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11 साल तक सीने में फंसी रही बुलेट, दिल को छुआ तो हो गई मौत... माओवादियों ने मारी थी जवान को गोली

Jharkhand News : झारखंड में नक्सलियों से लोहा लेकर चर्चित हुए जांबाज होम गार्ड जवान नंदकिशओर तिवारी का निधन हो गया। उन्हें एक मुठभेड़ में नक्सलियों की गोली लगी थी। गोली उनके सीने में जाकर वहीं फंस गई थी। डॉक्टरों ने इस गोली को इसलिए नहीं निकाला था कि ऐसा करते ही नंदकिशोर की मौत तय थी।

Edited byऋषिकेश नारायण सिंह | Lipi 26 Sep 2022, 9:44 am
झारखंड: चतरा में करीब ग्यारह वर्षों तक माओवादियों की गोली सीने में ढोने वाले गृहरक्षक नंदकिशोर तिवारी की आखिरकार मौत हो गई। डाक्टरों का कहना है कि सीने में फंसी गोली दिल में पहुंच गई थी। जिसके कारण उनकी मौत हुई। नंदकिशोर को माओवादियों ने गोली मारी थी। नंदकिशोर तिवारी टंडवा थाना क्षेत्र के कढनी गांव के रहने वाले थे। वर्तमान में सिमरिया थाना में मुंशी के रूप में कार्यरत थे। वर्ष 2011 में टंडवा थाना पुलिस और भाकपा माओवादी उग्रवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी। माओवादियों के इस हमले में कई जवान की मौत हो गई थी। वहीं नंदकिशोर तिवारी गंभीर रुप से घायल हो गए थे। उन्हें पैर और सीने में गोली लगी थी। घायलावस्था में नंदकिशोर तिवारी को रांची के रिम्स में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था।
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रिम्स में चला था इलाज
उपचार के दौरान सीने में लगी गोली को चिकित्सकों ने निकालने से इनकार कर दिया था। डाक्टरों ने कहा था कि गोली निकली, तो गृहरक्षक की मौत हो जाएगी। दवाओं के बल पर वह जिंदा रहेंगे। डाक्टरों ने यह भी कहा था कि अगर गोली खिसकर दिल को छू जाएगी तो मौत हो जाएगी।
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11 साल सीने में फंसी रही गोली
उसके बाद वह अपने सीने में गोली ढो रहे थे। बताते हैं कि दूसरी तरफ गोली खिसक कर दिल में पहुंच गई। जिससे उनकी मौत हो गई। सिमरिया विधायक किशुन दास ने जिला प्रशासन और सरकार से जवान के परिजन को नौकरी व उचित मुआवजा देने की मांग की है। वहीं उनके निधन के बाद होमगार्ड्स में भी शोक की लहर है।
रिपोर्ट- अशोक तुल्सयान
लेखक के बारे में
ऋषिकेश नारायण सिंह
नवभारत टाइम्स डिजिटल के बिहार-झारखंड प्रभारी। पत्रकारिता में जनमत टीवी, आईबीएन 7, ईटीवी बिहार-झारखंड, न्यूज18 बिहार-झारखंड से होते हुए टाइम्स इंटरनेट तक 17 साल का सफर। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से शुरुआत के बाद अब बिहार कर्मस्थल। देश, विदेश, अपराध और राजनीति की खबरों में गहरी रुचि। डिजिटल पत्रकारिता की हर विधा को सीखने की लगन।... और पढ़ें

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