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Bihar Village Exchange : बिहार-यूपी में गांवों की क्यों हो रही अदला-बदली? केंद्र की मुहर से बदल जाएगी पहचान

सबकुछ ठीक रहा तो बिहार और उत्तर प्रदेश की सरकारें जल्दी ही एक दूसरे को गांवों की भेंट दे सकती हैं। इसके लिए बिहार से तैयारी भी शुरू हो गई है। बिहार और यूपी के इन गावों को इससे बड़ी राहत मिलने की बात कही जा रही है। मगर गांव वाले इसके लिए तैयार नहीं है।

Edited byसुनील पाण्डेय | नवभारतटाइम्स.कॉम 28 Nov 2021, 6:41 pm

हाइलाइट्स

  • बिहार और यूपी में गावों की अदला-बदली का प्रस्ताव
  • यूपी-बिहार बॉर्डर पर 22 गांवों की होगी अदला-बदली
  • केंद्र सरकार से मुहर के बाद बदल जाएगी पहचान
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नागेंद्र नारायण, बगहा
बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के 15 गांव जल्द ही बिहार के हो जाएंगे। जबकि बिहार के सात गांव यूपी में शामिल हो जाएंगे। दोनों राज्य सरकार आपसी सहमति के बाद ये प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज रही हैं। केंद्र से इजाजत मिलने के बाद चिन्हित गांवों की अदला-बदली हो जाएगी। मगर ये सब कुछ इतना आसान नहीं रहनेवाला।

बिहार के गावों में बेचैनी

पहचान छिन जाने की बेचैनी बिहार के गावों में देखी जा रही है। बगहा के श्रीपतनगर पंचायत के लोग नहीं चाहते कि वो यूपी वाला कहलाएं। अब तक बिहार के निवासी के तौर पर इनकी पहचान रही है। मगर सरकार की एक चिट्ठी से इनकी रातों की नींद उड़ी हुई है। हालांकि केंद्र सरकार से इसकी मंजूरी बाकी है।
सीएम देंगे गावों का 'गिफ्ट'
दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जल्द ही एक दूसरे को गांवों का 'गिफ्ट' देंगे। ये सबकुछ इन गावों के लोगों की परेशानी को दूर करने के लिए किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार के करीब दर्जनभर गांव एक-दूसरे के बॉर्डर से बिल्कुल सटे हुए हैं। इसी को लेकर अब बिहार और यूपी की सरकार गांवों को एक दूसरे से अदल-बदल करने की तैयारी कर रही है।

बदलेगा बिहार-यूपी का नक्शा!
तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त ने बेतिया डीएम को भेजी चिट्ठी में लिखा है कि सीमावर्ती उतर प्रदेश के 15 गांवों को बिहार में शामिल करने का प्रस्ताव है। साथ ही बिहार के 7 गांवों को उत्तर प्रदेश में शामिल करने का प्रपोजल है। यूपी के महराजगंज तहसील की आठ गांव और कुशीनगर जनपद की सात गांव को बिहार में शामिल कराया जाएगा। साथ ही साथ पश्चिम चम्पारण जिले के सात गांवों को उत्तर प्रदेश में शामिल करने का प्रस्ताव है। इस बाबत बगहा के सीओ राजीव रंजन श्रीवास्तव ने बताया कि विभागीय स्तर पर पत्र मिला है, जिलाधिकारी को सर्वे रिपोर्ट सौंपने को लेकर काम किया जा रहा है।

इन गांवों को लेकर प्रस्ताव
गंडक पार के पिपरासी प्रखंड का बैरी स्थान, मंझरिया, मझरिया खास, श्रीपतनगर, नैनहा, भैसही और कतकी गांव में प्रशासन के साथ ग्रामीणों को भी यूपी होकर आना-जाना पड़ता है। इससे कई तरह की प्रशासनिक परेशानियां होती है। ठीक यही हाल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के मरछहवा, नरसिंहपुर, शिवपुर, बालगोविंद, बसंतपुर, हरिहरपुर और नरैनापुर गांव का है।ये गांव बिहार बॉर्डर पर बगहा पुलिस जिले से सटे हैं। यूपी प्रशासन को बिहार की तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
लेखक के बारे में
सुनील पाण्डेय
सुनील पाण्डेय इस समय nbt.in के साथ Principal Digital Content Producer तौर पर जुड़े हुए हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 16 वर्षों का अनुभव है। ETV News, Zee Media, News18 सहित कई संस्थानों में अहम पद पर रहे। ग्राउंड और रिसर्च स्टोरी पर रिपोर्टिंग में माहिर माने जाते हैं। राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर खासी पकड़ रखते हैं। TV News के लिए शो बनाने में ​एक्सपर्ट सुनील को डिजिटल माध्यम में दिलचस्पी और सीखने की प्रबल इच्छा इन्हें नवभारत ​टाइम्स डिजिटल तक खींच लाई।... और पढ़ें

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