अहमदाबाद: इंसानों के बीमा की रकम हड़पने के लिए फ्रॉड करने के कई मामले सामने आए हैं। अब गुजरात के बनासकांठा जिले में एक अजीब मामला सामने आया है। गाय के इंश्योरेंस की रकम हड़पने के लिए एक महिला ने हेरफेर की। उसने एक सफेद रंग की गाय को काले रंग का पेंट किया। उसे मरा बताकर बीमे का 40000 रुपये हड़पने का प्रयास किया। हालांकि गाय की सींग से उसका फ्रॉड खुला और उपभोक्ता फोरम ने महिला का दावा खारिज कर दिया।
यह दावा बनासकांठा के गांव मेमादपुरा की रतनबेन भूताड़िया ने किया। उसने अपनी गाय का बीमा कराया था और बीमा कंपनी- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने जानवरों के कान का टैग रिकॉर्ड किया था जिसमें एक यूनीक संख्या होती है। भूताड़िया की गाय की मृत्यु 20 दिसंबर, 2017 को हुई थी। हालांकि ईयर टैग नंबर बीमा कंपनी के रिकॉर्ड से मेल खाता था, लेकिन एक पशु चिकित्सक के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि मृत गाय का विवरण बीमित जानवर से मेल नहीं खाता।
सीगों के आकार से फंसी
बीमा कंपनी के मुताबिक बीमित गाय के सिर पर सफेद धब्बे नहीं थे। इसके अलावा, बीमित गाय के सींग घुमावदार थे जबकि मृत जानवर के सींग नुकीले थे। इसलिए बीमा कंपनी ने भूताड़िया के दावे को खारिज कर दिया। भूटाड़िया ने बनासकांठा जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में बीमाकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। बीमाकर्ता ने न सिर्फ पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट दी बल्कि अपने निरीक्षण की विस्तृत रिपोर्ट भी उपभोक्ता फोरम को दी।
जिंदा गाय का टैग हटाकर मरी में लगाया
डॉक्टर और अन्वेषक दोनों की रिपोर्ट से पता चला कि गाय के सिर को काले रंग से रंगा गया था, हालांकि कुछ सफेद धब्बे अभी भी बने हुए थे। रिपोर्टों ने दो जानवरों के सींगों में अंतर भी बताया। बीमाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि कान का टैग बीमित गाय से हटा दिया गया है और मृत जानवर के कान पर लगा दिया गया था।
महिला ने किया यह दावा
शिकायतकर्ता ने यह कहते हुए अपने मामले का बचाव करने की कोशिश की कि पोस्टमॉर्टम रात में किया गया था, जिससे जानवर के विवरण में भिन्नता हो सकती थी। उसने अपने दावे की पुष्टि करने के लिए एक स्किनर रिपोर्ट भी रखी कि मृत गाय और बीमित गाय एक ही हैं। हालांकि, आयोग ने बीमाकर्ता के तर्क को स्वीकार कर लिया और शिकायत को खारिज कर दिया।
यह दावा बनासकांठा के गांव मेमादपुरा की रतनबेन भूताड़िया ने किया। उसने अपनी गाय का बीमा कराया था और बीमा कंपनी- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने जानवरों के कान का टैग रिकॉर्ड किया था जिसमें एक यूनीक संख्या होती है। भूताड़िया की गाय की मृत्यु 20 दिसंबर, 2017 को हुई थी। हालांकि ईयर टैग नंबर बीमा कंपनी के रिकॉर्ड से मेल खाता था, लेकिन एक पशु चिकित्सक के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि मृत गाय का विवरण बीमित जानवर से मेल नहीं खाता।
सीगों के आकार से फंसी
बीमा कंपनी के मुताबिक बीमित गाय के सिर पर सफेद धब्बे नहीं थे। इसके अलावा, बीमित गाय के सींग घुमावदार थे जबकि मृत जानवर के सींग नुकीले थे। इसलिए बीमा कंपनी ने भूताड़िया के दावे को खारिज कर दिया। भूटाड़िया ने बनासकांठा जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में बीमाकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। बीमाकर्ता ने न सिर्फ पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट दी बल्कि अपने निरीक्षण की विस्तृत रिपोर्ट भी उपभोक्ता फोरम को दी।
जिंदा गाय का टैग हटाकर मरी में लगाया
डॉक्टर और अन्वेषक दोनों की रिपोर्ट से पता चला कि गाय के सिर को काले रंग से रंगा गया था, हालांकि कुछ सफेद धब्बे अभी भी बने हुए थे। रिपोर्टों ने दो जानवरों के सींगों में अंतर भी बताया। बीमाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि कान का टैग बीमित गाय से हटा दिया गया है और मृत जानवर के कान पर लगा दिया गया था।
महिला ने किया यह दावा
शिकायतकर्ता ने यह कहते हुए अपने मामले का बचाव करने की कोशिश की कि पोस्टमॉर्टम रात में किया गया था, जिससे जानवर के विवरण में भिन्नता हो सकती थी। उसने अपने दावे की पुष्टि करने के लिए एक स्किनर रिपोर्ट भी रखी कि मृत गाय और बीमित गाय एक ही हैं। हालांकि, आयोग ने बीमाकर्ता के तर्क को स्वीकार कर लिया और शिकायत को खारिज कर दिया।