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गुजरातः जब नीलगायों ने बचाई 18 लोगों की जान!

जरात के सौराष्ट्र में इन नीलगायों की वजह से 18 लोगों को नई जिंदगी मिली है। इनमें केशोद गांव के 12 ग्रामीण, तीन फॉरेस्टर्स और तीन सिक्यॉरिटी गार्ड शामिल हैं।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 16 Jul 2018, 11:34 am
जूनागढ़
नवभारतटाइम्स.कॉम सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

वैसे तो गुजरात के सौराष्ट्र में स्थानीय किसान अक्सर नीलगायों से परेशान रहते हैं। वजह भी जायज है, क्योंकि नीलगायें उनकी फसलें बर्बाद कर देती हैं, लेकिन इस बार मामला अलग है। इन नीलगायों की वजह से 18 लोगों को नई जिंदगी मिली है। इनमें केशोद गांव के 12 ग्रामीण, तीन फॉरेस्टर्स और तीन सिक्यॉरिटी गार्ड शामिल हैं।

केशोद से लगभग दस किलोमीटर दूर हंडला वीडी में शनिवार दोपहर लगभग तीन बजे कुछ लोगों का समूह घास लगाने का काम कर रहा था। उन लोगों की नजर नीलगायों के झुंड पर पड़ी। नीलगायों का यह झुंड तेजी से भागा चला आ रहा था। सामान्यता नीलगायें मानव निवास स्थान से दूर भागती हैं, लेकिन ये उनकी ओर आ रही थीं।

...और सुरक्षित स्थान की तरफ भागे
जंगल विभाग के अधिकारियों को जानवरों के व्यवहार के बारे में जानकारी थी। नीलगायों का व्यवहार देखकर उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि बाढ़ आ रही है। वहां मौजूद सभी लोगों ने काम छोड़ दिया और सुरक्षित स्थान की तरफ भागे। उन लोगों के वहां से हटते ही तीन घंटे के अंदर उस जगह पर 7 फीट पानी भर गया, जहां पर वे लोग घास लगा रहे थे।

प्रमुख मुख्य वन्यजीव संरक्षक अनिल जोहरी ने बताया कि यह बहुत ही अनोखी घटना थी। जंगलों और वन्यजीवों में प्राकृतिक साइनेज (पहचानसूचक) होता है जो जानवरों और इंसानों दोनों के चेतावनी जारी करता है। इस बार नीलगायों के व्यवहार ने लोगों की बाढ़ से रक्षा की। रविवार को भी घास के लगभग 500 हेक्टेयर मैदान में 3.5 फीट पानी भरा रहा।


'वन्यजीवों ने हमें नई जिंदगी दी'
जूनागढ़ जिले में लगातार बारिश के चलते ओजत और मधुवंती सहित कई नदियां ओवरफ्लो हो रही हैं। घास के मैदानों में पानी भरा है। रविवार को ओजत-2 डैम के 18 गेट खोल दिए गए जिससे हर सेकंड में 65000 क्यूसेक पानी बहता रहा।

वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हम लोग बीते तीन वर्षों से घास के मैदान विकसित कर रहे हैं। आज तक कभी भी इस तरह की बाढ़ नहीं देखी। जो घास लगाई गई वह बह गई। मजदूरों के शेड्स बह गए। अगर नीलगायों से चेतावनी नहीं मिली होती तो हम सब और तमाम मजदूर तेज बाढ़ में बह गए होते।'

उप-वन संरक्षक डॉ. सुनील बरवाल ने कहा, 'नीलगायों ने हमारा, फील्ड स्टाफ और कर्मचारियों का जीवन बचाया है। नीलगायों के तेजी से आवासीय क्षेत्र की तरफ भागकर आते देख सब अलर्ट हो गए। कई बार हम वन्यजीवों की रक्षा करते हैं लेकिन इस बार वन्यजीवों ने हम लोगों का जीवन बचाया है।'

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