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Gujarat news: सफेद मरी गाय को काला पेंट कर किया 40000 क्लेम का दावा, नुकीली-घुमावदार सींग से ऐसे खुला राज

बनासकांठा के गांव मेमादपुरा की रतनबेन भूताड़िया ने अपनी गाय का इंश्योरेंस करवाया था। बीमा की रकम हड़पने के लिए उसने एक दूसरी मरी गाय को रंग-पोतकर अपनी गाय बताया। बीमा की रकम हड़पने का प्रयास किया। कंपनी ने दावा खारिज किया तो उसने बनासकांठा जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में मामला दायर किया।

Written byशशि मिश्रा | टाइम्स न्यूज नेटवर्क 10 Aug 2022, 9:37 am
अहमदाबाद: इंसानों के बीमा की रकम हड़पने के लिए फ्रॉड करने के कई मामले सामने आए हैं। अब गुजरात के बनासकांठा जिले में एक अजीब मामला सामने आया है। गाय के इंश्योरेंस की रकम हड़पने के लिए एक महिला ने हेरफेर की। उसने एक सफेद रंग की गाय को काले रंग का पेंट किया। उसे मरा बताकर बीमे का 40000 रुपये हड़पने का प्रयास किया। हालांकि गाय की सींग से उसका फ्रॉड खुला और उपभोक्ता फोरम ने महिला का दावा खारिज कर दिया।
नवभारतटाइम्स.कॉम A cow grazes the parched grass of a meadow as a heatwave hits Europe
सांकेतिक चित्र


यह दावा बनासकांठा के गांव मेमादपुरा की रतनबेन भूताड़िया ने किया। उसने अपनी गाय का बीमा कराया था और बीमा कंपनी- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने जानवरों के कान का टैग रिकॉर्ड किया था जिसमें एक यूनीक संख्या होती है। भूताड़िया की गाय की मृत्यु 20 दिसंबर, 2017 को हुई थी। हालांकि ईयर टैग नंबर बीमा कंपनी के रिकॉर्ड से मेल खाता था, लेकिन एक पशु चिकित्सक के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि मृत गाय का विवरण बीमित जानवर से मेल नहीं खाता।

सीगों के आकार से फंसी
बीमा कंपनी के मुताबिक बीमित गाय के सिर पर सफेद धब्बे नहीं थे। इसके अलावा, बीमित गाय के सींग घुमावदार थे जबकि मृत जानवर के सींग नुकीले थे। इसलिए बीमा कंपनी ने भूताड़िया के दावे को खारिज कर दिया। भूटाड़िया ने बनासकांठा जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में बीमाकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। बीमाकर्ता ने न सिर्फ पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट दी बल्कि अपने निरीक्षण की विस्तृत रिपोर्ट भी उपभोक्ता फोरम को दी।

जिंदा गाय का टैग हटाकर मरी में लगाया
डॉक्टर और अन्वेषक दोनों की रिपोर्ट से पता चला कि गाय के सिर को काले रंग से रंगा गया था, हालांकि कुछ सफेद धब्बे अभी भी बने हुए थे। रिपोर्टों ने दो जानवरों के सींगों में अंतर भी बताया। बीमाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि कान का टैग बीमित गाय से हटा दिया गया है और मृत जानवर के कान पर लगा दिया गया था।

महिला ने किया यह दावा
शिकायतकर्ता ने यह कहते हुए अपने मामले का बचाव करने की कोशिश की कि पोस्टमॉर्टम रात में किया गया था, जिससे जानवर के विवरण में भिन्नता हो सकती थी। उसने अपने दावे की पुष्टि करने के लिए एक स्किनर रिपोर्ट भी रखी कि मृत गाय और बीमित गाय एक ही हैं। हालांकि, आयोग ने बीमाकर्ता के तर्क को स्वीकार कर लिया और शिकायत को खारिज कर दिया।
लेखक के बारे में
शशि मिश्रा
"शशि पांडेय ने 2007 में पत्रकारिता की शुरुआत अमर उजाला से की। फिर दैनिक जागरण कानपुर से घिसाई। सहारा में पॉलिशिंग और नवभारत टाइम्स में मिली ऐसी चमक जो अभी तक बरकरार है। शौक़: लिखना, घूमना और नये लोगों से नई- नई जानकारियां लेना. फ़ंडा: जीवन में हर किसी के पास दो रास्ते होते हैं, भाग लो (Run) या भाग लो (Part). मेरी लाइफ का फ़ंडा, भागने की जगह भाग लेना है."... और पढ़ें

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