दुर्ग: सट्टा किंग सौरभ चंद्राकर (Satta King Saurabh Chandrakar) मलेशिया में अपनी गर्लफ्रेंड के साथ शादी की तैयारी में है। दावा है कि वह अपनी शादी में 100 करोड़ रुपये खर्च करने वाला है। उसके कुछ गुर्गों को दुर्ग पुलिस ने नोएडा से उठाया है। इसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस आपस में भिड़ गई है। महादेव एप चलाने वाले लोगों को गिरफ्तार करने गई टीम के खिलाफ नोएडा पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया है। इनकी गिरफ्तारी एक फ्लैट से हुई है। दुर्ग पुलिस ने इसकी सूचना नोएडा पुलिस को नहीं दी थी। टीम पर केस दर्ज होने के बाद दुर्ग पुलिस ने कहा कि उनलोगों ने कार्रवाई क्यों नहीं की, छत्तीसगढ़ पुलिस की टीम के पहुंचने से पहले उनकी नाक के नीचे यह रैकेट चल रहा था।
दरअसल, चार से पांच हजार करोड़ रुपये के सट्टेबाजी घोटाले के सिलसिले में दुर्ग पुलिस की टीम ने नोएडा के अपार्टमेंट से नौ संदिग्धों को पकड़ा था। इसके बाद फ्लैट मालिक की शिकायत पर नोएडा पुलिस ने छत्तीसगढ़ की पुलिस टीम पर आईपीसी की धारा 365 के तहत केस दर्ज किया है। कथित रूप से बताया जा रहा है कि दुर्ग पुलिस की टीम ने नोएडा पुलिस को छापेमारी के बारे में जानकारी नहीं थी। इससे यूपी पुलिस परेशान है।
मंगलवार को दुर्ग एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि यूपी पुलिस को सूचित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्हें मीडिया से दुर्ग पुलिस के खिलाफ प्राथमिकी के बारे में पता चला है। पल्लव ने यूपी पुलिस की तरफ से गिरफ्तार 16 संदिग्धों का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि यूपी पुलिस के पास हमसे ज्यादा जवाब देने के लिए है। उन्होंने कहा कि वे जब स्वीकार करते हैं कि अवैध सट्टेबाजी का रैकेट एक साल से वहां चल रहा था। यूपी पुलिस ने छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई के बाद ही क्यों कार्रवाई की है।
एसपी ने कहा कि यूपी पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने से पहले दुर्ग पुलिस से परामर्श कर सकती थी क्योंकि हम अपराधी नहीं है। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि इतने महीनों तक आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने से उन्हें क्या रोका गया। अपार्टमेंट की शिकायत के आधार पर पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। अपार्टमेंट ऑनर को आरोपियों को संरक्षण देने के लिए दुर्ग पुलिस की तरफ से नोटिस दिया जाएगा।
दुर्ग एसपी ने कहा कि नोएडा अपार्टमेंट में औचक छापेमारी इसलिए आवश्यक थी कि आरोपी बच न जाएं। उन्होंने कहा कि अगर नोएडा पुलिस मांगती है तो वे गिरफ्तार संदिग्धों के बारे में आसानी से जानकारी दे देंगे। उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस को सूचित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी, जब छत्तीसगढ़ की टीम केवल एक जांच के लिए और नोटिस के लिए थी। एसपी पल्लव ने कहा कि आरोपियों को सीआरपीसी की धारा 41 (ए) के तहत नोटिस दिया गया था, जिसके बाद वे अपने वाहन से छत्तीसगढ़ लौट आए और उन्हें दुर्ग में औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस इस रैकेट की जांच कर रही है क्योंकि यह अन्य राज्यों में फैल गया है। पूरे यूपी में इसके गुर्गों की भर्ती की गई है।
एसपी ने कहा कि दुर्ग पुलिस को सूचना मिली थी कि एक स्थानीय आरोपी अंकित सिंह ग्रेटर नोएडा में किराए के अपार्टमेंट से ऑनलाइन सट्टेबाजी का रैकेट चला रहा है। उसके सहयोगी अंकित कन्नौजिया और विशाव कुशवाहा वहां ग्रुप लीडर है। वहीं, अंकित का लैपटॉप, मोबाइल फोन और रजिस्टर जब्त कर लिया गया था। पुलिस की टीम सीआरपीसी 41 ए नोटिस के साथ नोएडा गई थी। उन्होंने नौ आरोपियों को एक सप्ताह के अंतर दुर्ग पुलिस के सामने सरेंडर करने का नोटिस सौंप और वे अपने वाहन से लौट गए।
