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नियमों के उल्लंघन पर जीरो टॉलरेंस, पारदर्शी तरीके से करेंगे शोपियां मुठभेड़ की जांच: आर्मी चीफ

शोपियां के एनकाउंटर केस की जांच में प्रथम दृष्ट्या नियमों के उल्लंघन की बात सामने आने के बाद अब इस मामले में सैन्यकर्मियों पर कार्रवाई का आदेश दिया गया है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 18 Sep 2020, 9:47 pm
श्रीनगर
नवभारतटाइम्स.कॉम सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (फाइल फोटो)

शोपियां के अमाशीपोरा एनकाउंटर केस में प्रथम दृष्ट्या सेना के जवानों के खिलाफ सबूत मिलने के बाद अब इस मामले में कार्रवाई का आदेश दिया गया है। अमाशीपोरा के एनकाउंटर को जुलाई 2020 में अंजाम दिया गया। इस एनकाउंटर पर उठे सवालों के बाद सेना ने अपनी जांच शुरू की थी, जिसमें शुरुआती तौर पर सैन्यकर्मियों के खिलाफ सबूत मिले। इसके आधार पर सेना ने जांच को आगे बढ़ाया है और कथित मुठभेड़ में शामिल सैन्यकर्मियों पर कार्रवाई की बात कही है। वहीं सेना प्रमुख ने इस मामले पर कहा है कि पूरी जांच को पारदर्शी तरीके से पूरा किया जाएगा।

सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि अमाशीपोरा के एनकाउंटर केस की जांच को पूरी पारदर्शिता और तर्कपूर्ण तरीके से पूरा किया जाएगा। सेना अपनी हर कार्रवाई को पूरे प्रोफेशनल तरीके से करने के लिए प्रतिबद्ध है। सेना प्रमुख ने आगे कहा कि भारतीय सेना किसी भी अशांत क्षेत्र में तय नियमों के उल्लंघन होने पर जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ काम करती है और आगे भी ऐसा ही होगा।

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प्रथम दृष्ट्या मिले सबूत

अमाशीपोरा एनकाउंटर केस की चार हफ्तों की जांच के बाद कई सैन्यकर्मियों के खिलाफ सबूत मिले हैं। जिसके बाद सेना ने यह माना है कि इस कथित मुठभेड़ में नियमों का उल्लंघन किया गया है। इस मामले में सैन्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया गया है।

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मारे गए लोगों के मजदूर होने का दावा
जिस एनकाउंटर पर ये पूरा विवाद छिड़ा है, उसे शोपियां में जुलाई 2020 में अंजाम दिया गया था। आरोप था कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी, जिसमें राजौरी के 3 ऐसे लोगों को मार दिया गया, जिनका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं था। इन लोगों के परिवार ने आरोप लगाया था कि जिन लोगों को मारा गया, वह आतंकवादी नहीं मजदूर थे। विवाद की स्थिति खड़ी होने पर सेना ने इस एनकाउंटर की जांच का आदेश दिया था।

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