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गुजरात में बीजेपी ने बांटे भगवा डस्टबिन

केसरिया रंग के डस्टबिन बांटकर बीजेपी ने नया ट्रेंड शुरू किया है। बीजेपी गुजरात के जमालपुर और खड़िया विधानसभा क्षेत्र में स्वच्छ भारत अभियान को प्रमोट करने के लिए केसरिया रंग के डस्टबिन बांट रही है। एमएलए भूषण भट्ट ने 3 लाख के बजट में इन डस्टबिन्स को खरीदा है।

अहमदाबाद मिरर 30 Jan 2017, 12:18 pm
अहमदाबाद
नवभारतटाइम्स.कॉम bjp mla and councillors promoting the swachh bharat mission by distributing saffron dustbins
गुजरात में बीजेपी ने बांटे भगवा डस्टबिन

दुनियाभर में सूखे और गीले कचरे के लिए नीले और हरे रंग के डस्टबिन्स को प्राथमिकता दी जाती है, अब केसरिया रंग के डस्टबिन बांटकर बीजेपी ने नया ट्रेंड शुरू किया है। बीजेपी गुजरात के जमालपुर और खड़िया विधानसभा क्षेत्र में स्वच्छ भारत अभियान को प्रमोट करने के लिए केसरिया रंग के डस्टबिन बांट रही है। एमएलए भूषण भट्ट ने 3 लाख के बजट में इन डस्टबिन्स को खरीदा है। यह रुपया लोकल एरिया डिवेलपमेंट फंड से खर्च किया गया है। स्थानीय प्रशासन द्वारा डस्टबिन बांटने के पीछे उद्देश्य लोगों में सफाई के प्रति जागरूता बढ़ाना बताया जा रहा है।

खड़िया 1975 से लगातार बीजेपी की ही सीट रही है। गुजरात में इसे बीजेपी का गढ़ कहा जाता है। सन् 1972 के बाद से कांग्रेस एक भी बार इस सीट से चुनाव नहीं जीत पाई है। गुजरात में माना जाता है कि अगर बीजेपी ने खड़िया की सीट खो दी तो गुजरात खो दिया। खड़िया विधानसभा सीट के अंतर्गत 2.04 लाख वोटर्स हैं, जिनमें से 1.20 लाख वोटर्स मुस्लिम हैं और 84 हजार हिंदू आबादी है। नीले और हरे रंग की बजाय केसरिया रंग के डस्टबिन बांटने से मुस्लिम आबादी में नाराजगी देखने को मिल रही है। वहीं हिंदू वोटर्स का कहना है कि रंगों की पसंद को राजनीति का रंग नहीं देना चाहिए।

जमालपुर निवासी अलथमस पठान(27) स्थानीय प्रशासन के इस कदम से खासे खफा हैं। वह कहते हैं 'देशभर में हरा रंग सफाई का प्रतीक है ऐसे में केसरिया रंग के डस्टबिन की कोई जरूरत नहीं थी।' वहीं गायकवाड हवेली निवासी वाहिद ठाकुर(38) का कहना है कि 'बीजेपी के ऐसा करने में कुछ नया नहीं है, पिछली बार इन्होंने अपने प्रचार के लिए साइकिल का रंग केसरिया करा दिया था और इस बार डस्टबिन का। लोग डस्टबिन तो स्वीकार कर लेंगे लेकिन रंगों की राजनीति नहीं।' अब तक करीब 600 हरे रंग के डस्टबिन बांट चुके पार्टी कार्यकर्ता मयूर दवे का कहना है कि हम जिस पार्टी से जुड़े हैं, वह हिंदू मान्यताओं को मानती है। ऐसे में केसरिया रंग के डस्टबिन बांटने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। मैं 150 केसरिया डस्टबिन बांटूगा। डस्टबिन के रंग से राजनीति को जोड़ना ठीक नहीं। सफाई के प्रति सबसे अधिक बच्चे जागरूक हैं और वह अधिक डस्टबिन चाहते हैं।

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