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सियासी तूफान की आहट के बीच दांव-पेंच में आयी तेजी : संकट में हेमंत सरकार, दिल्ली दरबार में बाबूलाल... राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी

झारखंड में सियासी तूफान की आहट के बीच राजनीतिक दांव-पेंच में भी तेजी आ गयी है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव आयोग द्वारा भेजे गये नोटिस से मुश्किल में हैं, वहीं दल-बदल मामले में विधायक बाबूलाल मरांडी के खिलाफ स्पीकर की अदालत में एक बार फिर तेजी से सुनवाई चल रही है।

Edited byदेवेन्द्र कश्यप | Lipi 8 May 2022, 12:15 am
रवि सिन्हा, रांची : भारत निर्वाचन आयोग ( Election Commission of India ) ने खनन लीज पट्टा मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ( CM Hemant Soren ) को नोटिस जारी कर 10 मई तक जवाब देने को कहा है। मुख्यमंत्री शनिवार को दिन भर इस मसले पर अपने करीबी सलाहकार और कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करते नजर आये। वहीं राजनीतिक सरगर्मी के बीच रविवार को अचानक बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ( Babulal Marandi ) एक बार फिर दिल्ली पहुंचे, जहां वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे।
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इधर, झारखंड में सियासी तूफान की आहट के बीच राजनीतिक दांव-पेंच में भी तेजी आ गयी है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव आयोग द्वारा भेजे गये नोटिस से मुश्किल में हैं, वहीं दल-बदल मामले में विधायक बाबूलाल मरांडी के खिलाफ स्पीकर की अदालत में एक बार फिर तेजी से सुनवाई चल रही है। दोनों ही पक्ष अपने-अपने तरीके से प्रतिद्वंदियों पर दबाव बनाने की रणनीति में जुटे हैं।
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ खनन लीज मामले में झारखंड उच्च न्यायालय में भी एक जनहित याचिका दायर की गयी है। इस याचिका पर मुख्यमंत्री की ओर से शुक्रवार को अदालत में अपना पक्ष रख दिया गया है। जिसमें सीएम हेमंत सोरेन की ओर से बताया गया है कि रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन का माइनिंग लीज 17मई 2008 को 10 साल के लिए मिला था। वर्ष 2018 में लीज नवीकरण के लिए उन्होंने आवेदन दिया, लेकिन आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था।

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उपायुक्त ने वर्ष 2021 में नये सिरे से माइनिंग लीज के लिए आवेदन आमंत्रित किया और उन्होंने आवेदन दिया। जिसके बाद उन्हें माइनिंग लीज आवंटित किया गया। इस दौरान सभी नियमों का पालन किया गया। लेकिन 4 फरवरी तक उन्हें खनन की अनुमति नहीं मिली, इसके बाद उन्होंने बिना किसी खुदाई के ही लीज को सरेंडर कर दिया। इस आधार पर विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य किये जाने का कोई आधार नहीं बनता हैं। संभवतः इसी तरह का जवाब अब भारत निर्वाचन आयोग को भी सौंपा जा सकता है।
लेखक के बारे में
देवेन्द्र कश्यप
नवभारत टाइम्स डिजिटल में सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर। पत्रकारिता में महुआ टीवी, जी न्यूज, ईनाडु इंडिया, राजस्थान पत्रिका, ईटीवी भारत से होते हुए टाइम्स इंटरनेट तक का सफर। लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ सीखने की कोशिश। राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों में गहरी रुचि।... और पढ़ें

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