दुमका
राजभवन में ठहरे मुख्यमंत्री रघुबर दास के फोन में नेटवर्क नहीं आया तो पुलिस ने बीएसएनएल के दो कर्मचारियों को उनके घर से उठा लिया। मामला झारखंड के दुमका का है, जहां राज्य के मुख्यमंत्री रघुबर दास एक 'जन चौपाल' में हिस्सा लेने के लिए राजभवन में रुके हुए थे। सोमवार की आधी रात को उन्होंने मोबाइल में नेटवर्क न आने की शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने 'त्वरित कार्रवाई' करते हुए बीएसएनएल के दो कर्मचारियों को उनके घर से उठा लिया। दोनों को सुबह 3 बजे घर जाने की इजाजत दी गई। थाने में तीन घंटे तक बिठाए रखा
राजभवन में ठहरे मुख्यमंत्री के मोबाइल फोन में नेटवर्क न आने की वजह से दुमका के टेलिकॉम जिला प्रबंधक पीके सिंह और सहायक जूनियर टेलिकॉम अधिकारी को सजा के तौर पर पुलिस ने थाने में तीन घंटे तक बिठाए रखा। दुमका पुलिस ने दोनों को उनके घर से तब उठा लिया जब आधी रात को सीएम ने फोन में नेटवर्क न आने की शिकायत की।
क्षेत्र के पुलिस प्रभारी देवब्रत पोद्दार ने बताया कि राजभवन में सीएम रुके हुए थे। वहां बीएसएनएल के मोबाइल फोन्स में नेटवर्क नहीं आ रहा था। इसके बाद हम बीएसएनएल दो अधिकारियों को उनके घर से पुलिस स्टेशन लेकर आए। पोद्दार ने आगे कहा कि दोनों अधिकारियों को तीन घंटे बाद छोड़ दिया गया।
विपक्ष ने कहा, 'मुख्यमंत्री के फासिस्ट सोच को उजागर करती है घटना'
सीएमओ की ओर से घटना की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, विपक्ष ने अधिकारियों को कैद में रखे जाने की कड़ी शब्दों में आलोचना की है। विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे मुख्यमंत्री की ' फासिस्ट सोच' करार दिया है।
नेताओं ने कहा कि दो पुलिस अधिकारियों को सिर्फ इसलिए थाने में बुलाना कि सीएम के फोन में नेटवर्क नहीं आ रहा है, मुख्यमंत्री की 'फासिस्ट सोच' को उजागर करता है। वहीं घटना को लेकर इलाके के बीएसएनएल कर्मचारियों में काफी गुस्सा है।
राजभवन में ठहरे मुख्यमंत्री रघुबर दास के फोन में नेटवर्क नहीं आया तो पुलिस ने बीएसएनएल के दो कर्मचारियों को उनके घर से उठा लिया। मामला झारखंड के दुमका का है, जहां राज्य के मुख्यमंत्री रघुबर दास एक 'जन चौपाल' में हिस्सा लेने के लिए राजभवन में रुके हुए थे। सोमवार की आधी रात को उन्होंने मोबाइल में नेटवर्क न आने की शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने 'त्वरित कार्रवाई' करते हुए बीएसएनएल के दो कर्मचारियों को उनके घर से उठा लिया। दोनों को सुबह 3 बजे घर जाने की इजाजत दी गई।
राजभवन में ठहरे मुख्यमंत्री के मोबाइल फोन में नेटवर्क न आने की वजह से दुमका के टेलिकॉम जिला प्रबंधक पीके सिंह और सहायक जूनियर टेलिकॉम अधिकारी को सजा के तौर पर पुलिस ने थाने में तीन घंटे तक बिठाए रखा। दुमका पुलिस ने दोनों को उनके घर से तब उठा लिया जब आधी रात को सीएम ने फोन में नेटवर्क न आने की शिकायत की।
क्षेत्र के पुलिस प्रभारी देवब्रत पोद्दार ने बताया कि राजभवन में सीएम रुके हुए थे। वहां बीएसएनएल के मोबाइल फोन्स में नेटवर्क नहीं आ रहा था। इसके बाद हम बीएसएनएल दो अधिकारियों को उनके घर से पुलिस स्टेशन लेकर आए। पोद्दार ने आगे कहा कि दोनों अधिकारियों को तीन घंटे बाद छोड़ दिया गया।
विपक्ष ने कहा, 'मुख्यमंत्री के फासिस्ट सोच को उजागर करती है घटना'
सीएमओ की ओर से घटना की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, विपक्ष ने अधिकारियों को कैद में रखे जाने की कड़ी शब्दों में आलोचना की है। विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे मुख्यमंत्री की ' फासिस्ट सोच' करार दिया है।
नेताओं ने कहा कि दो पुलिस अधिकारियों को सिर्फ इसलिए थाने में बुलाना कि सीएम के फोन में नेटवर्क नहीं आ रहा है, मुख्यमंत्री की 'फासिस्ट सोच' को उजागर करता है। वहीं घटना को लेकर इलाके के बीएसएनएल कर्मचारियों में काफी गुस्सा है।