उरी
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की रहने वाली आसिफा तबस्सुम मीर ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वह भारत में चुनाव लड़ेंगी। हालांकि, प्यार की बदौलत वह पीओके से कश्मीर आईं, भारत की नागरिक बनीं और अब बीडीसी चुनाव में प्रत्याशी भी हैं। दरअसल, आसिफा को कुंडी बरजाला गांव के रहने वाले मंजूर अहमद से प्यार हुआ और वह 2005 में कानूनी रूप से कश्मीर आ गईं। बताया गया कि 1989-1995 के दौरान मंजूर अहमद बराबर एलओसी पार करके पीओके जाते रहते थे। इसी बीच आसिफा और मंजूर को एक-दूसरे से प्यार हो गया। मुजफ्फराबाद के चेनारी में रहने वाली आसिफा को मंजूर भारत लाना चाहते थे। 2005 में इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग की मदद से आसिफा और मंजूर कानूनी रूप से भारत आ गए। अब इन दोनों के छह बच्चे हैं और आसिफा भारत की नागरिक हैं।
पहले भी पंचायत चुनाव जीत चुकी हैं आसिफा
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद हो रहे ब्लॉक डिवेलपमेंट काउंसिंल (बीडीसी) चुनाव में आसिफा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरी हैं। महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पारन पिल्लान से उतरीं आसिफा इससे पहले 2018 में पंचायत चुनाव लड़ चुकी हैं और उन्हें जीत भी हासिल हुई थी।
'शौहर का वतन मेरा वतन'
आसिफा कहती हैं, 'जो मेरे शौहर का वतन है हिंदुस्तान, वही मेरा वतन है और मुझे अपने वतन से मोहब्बत है। वतन से मोहब्बत करना एक इबादत है।' हालांकि, आसिफा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छिनने पर कोई टिप्पणी नहीं करती हैं। वहीं, मंजूर इसपर कहते हैं, 'मुझे लगता है कि भारत ने आर्टिकल 370 हटाकर अच्छा किया है। इससे कोई एक नहीं बल्कि हम सब प्रभावित होंगे। हमें अच्छे की ही उम्मीद है।'
'लोगों को बंकर उपलब्ध कराना प्राथमिकता'
एलओसी के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए बंकर उपलब्ध करवाना आसिफा का चुनावी वादा है। बता दें कि इन बंकरों को बनाने के लिए लगभग एक से तीन लाख रुपये खर्च हो जाते हैं। पाकिस्तान की ओर से होने वाली गोलाबारी के दौरान ये बंकर ही लोगों की जान बचाते हैं।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की रहने वाली आसिफा तबस्सुम मीर ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वह भारत में चुनाव लड़ेंगी। हालांकि, प्यार की बदौलत वह पीओके से कश्मीर आईं, भारत की नागरिक बनीं और अब बीडीसी चुनाव में प्रत्याशी भी हैं। दरअसल, आसिफा को कुंडी बरजाला गांव के रहने वाले मंजूर अहमद से प्यार हुआ और वह 2005 में कानूनी रूप से कश्मीर आ गईं।
पहले भी पंचायत चुनाव जीत चुकी हैं आसिफा
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद हो रहे ब्लॉक डिवेलपमेंट काउंसिंल (बीडीसी) चुनाव में आसिफा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरी हैं। महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पारन पिल्लान से उतरीं आसिफा इससे पहले 2018 में पंचायत चुनाव लड़ चुकी हैं और उन्हें जीत भी हासिल हुई थी।
'शौहर का वतन मेरा वतन'
आसिफा कहती हैं, 'जो मेरे शौहर का वतन है हिंदुस्तान, वही मेरा वतन है और मुझे अपने वतन से मोहब्बत है। वतन से मोहब्बत करना एक इबादत है।' हालांकि, आसिफा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छिनने पर कोई टिप्पणी नहीं करती हैं। वहीं, मंजूर इसपर कहते हैं, 'मुझे लगता है कि भारत ने आर्टिकल 370 हटाकर अच्छा किया है। इससे कोई एक नहीं बल्कि हम सब प्रभावित होंगे। हमें अच्छे की ही उम्मीद है।'
'लोगों को बंकर उपलब्ध कराना प्राथमिकता'
एलओसी के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए बंकर उपलब्ध करवाना आसिफा का चुनावी वादा है। बता दें कि इन बंकरों को बनाने के लिए लगभग एक से तीन लाख रुपये खर्च हो जाते हैं। पाकिस्तान की ओर से होने वाली गोलाबारी के दौरान ये बंकर ही लोगों की जान बचाते हैं।