रांची
गरीबी और अभाव के बीच पली-बढ़ी , बांस के डंडे और शरीफे के गेंद से हॉकी की शुरुआत कर जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम से खेलते हुए रेलवे में सरकारी नौकरी मिलने के बाद संगीता कुमारी पहली बार अपने गांव पहुंची। रेलवे में सरकारी नौकरी मिलने पर पहली बार घर पहुंची अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी संगीता कुमारी ने पहली पगार से मिली राशि से गांव के बुजुर्ग सदस्यों को धोती देकर सम्मानित किया और गरीब बच्चों के बीच हॉकी, गेंद और मिठाइयां बांटी।
गांव की पहली सदस्य, जिसे सरकारी नौकरी मिली
सिमडेगा जिले के करनागुड़ी नवाटोली गांव निवासी किसान रंजीत मांझी और लखमणि देवी की चौथी पुत्री संगीता अपने छह भाई-बहनों में चौथे स्थान पर हैं। नवाटोली गांव की संगीता सदस्य है, जिसे सरकारी नौकरी मिली है। अत्यंत गरीबी में पली-बढ़ी संगीता को हॉकी में अपनी प्रतिभा के बलबूते रेलवे में दो महीने पहले ही नौकरी मिली थी। पहली पगार मिलने पर वह अपने गांव पहुंची और शनिवार को गांव के बुजुर्ग सदस्यों को धोती देकर सम्मानित किया गया। वहीं हॉकी खेलने वाले गांव के बच्चों के बीच गेंद और मिठाइयां बांट कर उनका हौसला बढ़ाया।
बांस के जड़ या शरीफे को गेंद बनाकर हॉकी का किया अभ्यास
संगीता कुमारी जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम के स्ट्राइकर हैं और इस वर्ष अगस्त माह में ही उसकी खेल प्रतिभा को देखकर रेलवे में नौकरी दी गई है। वर्तमान समय में संगीता बेंगलुरु में चल रहे जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की कैंप में शामिल है। शुक्रवार देर शाम को अपने गांव पहुंची हैं।
जिस विद्यालय से हॉकी सीखी, उसके लिए भी कुछ करने की इच्छा: संगीता
संगीता ने कहा कि वह जब भी घर आती थी और गांव के छोटे बच्चों को देखती थी कि बांस के जड़ को गेंद बनाकर हॉकी खेलते थे, बचपन में वह भी इन्हीं बच्चों की तरह बांस के जड़ को या शरीफा को गेंद बनाकर हॉकी खेलती थी। इसलिए इन बच्चों के लिए कुछ करने के इरादे से इनका सहयोग करने का निर्णय लिया है, ताकि इनका भी हॉकी के प्रति लगाव बना रहे। इसी ख्याल से अपनी पहली पगार से इनके लिए हॉकी की गेंद लेकर आयी हूं और और आने वाले दिन में इनके लिए तथा जिस विद्यालय से वह हॉकी सीखी है, उस विद्यालय के लिए भी कुछ करने की इच्छा है।
गरीबी और अभाव के बीच पली-बढ़ी , बांस के डंडे और शरीफे के गेंद से हॉकी की शुरुआत कर जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम से खेलते हुए रेलवे में सरकारी नौकरी मिलने के बाद संगीता कुमारी पहली बार अपने गांव पहुंची। रेलवे में सरकारी नौकरी मिलने पर पहली बार घर पहुंची अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी संगीता कुमारी ने पहली पगार से मिली राशि से गांव के बुजुर्ग सदस्यों को धोती देकर सम्मानित किया और गरीब बच्चों के बीच हॉकी, गेंद और मिठाइयां बांटी।
गांव की पहली सदस्य, जिसे सरकारी नौकरी मिली
सिमडेगा जिले के करनागुड़ी नवाटोली गांव निवासी किसान रंजीत मांझी और लखमणि देवी की चौथी पुत्री संगीता अपने छह भाई-बहनों में चौथे स्थान पर हैं। नवाटोली गांव की संगीता सदस्य है, जिसे सरकारी नौकरी मिली है। अत्यंत गरीबी में पली-बढ़ी संगीता को हॉकी में अपनी प्रतिभा के बलबूते रेलवे में दो महीने पहले ही नौकरी मिली थी। पहली पगार मिलने पर वह अपने गांव पहुंची और शनिवार को गांव के बुजुर्ग सदस्यों को धोती देकर सम्मानित किया गया। वहीं हॉकी खेलने वाले गांव के बच्चों के बीच गेंद और मिठाइयां बांट कर उनका हौसला बढ़ाया।
बांस के जड़ या शरीफे को गेंद बनाकर हॉकी का किया अभ्यास
संगीता कुमारी जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम के स्ट्राइकर हैं और इस वर्ष अगस्त माह में ही उसकी खेल प्रतिभा को देखकर रेलवे में नौकरी दी गई है। वर्तमान समय में संगीता बेंगलुरु में चल रहे जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की कैंप में शामिल है। शुक्रवार देर शाम को अपने गांव पहुंची हैं।
जिस विद्यालय से हॉकी सीखी, उसके लिए भी कुछ करने की इच्छा: संगीता
संगीता ने कहा कि वह जब भी घर आती थी और गांव के छोटे बच्चों को देखती थी कि बांस के जड़ को गेंद बनाकर हॉकी खेलते थे, बचपन में वह भी इन्हीं बच्चों की तरह बांस के जड़ को या शरीफा को गेंद बनाकर हॉकी खेलती थी। इसलिए इन बच्चों के लिए कुछ करने के इरादे से इनका सहयोग करने का निर्णय लिया है, ताकि इनका भी हॉकी के प्रति लगाव बना रहे। इसी ख्याल से अपनी पहली पगार से इनके लिए हॉकी की गेंद लेकर आयी हूं और और आने वाले दिन में इनके लिए तथा जिस विद्यालय से वह हॉकी सीखी है, उस विद्यालय के लिए भी कुछ करने की इच्छा है।