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Ajit Jogi: PMO से फोन के बाद छोड़ी नौकरी, एक स्टिंग से कांग्रेस में हाशिए पर चले गए जोगी

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी (Chhatisgarh ex cm ajit jogi) का 74 साल की उम्र में निधन (ajit jogi passes away) हो गया है। अजीत छत्तीसगढ़ के पहले सीएम थे। वो आईएएस पद से इस्तीफा (resignation from IAS) देकर राजनीति में आए थे। एक स्टिंग की वजह से जोगी कांग्रेस (Congress) में हाशिए पर चले गए। जानिए अजीत जोगी की अनकही कहानी

नवभारतटाइम्स.कॉम 29 May 2020, 6:51 pm
लॉकडाउन के दौरान के आज से ठीक एक महीने पहले अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी (ajit jogi) ने बर्थडे मनाया था। सादे समारोह में परिवार के चंद सदस्यों के साथ जोगी ने 29 अप्रैल को होम मेड केक काटा था। उनका जन्म 29 अप्रैल 1946 को हुआ था और अंतिम सांस रायपुर के अस्पताल में उन्होंने 29 मई 2020 को ली। केक काटते वक्त जोगी को अंदाजा नहीं रहा होगा कि यह उनका आखिरी बर्थडे है। उनके निधन के बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर है। आइए हम उनसे जुड़े कुछ अनसुनी कहानी बताते हैं।
नवभारतटाइम्स.कॉम untold story of ajit jogi he resigned from ias after call from pmo
Ajit Jogi: PMO से फोन के बाद छोड़ी नौकरी, एक स्टिंग से कांग्रेस में हाशिए पर चले गए जोगी


इंदिरा गांधी से थे प्रभावित

अजीत जोगी मध्यप्रदेश के कई जिलों में कलेक्टर रहे हैं। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी से वह काफी प्रभावित रहे हैं। एमपी के सीधी जिले में जोगी जब कलेक्टर थे, तब वह एमपी के तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह के संपर्क में आएं। युवा अधिकारी के रूप में जोगी अर्जुन सिंह को प्रभावित करने में सफल रहे थे। साथ जोगी के अंदर राजनीति में आने की लालसा जागृत हो रही थी।

रायपुर में राजीव गांधी से मिले

सीधी के बाद अजीत जोगी रायपुर में भी कलेक्टर थे। रायपुर अब छत्तीसगढ़ की राजधानी है। रायपुर में कलेक्टर रहते हुए अजीत जोगी इंडियन एयरलाइंस के पायलट राजीव गांधी के संपर्क में आएं। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बन गए। पीएम बनने से पहले तक जोगी राजीव गांधी के संपर्क में थे। इस दौरान उनकी एमपी में दूसरे कांग्रेस नेताओं से भी घनिष्ठता बढ़ गई थी।

PMO से फोन

IAS अफसर के रूप में अजीत जोगी आखिरी पोस्टिंग इंदौर में बतौर कलेक्टर थी। इंदौर में जोगी लंबे वक्त तक कलेक्टर थे। जून 1986 में प्रमोशन के साथ उनका ट्रांसफर वहां से गया। जोगी शहर छोड़ने की तैयारी में लगे हुए थे। इसी दौरान उन्हें पीएमओ से फोन आया और नौकरी से इस्तीफा देने और राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने को कहा गया।

पत्नी और दिग्विजय सिंह की सलाह

जोगी इसके बाद असमंजस में फंस गए। उन्होंने अपने एक संस्मरण में लिखा था कि वह बहुत धर्मसंकट में थे और अंत में पत्नी रेणु जोगी और मित्र दिग्विजय सिंह की सलाह मानते हुए उन्होंने नामांकन दाखिल करने फैसला किया।

डीएम से सीएम मैं ही बना हूं

अजीत जोगी अक्सर लोगों से बातचीत में कहते थे कि सीएम और पीएम तो कुछ लोग बन चुके हैं, पर डीएम और सीएम बनने का सौभाग्य केवल मुझे ही मिला है।

स्टिंग से चले गए हाशिए

राज्य गठन के बाद कई बड़े नेताओं को दरकिनार कर सोनिया गांधी ने अजीत जोगी को सीएम पद की कुर्सी सौंपी। छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए पहले चुनाव 2003 में हुए और जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस यह चुनाव हार गई। मगर, जोगी को तब गुमान हो चला था कि उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता। इस दौरान हुए एक स्टिंग ऑपरेशन से पता चला कि वह और उनके बेटे अमित जोगी बीजेपी की सरकार गिराने के लिए कथित तौर पर विधायकों को पैसे की पेशकश कर रहे थे। इस कांड के छींटे सोनिया गांधी पर भी पड़े और यहीं से जोगी और गांधी परिवार के बीच दूरियां बननी शुरू हो गईं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी योगी को पसंद नहीं करते थे।

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