड्ढे ज्यादा नजर आ रहे हैं। हाल ये है कि बड़ी गाड़ियों की तो बात ही छोड़ दीजिए, अब तो छोटी कारों के चलने पर मुश्किल है। कदम पर कदम पर ड्राइवरों को गढ्ढों से संग्राम करना पड़ता है।

अब जिला प्रशासन दे रहा सड़क दुरुस्त करने की दुहाई

सवाल ये है कि क्या पट्टीपुल को बचाने के लिए एसएच 104 पर रूट डायवर्ट करना उचित था? क्या पट्टीपुल का दूसरा कोई बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है? क्या पट्टीपुल के बगल में बन रहे फोरलेन पुल को जल्दी बनाकर एसएच 104 और पट्टीपुल दोनों को बचाया जा सकता था? पट्टीपुल के सुपर स्ट्रक्चर को बदलने के बाद भी अगर पुल कामयाब नहीं हुआ तो पुल की मरम्मती के बजाए नए पुल का निर्माण क्यों नहीं किया गया? रूट डायवर्ट होने के कारण मालवाहक गाड़ियों के ऊपर टोल का अतिरिक्त बोझ बढ़ने के साथ ही दो किलोमीटर की दूरी के जगह पर बीस किलोमीटर ज्यादा डीजल या पेट्रोल खर्च करवाने की जिम्मेवारी किसकी है। इस बाबत पूछे जाने पर प्रभारी डीएम अमित कुमार ने बताया कि सड़क की इस समस्या पर प्रशासन की नजर है और फोरलेन के कार्य में भी तेजी आई है। उन्होंने कहा कि जर्जर स्टेट हाईवे की मरम्मती का निर्देश दिया गया है और जल्द ही समस्या का समाधान कर लिया जाएगा। पट्टी पुल पर भारी वाहनों का प्रवेश जनहित में रोका गया है।

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