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खाना खाते समय अब नहीं कांपेंगे बुजुर्गों के हाथ, डीपीएस बोकारो के अभिनीत ने बनाया एंटी शेकिंग स्पून

वृद्धावस्था में हाथ-पैर कांपने की समस्या को ध्यान में रखते हुए एंटी शेकिंग स्पून बनाया गया है। बोकारो डीपीएस के छात्र अभिनीत ने अपने घर में दादा-दादी को होने वाली परेशानी को देखकर यह खोज की। इस नवोन्मेषता के लिए इंस्पायर अवार्ड- मानक के लिए भी उसका चयन हुआ है।

Edited byरवि सिन्हा | नवभारतटाइम्स.कॉम 15 Nov 2022, 11:36 am
बोकारो: वृद्धावस्था में हाथ-पैर कांपना बुजुर्गों में आमतौर पर एक बड़ी समस्या है। न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के कारण होने वाले इस कंपनी को पार्किंसन रोग के नाम से जाना जाता है। इसके कारण बुजुर्गों को खाने-पीने में भी काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। लेकिन, विज्ञान और तकनीक की मदद से हाथ कांपने के कारण खाना खाने में बुजुर्गों को होने वाली परेशानी दूर की जा सकती है। इसके लिए एक खास और नए उपकरण एंटी शेकिंग स्पून का इजाद किया है डीपीएस बोकारो के होनहार छात्र अभिनीत शरण ने। इस चम्मच की मदद से खाना खाते समय बुजुर्गों के हाथ कांपने की समस्या रोकी जा सकती है और भोजन का निवाला सीधे उनके मुंह तक पहुंच सकता है। चम्मच, मोटर, सेंसर, माइक्रो कंट्रोलर और बॉल बियरिंग पुर्जों की मदद से अभिनीत ने यह नई मशीन खुद बनाई है। इस नवोन्मेषता के लिए इंस्पायर अवार्ड- मानक के लिए भी उसका चयन हो चुका है। सरकार की ओर से उसे इसके लिए बाकायदा मॉडल तैयार करने को लेकर 10 हजार रुपए की सहायता-राशि भी प्रदान की जा चुकी है।
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बोकारो डीपीएस के छात्र अभिनीत ने बनाया एंटी शेकिंग स्पून


ऐसे काम करता है यह खास स्पून
डीपीएस बोकारो में 10वीं कक्षा के छात्र अभिनीत द्वारा तैयार किया गया एंटी शेकिंग स्पून हाथ के कंपन और उस कंपन की विपरीत दिशा में कंपन उत्पन्न करने की यांत्रिकी पर काम करता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत इसमें लगे दो सेंसर से होती है। एक सेंसर हाथ कांपने और दूसरा हाथ कांपने की दिशा का पता लगाकर माइक्रो कंट्रोलर को सूचित करता है। उसके बाद मोटर अपना काम शुरू करता है और कंपन तथा हाथ घूमने की विपरीत दिशा में बल उत्पन्न होता है। गिंबल सिस्टम के तहत लगे बॉल बियरिंग की मदद से विपरीत दिशा में कंपन व घूर्णन उत्पन्न होता है। इसके परिणामस्वरूप चम्मच का हिलना-डुलना बंद हो जाता है, जिससे बुजुर्गों को खाने में दिक्कत नहीं होती।
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हेडफोन की एंटी फ्रीक्वेंसी तकनीक से मिली प्रेरणा
फिलहाल अभिनीत ने अभी अपने उपकरण का प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया है। इसके लिए कुछ पुर्जे उसे रोबोटिक्स के काम से मिले, तो कुछ ऑनलाइन खरीदकर मंगवाए। आनेवाले दिनों में इसका अपग्रेडेड वर्जन वह इंस्पायर मानक के अगले चरण में प्रस्तुत करेगा। उसने बताया कि एंटी शेकिंग स्पून बनाने की प्रणाली की प्रेरणा उसे हेडफोन की एंटी फ्रीक्वेंसी तकनीक से मिली। जिस प्रकार बाहर की आवाज उतनी ही फ्रीक्वेंसी में कान में लगे हेडफोन से निकलनेवाली ध्वनि के कारण नहीं सुनाई देती, उसी प्रकार हाथ कांपने के समान विपरीत बल लगने से एंटी शेकिंग स्पून हाथ नहीं हिलने देता।


अपने दादा-दादी की परेशानी दिखी, तो जगा आइडिया
बीएसएलकर्मी नवनीत कुमार के पुत्र अभिनीत के मन में एंटी शेकिंग स्पून बनाने का विचार अपने घर से ही आया। उसके दादा अखिलेश शरण (78) और दादी बच्ची श्रीवास्तव (75) भी हाथ कांपने की समस्या से परेशान हैं। खास तौर से उन्हें खाना खाते समय होनेवाली दिक्कत को देख ही अभिनीत ने ऐसा विशेष चम्मच बनाने का फैसला लिया। बचपन से ही रोबोटिक्स में रुचि रखनेवाला अभिनीत आगे चलकर एक सफल इंजीनियर बनना चाहता है। उसने अपने इस नए आविष्कार के पीछे डीपीएस बोकारो के प्राचार्य एएस गंगवार एवं अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया।
लेखक के बारे में
रवि सिन्हा
नवभारत टाइम्स डिजिटल के बिहार-झारखंड टीम में कार्यरत। राजस्थान पत्रिका में दिसंबर 2005 से लेकर अप्रैल 2020 तक झारखंड प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने का मौका मिला। दूरदर्शन रांची और आकाशवाणी केंद्र के प्रादेशिक समाचार एकांश में आकस्मिक सहायक संपादक के रूप में 17 साल का सफर। रांची एक्सप्रेस, आज, देशप्राण समेत कई अन्य हिन्दी और उर्दू अन्य समाचार पत्रों और वेबपोर्टल के लिए लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से लेखन। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 2000 में संवाद समिति एक्सप्रेस मीडिया सर्विस से पत्रकारिता की शुरुआत के बाद 2001 से झारखंड की राजधानी रांची अब कर्मस्थल। देश-विदेश की सामाजिक और राजनीतिक खबरों में विशेष रूचि। पत्रकारिता की हर विधा को सीखने की लगन और चाहत।... और पढ़ें

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