रायपुर
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के एक गांव में शराब बनाने या पीने का जुर्माना एक नारियल है। आदिवासी गांव मैनगड़ी में पंचायत ने यह कानून बनाया है। पंचायत का कहना है कि नारियल देना भले आसान जुर्माना लगे लेकिन इसके पीछे 'सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा' करना जुड़ा है।
गांव के सरपंच शनिचरण मिन्ज ने बताया कि इलाके के लोग देशी चावल की शराब पीते हैं। सुबह से ही कुछ लोग पीना शुरू कर देते हैं। यह आदत धीरे-धीरे नौजवानों और बच्चों तक पहुंच चुकी है। उन्होंने आगे बताया कि यह भले आसान जुर्माना लगे लेकिन अगर एक बार नारियल देने के बाद यह जुर्म दोबारा किया जाता है तो पुलिस में शिकायत की जाएगी।
सरपंच बताते हैं, 'गांव में मनोरंजन के साधन या बिजली न होने की वजह से लोग साथ बैठ कर टाइम पास करते हैं। शराब को बैन करना यहां पर मुश्किल है। यहां एक समुदाय में महुआ, कच्ची शराब पीना उनके परंपरा का हिस्सा बन गया है।' ग्रैजुएट शनिचरण ने बताया कि यह चिंता का मुद्दा बन चुका है क्योंकि बच्चे और किशोर स्कूल छोड़ शराब के आदी हो रहे हैं।
शनिचरण ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन गांव वालों ने शपथ ली की वह शराब को बैन करने का उपहार गांव की महिलाओं को देंगे। शनि कहते हैं, 'पहले मैंने शराब के आदियों को समझाया और गांव में शराब की वजह से बढ़ते अपराधों के बारे में बताया। बहुत कड़ा कानून मैं गांव वालों पर नहीं थोपना चाहता था। इसलिए नारियल का आइडिया दिमाग में आया।'
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें: In this tribal village, penalty for liquor consumption is a coconut
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के एक गांव में शराब बनाने या पीने का जुर्माना एक नारियल है। आदिवासी गांव मैनगड़ी में पंचायत ने यह कानून बनाया है। पंचायत का कहना है कि नारियल देना भले आसान जुर्माना लगे लेकिन इसके पीछे 'सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा' करना जुड़ा है।
गांव के सरपंच शनिचरण मिन्ज ने बताया कि इलाके के लोग देशी चावल की शराब पीते हैं। सुबह से ही कुछ लोग पीना शुरू कर देते हैं। यह आदत धीरे-धीरे नौजवानों और बच्चों तक पहुंच चुकी है। उन्होंने आगे बताया कि यह भले आसान जुर्माना लगे लेकिन अगर एक बार नारियल देने के बाद यह जुर्म दोबारा किया जाता है तो पुलिस में शिकायत की जाएगी।
सरपंच बताते हैं, 'गांव में मनोरंजन के साधन या बिजली न होने की वजह से लोग साथ बैठ कर टाइम पास करते हैं। शराब को बैन करना यहां पर मुश्किल है। यहां एक समुदाय में महुआ, कच्ची शराब पीना उनके परंपरा का हिस्सा बन गया है।' ग्रैजुएट शनिचरण ने बताया कि यह चिंता का मुद्दा बन चुका है क्योंकि बच्चे और किशोर स्कूल छोड़ शराब के आदी हो रहे हैं।
शनिचरण ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन गांव वालों ने शपथ ली की वह शराब को बैन करने का उपहार गांव की महिलाओं को देंगे। शनि कहते हैं, 'पहले मैंने शराब के आदियों को समझाया और गांव में शराब की वजह से बढ़ते अपराधों के बारे में बताया। बहुत कड़ा कानून मैं गांव वालों पर नहीं थोपना चाहता था। इसलिए नारियल का आइडिया दिमाग में आया।'
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें: In this tribal village, penalty for liquor consumption is a coconut