अहमदाबाद
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास शक और सबूतों के आधार पर कहीं भी सर्च ऑपरेशन और रेड का अधिकार रहा है। आईटी ऑफिसर्स अपने विवेक से किसी को भी नोटिस सर्व करते रहे हैं। अब सरकार बिना सबूत कहीं भी रेड करने का अधिकार इनकम टैक्स विभाग से वापस ले सकती है। इसके पीछे वजह ईमानदार टैक्सपेयर्स का भय बताया जा रहा है। सरकार इनकम टैक्स कानून में इस बदलाव की तैयारी कर रही है।
गत सोमवार सरकार की तरफ से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा बिना सबूतों के कहीं भी रेड डाले जाने के अधिकार को बदलने का प्रस्ताव रखा गया। इसके तहत विभाग के अधिकारी बिना किसी सबूत के किसी भी व्यक्ति के घर रेड नहीं डाल सकेंगे। गौरतलब है कि अब तक इनकम टैक्स विभाग शक और अफवाहों के आधार पर भी किसी को नोटिस दे सकता था। रेड डाल सकता था। डिमोनेटाइजेशन के बाद अब सरकार आईटी डिपार्टमेंट के अधिकार क्षेत्र में फेरबदल करने की तैयारी में है। दूसरी तरफ, डिमोनेटाइजेश के दौरान आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तरह 13,860 करोड़ रुपये की आमदनी की घोषणा महेश शाह चर्चा में आए थे। अहमदाबाद निवासी प्रॉपर्टी डीलर महेश शाह का केस जनता का विश्वास हिला सकता है। इतनी बड़ी आय की घोषणा और सरकारी विभाग के सामने झूठे कुबूलनामें के बाद भी शाह के खिलाफ कोई गंभीर केस नहीं बनाया गया। केस न बनने का और ऐक्शन न लिए जाने का मामला सभी के सामने है। इस बारे में टॉप आईटी ऑफिसर्स का कहना है कि 'महेश के केस में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके आधार पर उनके खिलाफ ऐक्शन लिया जा सके।'
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जबकि विभाग के आठ सीनियर अफसरों ने महेश शाह के खिलाफ कोई ऐक्शन न लिए जाने पर आश्चर्य जाहिर किया है। उन्हें अचरज है कि विभाग ही नहीं बल्कि पूरे देश को धोखा देने वाले व्यक्ति को कैसे सजा से मुक्त किया जा सकता है। एक अफसर के अनुसार 'शाह को गिरफ्तार किए बिना उनके खिलाफ तहकीकात करने के अनेक तरीके हैं। इनमें नार्को टेस्ट और लाई-डिटेक्टर टेस्ट भी शामिल हैं, जिनसे सच सामने आ सकता है। देश के सामने यह सच जरूर आना चाहिए कि आखिर क्यों शाह ने इतना बड़ा झूठ बोला। उसके इस झूठ के पीछे असली गुनाहगार कौन हैं।'
विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, 'ऐसा कोई प्रोविजन नहीं है, जिसके आधार पर शाह को गिरफ्तार किया जा सके। शाह से पूछताछ भी मीडिया के दवाब के कारण की गई थी। इसी दवाब के कारण विभाग द्वारा आईपीसी के तहत केस की बात कही गई थी। दरअसल झूठे तथ्यों के कारण शाह को आईटी कानून के तहत कोई सजा नहीं दी सकती। इसके लिए आईपीसी के तहत ही केस बनाना होगा।'
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बीते दिनों आईडीएस के तहत शाह ने कईं करोड़ की सम्पत्ति की घोषणा कर सनसनी फैला दी थी। बाद में उन्होंने एक चैनल के माध्यम से कहा था कि उनके चेहरे का इस्तेमाल मुखौटे के तौर पर किया जा रहा है। जिसके बाद आयकर विभाग के अधिकारी उन्हें पूछताछ के लिए ले गए थे। इंटरव्यू के दौरान शाह ने दावा किया था कि उन्होंने यह घोषणा कमीशन के लिए की थी। शाह ने कहा, ‘आईडीएस के तहत घोषित 13,860 करोड़ रुपये की राशि मेरी नहीं है। मेरे पीछे पावरफुल लोग हैं।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास शक और सबूतों के आधार पर कहीं भी सर्च ऑपरेशन और रेड का अधिकार रहा है। आईटी ऑफिसर्स अपने विवेक से किसी को भी नोटिस सर्व करते रहे हैं। अब सरकार बिना सबूत कहीं भी रेड करने का अधिकार इनकम टैक्स विभाग से वापस ले सकती है। इसके पीछे वजह ईमानदार टैक्सपेयर्स का भय बताया जा रहा है। सरकार इनकम टैक्स कानून में इस बदलाव की तैयारी कर रही है।
