हरिता दवे, अहमदाबाद
जो स्कूल बच्चों को पारदर्शी रवैया अपनाने का नैतिक पाठ सिखाते हैं, क्या वे खुद व्यवहारिक रूप से इस नैतिक शिक्षा का पालन करते हैं? हमारे सहयोगी समाचार पत्र अहमदाबाद मिरर द्वारा एक खास रिपोर्ट के लिए की गई जांच में तो ऐसा नहीं लगता। अहमदाबाद के अधिकतर प्राइवेट स्कूलों ने जिला प्राइमरी शिक्षा अधिकारी (डीपीईओ) और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के साफ निर्देशों के बावजूद अपने स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर स्कूल की संबद्धता तथा अन्य महत्वपूर्ण विवरण प्रदर्शित नहीं किया है। आपको बता दें कि स्कूलों द्वारा विज्ञापन में एक बोर्ड से संबद्धता दर्शाने और किसी अन्य बोर्ड का सिलेबस पढ़ाने के मामले सामने आने के बाद सर्कुलर जारी किया गया था कि सभी महत्वपूर्ण जानकारियां स्कूल के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित की जाएंगी।
शहर के 25 स्कूलों का दौरा करने पर हमने पाया कि उनमें से 14 स्कूलों ने अपने नोटिस बोर्ड पर संबद्धता का प्रमाणपत्र नहीं लगाया था। वहीं कुछ स्कूलों ने अपने ट्रस्ट का नाम, पता और रजिस्ट्रेशन नंबर प्रदर्शित किया था लेकिन इन स्कूलों ने सबसे महत्वपूर्ण चीज, अपने स्कूल का बोर्ड संबद्धता का प्रमाणपत्र नहीं लगाया था। 31 जनवरी से 8 फरवरी के बीच अलग-अलग स्कूलों में जाकर देखने पर हमने पाया कि इनमें से अधिकतर स्कूल नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। गौरतलब है कि डीपीईओ और डीईओ ने 29 दिसंबर 2016 तथा 25 जनवरी 2017 को एक सर्कुलर जारी कर स्कूलों से अपने स्कूल से जुड़ी डिटेल्स नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करने को कहा था। डीपीईओ और डीईओ के निर्देश थे कि ऐसा करके स्कूल विद्यार्थियों तथा पैरंट्स के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करें।
आनंद निकेतन स्कूल में पढ़ने वाले एक विद्यार्थी के पैरंट ने कहा,'सर्टिफिकेट को प्रिंसिपल ऑफिस में रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि एक पैरंट के रूप में हमारी पहुंच वहां तक नहीं होती है। स्कूलों को अपना सर्टिफिकेट नोटिस बोर्ड पर लगाना चाहिए ताकि हमें विश्वास हो सके और हमारा कन्फ़्यूज़न दूर हो सके।' डीएवी इंटरनैशनल स्कूल में पढ़ने वाली एक लड़की के पिता ने कहा, 'यह पूरी तरह से गलत है कि एक तरफ तो स्कूल वाले हमसे महंगी फीस जमा करने के लिए बार-बार कहते रहते हैं लेकिन खुद एजुकेशन अथॉरिटीज के नियमों का पालन नहीं करते।'
वहीं इस बारे में एक सीबीएसई स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा, 'पहली बात तो डीपीईओ या डीईओ की ओर से किसी तरह का कोई सर्कुलर नहीं मिला। दूसरी बात सीबीएस के स्कूलों इन अथॉरिटीज के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। हम तभी ये डिटेल्स प्रदर्शित करेंगे जब हमसे सीबीएसई बोर्ड कहेगा।' जब डीईओ(सिटी) नवीन मेहता को इस बारे में सूचित किया गया कि 25 में से 24 स्कूलों ने जरूरी जानकारियां नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित नहीं की हैं तो उन्होंने कहा, 'हम मामले की फिर से समीक्षा करेंगे। स्कूलों को नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा नहीं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।'