उन सभी को सोमवार दोपहर करीब 12.45 बजे दुर्ग से गिरफ्तार किया है। दुर्ग पुलिस ने पिछले कुछ महीनों में महादेव ऐप रैकेट में कई गिरफ्तारियां की हैं।
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दरअसल, चार से पांच हजार करोड़ रुपये के सट्टेबाजी घोटाले के सिलसिले में दुर्ग पुलिस की टीम ने नोएडा के अपार्टमेंट से नौ संदिग्धों को पकड़ा था। इसके बाद फ्लैट मालिक की शिकायत पर नोएडा पुलिस ने छत्तीसगढ़ की पुलिस टीम पर आईपीसी की धारा 365 के तहत केस दर्ज किया है। कथित रूप से बताया जा रहा है कि दुर्ग पुलिस की टीम ने नोएडा पुलिस को छापेमारी के बारे में जानकारी नहीं थी। इससे यूपी पुलिस परेशान है।
मंगलवार को दुर्ग एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि यूपी पुलिस को सूचित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्हें मीडिया से दुर्ग पुलिस के खिलाफ प्राथमिकी के बारे में पता चला है। पल्लव ने यूपी पुलिस की तरफ से गिरफ्तार 16 संदिग्धों का जिक्र करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि यूपी पुलिस के पास हमसे ज्यादा जवाब देने के लिए है। उन्होंने कहा कि वे जब स्वीकार करते हैं कि अवैध सट्टेबाजी का रैकेट एक साल से वहां चल रहा था। यूपी पुलिस ने छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई के बाद ही क्यों कार्रवाई की है।
एसपी ने कहा कि यूपी पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने से पहले दुर्ग पुलिस से परामर्श कर सकती थी क्योंकि हम अपराधी नहीं है। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि इतने महीनों तक आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने से उन्हें क्या रोका गया। अपार्टमेंट की शिकायत के आधार पर पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। अपार्टमेंट ऑनर को आरोपियों को संरक्षण देने के लिए दुर्ग पुलिस की तरफ से नोटिस दिया जाएगा।
दुर्ग एसपी ने कहा कि नोएडा अपार्टमेंट में औचक छापेमारी इसलिए आवश्यक थी कि आरोपी बच न जाएं। उन्होंने कहा कि अगर नोएडा पुलिस मांगती है तो वे गिरफ्तार संदिग्धों के बारे में आसानी से जानकारी दे देंगे। उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस को सूचित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी, जब छत्तीसगढ़ की टीम केवल एक जांच के लिए और नोटिस के लिए थी। एसपी पल्लव ने कहा कि आरोपियों को सीआरपीसी की धारा 41 (ए) के तहत नोटिस दिया गया था, जिसके बाद वे अपने वाहन से छत्तीसगढ़ लौट आए और उन्हें दुर्ग में औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस इस रैकेट की जांच कर रही है क्योंकि यह अन्य राज्यों में फैल गया है। पूरे यूपी में इसके गुर्गों की भर्ती की गई है।
एसपी ने कहा कि दुर्ग पुलिस को सूचना मिली थी कि एक स्थानीय आरोपी अंकित सिंह ग्रेटर नोएडा में किराए के अपार्टमेंट से ऑनलाइन सट्टेबाजी का रैकेट चला रहा है। उसके सहयोगी अंकित कन्नौजिया और विशाव कुशवाहा वहां ग्रुप लीडर है। वहीं, अंकित का लैपटॉप, मोबाइल फोन और रजिस्टर जब्त कर लिया गया था। पुलिस की टीम सीआरपीसी 41 ए नोटिस के साथ नोएडा गई थी। उन्होंने नौ आरोपियों को एक सप्ताह के अंतर दुर्ग पुलिस के सामने सरेंडर करने का नोटिस सौंप और वे अपने वाहन से लौट गए।
उन सभी को सोमवार दोपहर करीब 12.45 बजे दुर्ग से गिरफ्तार किया है। दुर्ग पुलिस ने पिछले कुछ महीनों में महादेव ऐप रैकेट में कई गिरफ्तारियां की हैं।
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