गत सोमवार सरकार की तरफ से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा बिना सबूतों के कहीं भी रेड डाले जाने के अधिकार को बदलने का प्रस्ताव रखा गया। इसके तहत विभाग के अधिकारी बिना किसी सबूत के किसी भी व्यक्ति के घर रेड नहीं डाल सकेंगे। गौरतलब है कि अब तक इनकम टैक्स विभाग शक और अफवाहों के आधार पर भी किसी को नोटिस दे सकता था। रेड डाल सकता था। डिमोनेटाइजेशन के बाद अब सरकार आईटी डिपार्टमेंट के अधिकार क्षेत्र में फेरबदल करने की तैयारी में है। दूसरी तरफ, डिमोनेटाइजेश के दौरान आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तरह 13,860 करोड़ रुपये की आमदनी की घोषणा महेश शाह चर्चा में आए थे। अहमदाबाद निवासी प्रॉपर्टी डीलर महेश शाह का केस जनता का विश्वास हिला सकता है। इतनी बड़ी आय की घोषणा और सरकारी विभाग के सामने झूठे कुबूलनामें के बाद भी शाह के खिलाफ कोई गंभीर केस नहीं बनाया गया। केस न बनने का और ऐक्शन न लिए जाने का मामला सभी के सामने है। इस बारे में टॉप आईटी ऑफिसर्स का कहना है कि 'महेश के केस में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके आधार पर उनके खिलाफ ऐक्शन लिया जा सके।'
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जबकि विभाग के आठ सीनियर अफसरों ने महेश शाह के खिलाफ कोई ऐक्शन न लिए जाने पर आश्चर्य जाहिर किया है। उन्हें अचरज है कि विभाग ही नहीं बल्कि पूरे देश को धोखा देने वाले व्यक्ति को कैसे सजा से मुक्त किया जा सकता है। एक अफसर के अनुसार 'शाह को गिरफ्तार किए बिना उनके खिलाफ तहकीकात करने के अनेक तरीके हैं। इनमें नार्को टेस्ट और लाई-डिटेक्टर टेस्ट भी शामिल हैं, जिनसे सच सामने आ सकता है। देश के सामने यह सच जरूर आना चाहिए कि आखिर क्यों शाह ने इतना बड़ा झूठ बोला। उसके इस झूठ के पीछे असली गुनाहगार कौन हैं।'
विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, 'ऐसा कोई प्रोविजन नहीं है, जिसके आधार पर शाह को गिरफ्तार किया जा सके। शाह से पूछताछ भी मीडिया के दवाब के कारण की गई थी। इसी दवाब के कारण विभाग द्वारा आईपीसी के तहत केस की बात कही गई थी। दरअसल झूठे तथ्यों के कारण शाह को आईटी कानून के तहत कोई सजा नहीं दी सकती। इसके लिए आईपीसी के तहत ही केस बनाना होगा।'
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बीते दिनों आईडीएस के तहत शाह ने कईं करोड़ की सम्पत्ति की घोषणा कर सनसनी फैला दी थी। बाद में उन्होंने एक चैनल के माध्यम से कहा था कि उनके चेहरे का इस्तेमाल मुखौटे के तौर पर किया जा रहा है। जिसके बाद आयकर विभाग के अधिकारी उन्हें पूछताछ के लिए ले गए थे। इंटरव्यू के दौरान शाह ने दावा किया था कि उन्होंने यह घोषणा कमीशन के लिए की थी। शाह ने कहा, ‘आईडीएस के तहत घोषित 13,860 करोड़ रुपये की राशि मेरी नहीं है। मेरे पीछे पावरफुल लोग हैं।