जो स्कूल बच्चों को पारदर्शी रवैया अपनाने का नैतिक पाठ सिखाते हैं, क्या वे खुद व्यवहारिक रूप से इस नैतिक शिक्षा का पालन करते हैं? हमारे सहयोगी समाचार पत्र अहमदाबाद मिरर द्वारा एक खास रिपोर्ट के लिए की गई जांच में तो ऐसा नहीं लगता। अहमदाबाद के अधिकतर प्राइवेट स्कूलों ने जिला प्राइमरी शिक्षा अधिकारी (डीपीईओ) और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के साफ निर्देशों के बावजूद अपने स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर स्कूल की संबद्धता तथा अन्य महत्वपूर्ण विवरण प्रदर्शित नहीं किया है। आपको बता दें कि स्कूलों द्वारा विज्ञापन में एक बोर्ड से संबद्धता दर्शाने और किसी अन्य बोर्ड का सिलेबस पढ़ाने के मामले सामने आने के बाद सर्कुलर जारी किया गया था कि सभी महत्वपूर्ण जानकारियां स्कूल के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित की जाएंगी।
शहर के 25 स्कूलों का दौरा करने पर हमने पाया कि उनमें से 14 स्कूलों ने अपने नोटिस बोर्ड पर संबद्धता का प्रमाणपत्र नहीं लगाया था। वहीं कुछ स्कूलों ने अपने ट्रस्ट का नाम, पता और रजिस्ट्रेशन नंबर प्रदर्शित किया था लेकिन इन स्कूलों ने सबसे महत्वपूर्ण चीज, अपने स्कूल का बोर्ड संबद्धता का प्रमाणपत्र नहीं लगाया था। 31 जनवरी से 8 फरवरी के बीच अलग-अलग स्कूलों में जाकर देखने पर हमने पाया कि इनमें से अधिकतर स्कूल नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। गौरतलब है कि डीपीईओ और डीईओ ने 29 दिसंबर 2016 तथा 25 जनवरी 2017 को एक सर्कुलर जारी कर स्कूलों से अपने स्कूल से जुड़ी डिटेल्स नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करने को कहा था। डीपीईओ और डीईओ के निर्देश थे कि ऐसा करके स्कूल विद्यार्थियों तथा पैरंट्स के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करें।
आनंद निकेतन स्कूल में पढ़ने वाले एक विद्यार्थी के पैरंट ने कहा,'सर्टिफिकेट को प्रिंसिपल ऑफिस में रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि एक पैरंट के रूप में हमारी पहुंच वहां तक नहीं होती है। स्कूलों को अपना सर्टिफिकेट नोटिस बोर्ड पर लगाना चाहिए ताकि हमें विश्वास हो सके और हमारा कन्फ़्यूज़न दूर हो सके।' डीएवी इंटरनैशनल स्कूल में पढ़ने वाली एक लड़की के पिता ने कहा, 'यह पूरी तरह से गलत है कि एक तरफ तो स्कूल वाले हमसे महंगी फीस जमा करने के लिए बार-बार कहते रहते हैं लेकिन खुद एजुकेशन अथॉरिटीज के नियमों का पालन नहीं करते।'
वहीं इस बारे में एक सीबीएसई स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा, 'पहली बात तो डीपीईओ या डीईओ की ओर से किसी तरह का कोई सर्कुलर नहीं मिला। दूसरी बात सीबीएस के स्कूलों इन अथॉरिटीज के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। हम तभी ये डिटेल्स प्रदर्शित करेंगे जब हमसे सीबीएसई बोर्ड कहेगा।' जब डीईओ(सिटी) नवीन मेहता को इस बारे में सूचित किया गया कि 25 में से 24 स्कूलों ने जरूरी जानकारियां नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित नहीं की हैं तो उन्होंने कहा, 'हम मामले की फिर से समीक्षा करेंगे। स्कूलों को नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा नहीं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।'